आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
राजनिवास का धरना तो एक बहाना है, हकीकत यह है कि आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल इस धरने के जरिये तेजी से खिसक रही सियासी जमीन बचाने की कोशिश में जुटे हैं। धरने को जनता के लिए संघर्ष का नाम देकर इसे भुनाने की हर संभव कोशिश की जा रही है।
धरने- प्रदर्शन के बीच ही आप का जन्म हुआ और धरने कर करके ही पार्टी नेताओं ने जनता को यह विश्वास दिलाया कि यही पार्टी है जो सियासत और दिल्ली की रंगत दोनों बदल सकती है। दिल्ली की जनता ने आप को सत्ता सौंप दी। लेकिन, साढ़े तीन साल के कार्यकाल में अपने 70 सूत्रीय घोषणा पत्र के सात वादे भी यह सरकार पूरे नहीं कर सकी है।
नतीजा यह कि जनता का इस पार्टी एवं इसके नेताओं दोनों से मोह भंग हो रहा है। केवल दिल्ली में ही सत्ता पाने में कामयाब रही। आम आदमी पार्टी की सियासी जमीन दिल्ली में ही तेजी से खिसक रही है।
महात्मा गाँधी बनाम केजरीवाल
आज केजरीवाल पार्टी द्वारा पुनः धरना फार्मूले को अपनाने पर ब्रिटिश शासन महात्मा गाँधी के धरने और प्रदर्शन के विषय में सुने किस्से स्मरण हो रहे हैं। जिस तरह गाँधी द्वारा स्वतन्त्रता सेनानियों द्वारा आज़ादी की ज्वाला से आम नागरिकों का ध्यान भटकाने के लिए धरने और प्रदर्शन किये जाते थे, उसी इतिहास को आज केजरीवाल जीवित कर रहे हैं। अन्तर केवल इतना ही है कि यह अपनी नाकामियों से जनता का ध्यान भटका रहे हैं। हमें आज़ादी महात्मा गाँधी के आंदोलन और धरनों से नहीं बल्कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस, पंडित चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह आदि के सहयोगियों की कुर्बानियों से मिली है। अगर आज़ादी का श्रेय गाँधी को दिया जाता है, वह सरासर गलत है, अगर गाँधी आज़ादी चाहते तो भगत सिंह को समय से पूर्व फांसी नहीं होती, पंडित चंद्रशेखर आज़ाद गाँधी के किस सहयोगी से मिलकर आ रहे थे, जब पुलिस ने उन्हें घेर कर मारा था। जिस तरह धरने और प्रदर्शन की आड़ में, गाँधी देश में तुष्टिकरण के जहरीले पौधे को सींच रहे थे, जिस आग में समस्त भारत आज तक जल रहा है। केजरीवाल उसी तर्ज़ पर धरने कर देश में अराजकता फ़ैलाने का प्रयास कर रहे हैं।
केजरीवाल जवाब दो
किसी अधिकारी को देर रात बुलाकर मार-पिटाई करना कौन-सा राष्ट्रधर्म है? पिटाई भी किसकी दिल्ली के मुख्य सचिव की। कुछ तो शर्म करो। आपकी उपस्थिति में यह सब घिनौना काम हुआ था। भारत को सीरिया मत बनाओ, केजरीवाल जी। पद की मर्यादा नहीं रख सकते, छोड़ दो मुख्यमंत्री पद। जोंक की तरह कुर्सी से चिपको मत। देर रात दिल्ली सचिव को बुलाकर अपमानित करने का अधिकार किसने दिया था?
दिल्ली को याद आ रहा कांग्रेस शासन
दिल्लीवासी कांग्रेस के शासन को लगातार याद कर रहे हैं, इसीलिए कांग्रेस का मत फीसद नौ से बढ़कर 26 हो गया है जबकि आप का 56 से घटकर 26 पर आ गया है। गत वर्ष 272 वार्डों के लिए हुए नगर निगम चुनावों में आप को केवल 49 सीटें ही मिल पाईं। इसी तरह विधानसभा चुनाव में जीती हुई राजौरी गार्डन सीट भी उपचुनाव में चली गई। सिर्फ बवाना विधानसभा सीट पर ही पार्टी उपचुनाव में पार्टी अपनी इज्जत बचा सकी थी।
कनार्टक और गोवा में पार्टी का खाता ही नहीं खुला तो पंजाब में शाहकोट का चुनावी नतीजा बहुत कुछ बयां कर देने के लिए काफी है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक केजरीवाल ट्वीट में सच ही लिख रहे हैं कि उनके पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है। 2019 के लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है तो विधानसभा चुनाव भी अब बहुत दूर नहीं है। ऐसे में पार्टी इस तरह धरने-प्रदर्शन कर जनता को यह भरोसा दिलाने में जुट गई है कि वह तो जनता के लिए काफी कुछ करना चाहती है, लेकिन केंद्र सरकार, उपराज्यपाल एवं अधिकारी उनकी राह में निरंतर बाधा उत्पन्न कर रहे हैं।
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यही वजह है कि राजनिवास के प्रतीक्षालय में बैठकर भी केजरीवाल और उनके सहयोगी मंत्री सिर्फ धरना नहीं दे रहे बल्कि सोशल मीडिया के जरिये पूरी राजनीति कर रहे हैं। जून 11 देर से ही वाट्सएप पर केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के ट्वीट संदेशों के साथ AAP कार्यकर्ताओं को राजनिवास बुलाने का न्योता देना शुरू कर दिया गया था। जून 12 को केजरीवाल के सरकारी आवास के बाहर बाकायदा टेंट लगाकर धरना शुरू भी कर दिया गया। जून 13 को यहीं से राजनिवास तक मार्च करने का कार्यक्रम भी बनाया गया है।
प्राप्त अधिकारों का उपयोग नहीं किया जा रहा -- कांग्रेस
धरने को लेकर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन का कहना है कि हम तो लगातार यह कह ही रहे हैं आप सरकार पूरी तरह से फ्लॉप हो गई है। वह जनता के बीच जाने लायक ही नहीं बची है, इसीलिए इस तरह के प्रपंच रच रही है। उधर भूतपूर्व मुख्यमन्त्री शीला दीक्षित भी कहना है कि जितने अधिकार वर्तमान दिल्ली सरकार के पास है, उतने ही अधिकार मेरे और मेरी सरकार से पूर्व सरकारों के भी पास थे, सभी ने जनता के हित में केन्द्र और उपराज्यपाल के साथ मिलकर काम किया, कभी किसी ने किसी का विरोध नहीं किया। विरोध वाली स्थिति में दोनों ने शांति से उसका हल निकाला। लेकिन जिसे सरकार चलाने का अनुभव ही नहीं, और जो सीखना भी न चाहे, तो इस तरह के विवाद पैदा होंगे ही।
चुनावी वादे पूरे न करने में विफल केजरीवाल सरकार -- भाजपा
नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता की मानें तो आप सरकार लगातार और अधिकारों की मांग कर रही है, लेकिन जो अधिकार मिले हुए हैं, उनका उपयोग नहीं कर पा रही। बिजली, पानी, प्रदूषण, परिवहन, सड़कों तक की समस्याओं तक से जनता को राहत नहीं दिला सकी है। ऐसे में अपनी कमी का ठीकरा अब उपराज्यपाल, केंद्र सरकार और अधिकारियों के सिर फोड़ने में लगी है।
दिल्ली की जनता ही केजरीवाल के साथ नहीं
वहीं, दिल्ली सरकार को इस मोर्चे पर एक झटका भी लगा है। दरअसल, राजनिवास पर मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों के धरने को लेकर दिल्ली प्रदेश भाजपा ने ट्विटर पर एक सर्वे कराया जिसमें 95 फीसद लोगों ने अरविंद केजरीवाल से इस्तीफे की मांग की।
दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी का कहना है कि चुनावी वादे पूरा करने और जनसमस्याएं हल करने में आम आदमी पार्टी की सरकार पूरी तरह से विफल रही है। भाजपा इन मुद्दों पर उन्हें खुली बहस की चुनौती देती है। पार्टी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता बुधवार को मुख्यमंत्री से इन मुद्दों पर चर्चा के लिए शहीदी पार्क में धरना देंगे।
दिल्ली प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि राजनिवास में मुख्यमंत्री व मंत्रियों का धरना सुनियोजित है। पानी, बिजली, अस्पताल, शिक्षा, अनधिकृत कालोनियों के नियमितिकरण जैसे मुद्दे पर यह सरकार विफल रही है। केजरीवाल सरकार ने अगर कोई काम किया है तो वह है लोक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य विभाग एवं मोहल्ला क्लीनिक में भ्रष्टाचार, राशन विभाग में हेराफेरी और महिलाओं का उत्पीड़न। आज जब जनता मुख्यमंत्री से इन मुद्दों व उनके वादों पर जवाब मांग रही है तो वह उपराज्यपाल व अधिकारियों के साथ टकराव बढ़ा रहे हैं। उनका पूर्ण राज्य का मुद्दा तो एक बहाना है, असली मकसद दिल्ली की समस्याओं से जनता का ध्यान भटकाना है।
उन्होंने कहा कि अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए राजनिवास में धरने का जो नाटक सोमवार शाम से चल रहा है वह जनवरी, 2014 राजपथ पर दिए गए धरने की पुनरावृत्ति है। उस समय अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए लोकपाल को मुद्दा बनाया गया था और आज पूर्ण राज्य व अधिकारियों से टकराव को बहाना बनाया गया है। लेकिन, अब उन्हें जनता के मुद्दों पर जवाब देना होगा। प्रदेश भाजपा महामंत्री कुलजीत चहल ने ट्विटर पर जो सर्वे कराया है उसमें भी लोगों की नाराजगी सामने आ गई है।
प्राप्त समाचार के अनुसार भूतपूर्व वित्त मंत्री और भाजपा से त्यागपत्र दे चुके यशवन्त सिन्हा भी केजरीवाल के इस धरना ड्रामा में सम्मिलित हो गए हैं।
राजनिवास का धरना तो एक बहाना है, हकीकत यह है कि आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल इस धरने के जरिये तेजी से खिसक रही सियासी जमीन बचाने की कोशिश में जुटे हैं। धरने को जनता के लिए संघर्ष का नाम देकर इसे भुनाने की हर संभव कोशिश की जा रही है।
धरने- प्रदर्शन के बीच ही आप का जन्म हुआ और धरने कर करके ही पार्टी नेताओं ने जनता को यह विश्वास दिलाया कि यही पार्टी है जो सियासत और दिल्ली की रंगत दोनों बदल सकती है। दिल्ली की जनता ने आप को सत्ता सौंप दी। लेकिन, साढ़े तीन साल के कार्यकाल में अपने 70 सूत्रीय घोषणा पत्र के सात वादे भी यह सरकार पूरे नहीं कर सकी है।
नतीजा यह कि जनता का इस पार्टी एवं इसके नेताओं दोनों से मोह भंग हो रहा है। केवल दिल्ली में ही सत्ता पाने में कामयाब रही। आम आदमी पार्टी की सियासी जमीन दिल्ली में ही तेजी से खिसक रही है।
महात्मा गाँधी बनाम केजरीवाल
आज केजरीवाल पार्टी द्वारा पुनः धरना फार्मूले को अपनाने पर ब्रिटिश शासन महात्मा गाँधी के धरने और प्रदर्शन के विषय में सुने किस्से स्मरण हो रहे हैं। जिस तरह गाँधी द्वारा स्वतन्त्रता सेनानियों द्वारा आज़ादी की ज्वाला से आम नागरिकों का ध्यान भटकाने के लिए धरने और प्रदर्शन किये जाते थे, उसी इतिहास को आज केजरीवाल जीवित कर रहे हैं। अन्तर केवल इतना ही है कि यह अपनी नाकामियों से जनता का ध्यान भटका रहे हैं। हमें आज़ादी महात्मा गाँधी के आंदोलन और धरनों से नहीं बल्कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस, पंडित चंद्रशेखर आज़ाद और भगत सिंह आदि के सहयोगियों की कुर्बानियों से मिली है। अगर आज़ादी का श्रेय गाँधी को दिया जाता है, वह सरासर गलत है, अगर गाँधी आज़ादी चाहते तो भगत सिंह को समय से पूर्व फांसी नहीं होती, पंडित चंद्रशेखर आज़ाद गाँधी के किस सहयोगी से मिलकर आ रहे थे, जब पुलिस ने उन्हें घेर कर मारा था। जिस तरह धरने और प्रदर्शन की आड़ में, गाँधी देश में तुष्टिकरण के जहरीले पौधे को सींच रहे थे, जिस आग में समस्त भारत आज तक जल रहा है। केजरीवाल उसी तर्ज़ पर धरने कर देश में अराजकता फ़ैलाने का प्रयास कर रहे हैं।
केजरीवाल जवाब दो
किसी अधिकारी को देर रात बुलाकर मार-पिटाई करना कौन-सा राष्ट्रधर्म है? पिटाई भी किसकी दिल्ली के मुख्य सचिव की। कुछ तो शर्म करो। आपकी उपस्थिति में यह सब घिनौना काम हुआ था। भारत को सीरिया मत बनाओ, केजरीवाल जी। पद की मर्यादा नहीं रख सकते, छोड़ दो मुख्यमंत्री पद। जोंक की तरह कुर्सी से चिपको मत। देर रात दिल्ली सचिव को बुलाकर अपमानित करने का अधिकार किसने दिया था?
दिल्ली को याद आ रहा कांग्रेस शासन
दिल्लीवासी कांग्रेस के शासन को लगातार याद कर रहे हैं, इसीलिए कांग्रेस का मत फीसद नौ से बढ़कर 26 हो गया है जबकि आप का 56 से घटकर 26 पर आ गया है। गत वर्ष 272 वार्डों के लिए हुए नगर निगम चुनावों में आप को केवल 49 सीटें ही मिल पाईं। इसी तरह विधानसभा चुनाव में जीती हुई राजौरी गार्डन सीट भी उपचुनाव में चली गई। सिर्फ बवाना विधानसभा सीट पर ही पार्टी उपचुनाव में पार्टी अपनी इज्जत बचा सकी थी।
कनार्टक और गोवा में पार्टी का खाता ही नहीं खुला तो पंजाब में शाहकोट का चुनावी नतीजा बहुत कुछ बयां कर देने के लिए काफी है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक केजरीवाल ट्वीट में सच ही लिख रहे हैं कि उनके पास अब कोई विकल्प नहीं बचा है। 2019 के लोकसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो गई है तो विधानसभा चुनाव भी अब बहुत दूर नहीं है। ऐसे में पार्टी इस तरह धरने-प्रदर्शन कर जनता को यह भरोसा दिलाने में जुट गई है कि वह तो जनता के लिए काफी कुछ करना चाहती है, लेकिन केंद्र सरकार, उपराज्यपाल एवं अधिकारी उनकी राह में निरंतर बाधा उत्पन्न कर रहे हैं।
अवलोकन करें:--·
प्राप्त अधिकारों का उपयोग नहीं किया जा रहा -- कांग्रेस
धरने को लेकर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन का कहना है कि हम तो लगातार यह कह ही रहे हैं आप सरकार पूरी तरह से फ्लॉप हो गई है। वह जनता के बीच जाने लायक ही नहीं बची है, इसीलिए इस तरह के प्रपंच रच रही है। उधर भूतपूर्व मुख्यमन्त्री शीला दीक्षित भी कहना है कि जितने अधिकार वर्तमान दिल्ली सरकार के पास है, उतने ही अधिकार मेरे और मेरी सरकार से पूर्व सरकारों के भी पास थे, सभी ने जनता के हित में केन्द्र और उपराज्यपाल के साथ मिलकर काम किया, कभी किसी ने किसी का विरोध नहीं किया। विरोध वाली स्थिति में दोनों ने शांति से उसका हल निकाला। लेकिन जिसे सरकार चलाने का अनुभव ही नहीं, और जो सीखना भी न चाहे, तो इस तरह के विवाद पैदा होंगे ही।
चुनावी वादे पूरे न करने में विफल केजरीवाल सरकार -- भाजपा
नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता की मानें तो आप सरकार लगातार और अधिकारों की मांग कर रही है, लेकिन जो अधिकार मिले हुए हैं, उनका उपयोग नहीं कर पा रही। बिजली, पानी, प्रदूषण, परिवहन, सड़कों तक की समस्याओं तक से जनता को राहत नहीं दिला सकी है। ऐसे में अपनी कमी का ठीकरा अब उपराज्यपाल, केंद्र सरकार और अधिकारियों के सिर फोड़ने में लगी है।
दिल्ली की जनता ही केजरीवाल के साथ नहीं
वहीं, दिल्ली सरकार को इस मोर्चे पर एक झटका भी लगा है। दरअसल, राजनिवास पर मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों के धरने को लेकर दिल्ली प्रदेश भाजपा ने ट्विटर पर एक सर्वे कराया जिसमें 95 फीसद लोगों ने अरविंद केजरीवाल से इस्तीफे की मांग की।
दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी का कहना है कि चुनावी वादे पूरा करने और जनसमस्याएं हल करने में आम आदमी पार्टी की सरकार पूरी तरह से विफल रही है। भाजपा इन मुद्दों पर उन्हें खुली बहस की चुनौती देती है। पार्टी के पदाधिकारी व कार्यकर्ता बुधवार को मुख्यमंत्री से इन मुद्दों पर चर्चा के लिए शहीदी पार्क में धरना देंगे।
दिल्ली प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि राजनिवास में मुख्यमंत्री व मंत्रियों का धरना सुनियोजित है। पानी, बिजली, अस्पताल, शिक्षा, अनधिकृत कालोनियों के नियमितिकरण जैसे मुद्दे पर यह सरकार विफल रही है। केजरीवाल सरकार ने अगर कोई काम किया है तो वह है लोक निर्माण विभाग, स्वास्थ्य विभाग एवं मोहल्ला क्लीनिक में भ्रष्टाचार, राशन विभाग में हेराफेरी और महिलाओं का उत्पीड़न। आज जब जनता मुख्यमंत्री से इन मुद्दों व उनके वादों पर जवाब मांग रही है तो वह उपराज्यपाल व अधिकारियों के साथ टकराव बढ़ा रहे हैं। उनका पूर्ण राज्य का मुद्दा तो एक बहाना है, असली मकसद दिल्ली की समस्याओं से जनता का ध्यान भटकाना है।
उन्होंने कहा कि अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए राजनिवास में धरने का जो नाटक सोमवार शाम से चल रहा है वह जनवरी, 2014 राजपथ पर दिए गए धरने की पुनरावृत्ति है। उस समय अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए लोकपाल को मुद्दा बनाया गया था और आज पूर्ण राज्य व अधिकारियों से टकराव को बहाना बनाया गया है। लेकिन, अब उन्हें जनता के मुद्दों पर जवाब देना होगा। प्रदेश भाजपा महामंत्री कुलजीत चहल ने ट्विटर पर जो सर्वे कराया है उसमें भी लोगों की नाराजगी सामने आ गई है।
प्राप्त समाचार के अनुसार भूतपूर्व वित्त मंत्री और भाजपा से त्यागपत्र दे चुके यशवन्त सिन्हा भी केजरीवाल के इस धरना ड्रामा में सम्मिलित हो गए हैं।
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