Skip to main content

क्या धरना ही अरविंद केजरीवाल का राजधर्म है?

दिल्ली: अपने मंत्रियों के साथ एलजी हाउस में धरने पर बैठे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
केजरीवाल के साथ डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया,
मंत्री - गोपाल राय और सत्येंद्र जैन भी
एलजी हाउस में धरने पर बैठे हैं. (फोटो साभार - @AamAadmiParty)


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके कैबिनेट सहकर्मियों ने जून 11 की शाम उप राज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात की और अपनी तीन मांगों के स्वीकार होने तक उनके कार्यालय में बैठे रहने का फैसला किया. केजरीवाल के साथ डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया, मंत्री - सत्येंद्र जैन और गोपाल राय भी धरने पर बैठे हुए हैं.




View image on TwitterView image on TwitterView image on TwitterView image on Twitter

Handed him this letter. LG refuses to take action. LG is under constitutional duty to act. Left wid no option, we have politely told LG that we will not leave till he acts on all points. We hv come out of his chamber n sitting in his waiting room
केजरीवाल ने उप राज्यपाल (एलजी) कार्यालय के प्रतीक्षा कक्ष से शाम छह बजे ट्वीट किया कि बैजल को एक पत्र सौंपा गया लेकिन उन्होंने कार्रवाई करने से इनकार कर दिया.  उन्होंने ट्वीट किया , ‘उन्हें पत्र सौंपा. एलजी ने कार्रवाई करने से इनकार कर दिया. कार्रवाई करना एलजी की संवैधानिक कर्तव्य है. कोई विकल्प नहीं बचने पर हमने एलजी से विनम्रता से कहा है कि जब तक वह सभी विषयों पर कार्रवाई नहीं करेंगे , तब तक वे वहां से नहीं जाएंगे. 
हमारी एलजी साहब से 3 विनती हैं -
- IAS अधिकारियों की गैरकानूनी हड़ताल तुरंत खत्म कराएं, क्योंकि सर्विस विभाग के मुखिया आप हैं,
- काम रोकने वाले IAS अधिकारियों के खिलाफ सख्त एक्शन लें, और
- राशन की डोर-स्टेप-डिलीवरी की योजना को मंजूर करें। https://twitter.com/msisodia/status/1006156893746688001 
मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा - हमारी एलजी साहब से 3 विनती हैं - IAS अधिकारियों की गैरकानूनी हड़ताल तुरंत खत्म कराएं, क्योंकि सर्विस विभाग के मुखिया एलजी हैं, काम रोकने वाले IAS अधिकारियों के खिलाफ सख्त एक्शन लें, और राशन की डोर-स्टेप-डिलीवरी की योजना को मंजूर करें. 




After LG refuses to take action, Delhi CM @ArvindKejriwal said that along with @msisodia @SatyendarJain & @AapKaGopalRai he we will not leave till @LtGovDelhi acts on all points.

All are sitting in his waiting room.
सिसोदिया ने कहा कि वह हड़ताल के बारे में एलजी से पांच बार मिले लेकिन उन्होंने इसे खत्म कराने के लिए कुछ नहीं किया. उन्होंने राज निवास से ट्वीट किया , ‘‘ एक निर्वाचित सरकार कैसे काम कर सकती है , यदि एलजी आईएएस अधिकारियों की हड़ताल का इस तरह से समर्थन करेंगे. ’’ 
गौरतलब है कि मुख्य सचिव अंशु प्रकाश पर केजरीवाल के आवास पर फरवरी में हुए कथित हमले के बाद से आप सरकार और नौकरशाही के बीच तकरार चल रही है.​ 
बेवजह धरना दे रहे हैं केजरीवाल : उपराज्यपाल
वहीं दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने शनिवार को कहा कि अरविंद केजरीवाल और उनके तीन मंत्री यहां राजनिवास में एक और बेवजह धरना दे रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने उन्हें अधिकारियों को वहां बुलाने और उनकी हड़ताल खत्म कराने की धमकी दी है. उपराज्यपाल (एलजी) कार्यालय ने एक बयान में कहा कि बैजल ने केजरीवाल से मुलाकात के दौरान कहा कि अधिकारी किसी हड़ताल पर नहीं हैं और मुख्यमंत्री को विश्वास का माहौल बनाने तथा नौकरशाही की वास्तविक समस्याओं का हल करने की सलाह दी. 
अवलोकन करें:--

NIGAMRAJENDRA28.BLOGSPOT.COM
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भारतीय जनता ...


arvind kejriwalक्या धरना ही अरविंद केजरीवाल का राजधर्म है?

चार महीने पहले दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी अंशु प्रकाश से हुए विवाद के बाद से कैमरों से दूरी बनाकर चल रहे केजरीवाल एक बार फिर धरना मोड में आ गए हैं. इस बार वे रेल भवन के सामने की सड़क या जंतर-मंतर जैसे परिचित स्थानों के बजाय दिल्ली के राजनिवास में ही धरनानशीं हो रहे हैं. केजरीवाल की मांग है कि दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के आइएएस अफसरों की कथित हड़ताल खत्म कराएं. जब तक यह हड़ताल खत्म नहीं होती, तब तक वे राजनिवास से नहीं हटेंगे.
बढ़ेगी केजरीवाल की राजनैतिक अस्वीकार्यता
यह धरना कितना जायज या जरूरी है, इसकी पड़ताल तो की ही जाएगी, लेकिन इसके पहले यह भी समझना होगा कि कहीं यह सब करके केजरीवाल राजनीति और अफसरशाही में अपनी अस्वीकार्यता और ज्यादा तो नहीं बढ़ा रहे हैं. और कहीं ऐसा न हो कि उनके अप्रत्याशित व्यवहार के कारण अफसर और नेता उनसे किनारा करने लगें. पाठकों को याद होगा कि 2014 लोकसभा चुनाव के पहले जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने केजरीवाल को मिलने के लिए समय देने से मना कर दिया था. इस बार जब दिल्ली में धुंध छायी तब पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह भी केजरीवाल से मुलाकात करने से कन्नी काटते रहे. यही हाल हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर का रहा.
सरकारी बैठकों में कैसे मिलेगा न्योता
असल में, ज्यादातर नेताओं को लगने लगा है कि अगर वे केजरीवाल से मिलेंगे तो पता नहीं कौन सा नया तमाशा खड़ा हो जाए. और अब जब वे बिना बताए राजनिवास पर धरने पर बैठ गए हैं, तो हो सकता है प्रधानमंत्री या नीति आयोग तक अपनी बैठकों में मुख्यमंत्री को बुलाने से पहले दस बार सोचें कि कहीं कोई नया बखेड़ा खड़ा न हो जाए.
केजरीवाल क्या वाकई धरने का मर्म जानते हैं
धरना राजनीति में महारत हासिल कर चुके केजरीवाल निश्चित तौर पर देश में धरने के इतिहास और जन्म के बारे में जानते ही होंगे. भारतीय राजनीति में उपवास, धरना प्रदर्शन, हड़ताल और असहयोग को महत्वपूर्ण औजार बनाने का काम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने शुरू किया था. गांधी जी के पास इन सब चीजों की आध्यात्मिक वजहें तो थी हीं, साथ ही यह भी उद्देश्य था कि सरकार से हिंसक तरीके से मांग मनवाने की कोशिश करने के बजाय अहिंसक तरीके से बात मंगवाने का दबाव डाला जाए. गांधी जी ने जो परंपरा विकसित की उसमें इस तरह के विरोध की पूर्व सूचना सरकार, प्रशासन और संबंधित व्यक्ति को देने का रिवाज बन गया. यह सुखद संयोग है कि आजादी के बाद मूल्यों में ह्रास होने के बावजूद यह परंपरा बनी रही.
इस परंपरा के बने रहने से प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा उपाय कर लिए जाते हैं, ताकि जन धन की हानि न हो, दूसरा यह कि संबंधित पक्ष के पास धरना शुरू होने से पहले संवाद की गुंजाइश बनी रहती है. आखिर धरने का मूल उद्देश्य तो समस्या का निराकरण ही है. लेकिन केजरीवाल इस परंपरा को बार-बार तोड़ देते हैं. गांधी के विश्वास के तरीके को केजरीवाल छापामार अहिंसक तरीके में बदल रहे हैं. गांधी जी इस तरह के तरीके को उचित नहीं मानते थे. बापू तो यहां तक कहते थे कि वे अपने विरोधियों के खिलाफ कभी उपवास पर नहीं बैठेंगे. क्योंकि ऐसा उपवास ब्लैकमेलिंग होगा. गांधी उन लोगों को जगाने के लिए उपवास पर बैठते थे जो उनके अपने होते थे, और उपवास का मकसद उन लोगों की अंतरात्मा को जगाकर हृदय परिवर्तन करना होता था. गांधी ने एक बार यहां तक कहा कि वे जनरल डायर के खिलाफ उपवास नहीं करेंगे, क्योंकि डायर उन्हें अपना दुश्मन मानते हैं. केजरीवाल और उपराज्यपाल के मामले में दुश्मनी का रिश्ता तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन अविश्वास का रिश्ता तो है ही. यह अविश्वास आने वाले समय में रिश्तों को न सिर्फ बिगाड़ेगा, बल्कि केजरीवाल के साथ उच्च स्तरीय बैठकों की संभावनाएं भी कम करेगा.
उपराज्यपाल और मुख्य सचिव भी निभाएं मर्यादा
ऐसा नहीं है कि केजरीवाल सिर्फ बैजल से ही परेशान हों, इसके पहले उपराज्यपाल रहे नजीब जंग से भी उनकी रोज तू तू मैं मैं हुआ करती थी. कानूनी बारीकियां चाहे कुछ भी हों, लेकिन इतना तो दिखता ही है कि एक चुनी हुई सरकार के हर फैसले पर राजनिवास लाल स्याही से क्रॉस का निशाना बनाने पर आमादा रहता है. अगर केजरीवाल आक्रामक हो जाते हैं तो राजनिवास ने भी कभी इस बात की बहुत फिक्र नहीं की कि इस सब विवाद से महामहिम के पद की गरिमा कितनी कम होती जा रही है.
वे किसके आदेशों पर कम करते हैं, यह तो वहीं जानें, लेकिन अगर मुख्यमंत्री को लग रहा है कि अफसर नाफरमानी कर रहे हैं, तो उपराज्यपाल को दखल देना ही चाहिए. क्योंकि चाहे अफसर हों या कर्मचारी वे किसी के निजी सेवक तो हैं नहीं, वे सिविल सर्वेंट यानी जन सेवक हैं. अगर वे सेवा में कोताही बरत रहे हैं तो इसका नुकसान सीधे तौर पर दिल्ली की ढाई करोड़ जनता को हो रहा है.
इसी तरह चीफ सेक्रेटरी के साथ भले ही कैसा व्यवहार हुआ हो, लेकिन वे जनता की सेवा के अपने काम से मुंह नहीं मोड़ सकते. वे मुख्यमंत्री से मन ही मन खुन्न्स रखें और कानूनी लड़ाई लडें यह अलग बात है, लेकिन सरकार के काम में किसी झगड़े की वजह से हीला-हवाली करना गंभीर मामला है. अगर उन्हें लगता है कि वे काम नहीं कर पा रहे हैं, तो उन्हें अपने तबादले के लिए अर्जी लगानी चाहिए. लेकिन पूरी सरकार को पंगु बना देना, आपराधिक बेईमानी है.
मूक दर्शक केंद्र किस काम का
इस तरह के मामलों में हमेशा यह देखने में आता है कि केंद्र सरकार इस तरह मूकदर्शक बन जाती है, जैसे दिल्ली की जनता के प्रति उसकी कोई जवाबदेही नहीं है. जब दिल्ली सरकार का मुखिया उपराज्यपाल है और उपराज्यपाल की रिपोर्टिंग केंद्र सरकार को है, तो केंद्र को हस्तक्षेप या मध्यस्थ की भूमिका निभानी ही चाहिए. केंद्र इस अर्ध राज्य को अपने भरोसे पर नहीं छोड़ सकता. लेकिन चाहे एमसीडी कर्मचारियों की हड़ताल हो, चाहे चीफ सेक्रेटरी का मामला हो, या अब आइएएस अफसरों की कथित हड़ताल हो, हर बार केंद्र खामोश सा नजर आया.
तीनों पक्षों का व्यवहार ऐसा लगता है कि जैसे उन सबका अलग-अलग एजेंडा हो. और तीनों के एजेंडा से जनता गायब हो. जबकि तीनों पक्षों की आज की जो हैसियत है, वह जनता की ही कृपा से है. सबका राजधर्म जनहित होना चाहिए. लेकिन यहां तो हड़ताल के खिलाफ धरना और धरने के बाद धमकी के आरोप लग रहे हैं. यह सब बहुत गड़बड़ है, बहुत ही गड़बड़.


Comments

AUTHOR

My photo
shannomagan
To write on general topics and specially on films;THE BLOGS ARE DEDICATED TO MY PARENTS:SHRI M.B.L.NIGAM(January 7,1917-March 17,2005) and SMT.SHANNO DEVI NIGAM(November 23,1922-January24,1983)

Popular posts from this blog

भोजपुरी एक्ट्रेस त्रिशा कर मधु का MMS…सोशल मीडिया पर हुआ लीक

सोशल मीडिया पर भोजपुरी एक्ट्रेस और सिंगर त्रिशा कर मधु का MMS लीक हो गया है, जिससे वो बहुत आहत हैं, एक्ट्रेस ने सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां किया है, त्रिशा मधु ने इस बात को कबूल किया है कि वीडियो उन्होंने ही बनाया है लेकिन इस बात पर यकीन नहीं था कि उन्हें धोखा मिलेगा। गौरतलब है कि हाल ही में त्रिशा का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा था जिसमें वह एक शख्स के साथ आपत्तिजनक स्थिति में नजर आ रही थीं। इस वीडियो के वायरल होने के बाद अभिनेत्री ने इसे डिलीट करने की गुहार लगाई साथ ही भोजपुरी इंडस्ट्री के लोगों पर उन्हें बदनाम करने की साजिश का आरोप लगाया। त्रिशा मधु कर ने अपने फेसबुक पेज पर एक वीडियो के साथ पोस्ट लिखा है जिसमें कहा, आप लोग बोल रहे हैं कि खुद वीडियो बनाई है। हां, हम दोनों ने वीडियो बनाया थ। पर मुझे ये नहीं मालूम था कि कल को मेरे साथ धोखा होने वाला है। कोई किसी को गिराने के लिए इतना नीचे तक गिर जाएगा, यह नहीं पता था। इससे पहले त्रिशा ने वायरल हो रहे वीडियो पर अपना गुस्सा जाहिर किया था और कहा था कि उनको बदनाम करने को साजिश की जा रही है। त्रिशा मधु कर ने सोशल मीडिया पर ए

राखी सावंत की सेक्सी वीडियो वायरल

बॉलीवुड की ड्रामा क्वीन राखी सावंत हमेशा अपनी अजीबो गरीब हरकत से सोशल मिडिया पर छाई रहती हैं। लेकिन इस बार वह अपनी बोल्ड फोटो के लिए चर्चे में हैं. उन्होंने हाल ही में एक बोल्ड फोटो शेयर की जिसमें वह एकदम कहर ढाह रही हैं. फोटो के साथ-साथ वह कभी अपने क्लीवेज पर बना टैटू का वीडियो शेयर करती हैं तो कभी स्नैपचैट का फिल्टर लगाकर वीडियो पोस्ट करती हैं. वह अपने अधिकतर फोटो और वीडियो में अपने क्लीवेज फ्लांट करती दिखती हैं. राखी के वीडियो को देखकर उनके फॉलोवर्स के होश उड़ जाते हैं. इसी के चलते उनकी फोटो और वीडियो पर बहुत सारे कमेंट आते हैं. राखी अपने बयानों की वजह से हमेशा सुर्खियों में रहती हैं.राखी अक्सर अपने रिलेशनशिप को लेकर हमेशा चर्चा में बनी रहतीं हैं. राखी कभी दीपक कलाल से शादी और लाइव हनीमून जैसे बयान देती हैं तो कभी चुपचाप शादी रचाकर फैंस को हैरान कर देती हैं. हंलाकि उनके पति को अजतक राखी के अलावा किसी ने नहीं देखा है. वह अपने पति के हाथों में हाथ डाले फोटो शेयर करती हैं लेकिन फोटो में पति का हाथ ही दिखता है, शक्ल नहीं. इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर राखी जो भी शेयर करती हैं वह भी चर्चा

रानी चटर्जी की बोल्ड तस्वीरों ने हिलाया इंटरनेट

भोजपुरी इंडस्ट्री में अपने अलग अदांज से धाक जमाने वाली रानी चटर्जी अब तक 300 से ज्यादा फिल्में कर चुकी हैं. एक्ट्रेस की गिनती इंडस्ट्री की नामी एक्ट्रेस में होती है. उनकी हर अदा पर फैंस की नजर बनी रहती हैं. इस बीच वो अपनी लेटेस्ट फोटो के चलते चर्चा का विषय बन गई हैं. ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब उनकी किसी हॉट फोटो ने सोशल मीडिया पर धूम मचाई हो. बल्कि ऐसा हर बार देखने को मिलता है. वहीं इस बार भी एक्ट्रेस की नई तस्वीर को खूब पसंद किया जा रहा है. साथ वो इस नई तस्वीर में बेहद हॉट और बोल्ड नजर आ रही हैं. फोटो में रानी काफी प्यारी दिख रही है. तस्वीरों में रानी का स्टाइलिश अंदाज भी उनके फॉलोअर्स का ध्यान उनकी ओर खींच रहा है. रानी चटर्जी सोशल मी़डिया पर भी काफी एक्टिव रहती हैं और अपनी हॉट सेक्सी फोटो वीडियो फैंस के साथ शेयर करती रहती हैं. वहीं उनके फैंस भी उनकी नई अपडेट पर नजर बनाए बैठे रहते हैं. अक्सर रानी के बोल्ड फोटो सोशल मीडिया पर ट्रेंड करते नजर आते हैं. हाल ही में रानी के नए लुक ने इंटरनेट को हिला दिया है. इस फोटो में रानी लाल रंग की ड्रेस में नजर आ रही हैं. इस ड्रेस में रानी अपने सेक्सी