कर्नाटक में सरकार बनाने को लेकर शह-मात का खेल और दिलचस्प हो गया है, बीजेपी विधायक दल के नेता चुने गए येदियुरप्पा ने राज्यपाल से मिल जहां सरकार बनाने का दावा ठोका, तो वहीं चुनाव बाद एक हुए कांग्रेस-जेडीएस भी रणनीति बनाने में जुटे हैं। आज मई 17 को येदियुरप्पा ने राज्य के मुख्यमन्त्री की शपथ जरूर ले ली है, लेकिन बहुमत सिद्ध करना बाकी है। और बहुमत सिद्ध करने के लिए जो खेल खिलेगा उससे हर नागरिक अच्छी तरह परिचित है, कुछ कहने अथवा लिखने की जरुरत नहीं। कांग्रेस और जेडीएस अपने-अपने विधायकों को राज्य से बाहर रिसोर्ट में ले गए हैं, इस पर कितना धन खर्च होगा, इससे भी जनता भलीभांति परिचित है। यह धन कौन खर्च करेगा और कहाँ से करेगा, कोई नहीं पूछने वाला। वहाँ उनकी हर सुविधा और सम्मान का हर कीमत पर ध्यान रखा जाएगा। प्रश्न यह उत्पन्न होता है कि जनता को भ्रष्टाचार से मुक्त कराने वाले नेता ही जब भ्रष्ट तरीके अपनाएंगे, भ्रष्टाचार कहाँ से दूर होगा? यदि पार्टियाँ इतनी ईमानदार हैं, तो अपने-अपने विधायकों को राज्य में ही रहने देते, धन की बर्बादी नहीं होती। बिकाऊ तो हर हाल में बिकेगा, दुनियाँ की कोई ताकत...