हेलन और सलीम खान फ़िल्मी दुनियाँ अगर अपने दर्शकों का मनोरंजन करती है, तो इससे जुड़े लोगों को अपनी निजी ज़िंदगी में फूलों की सेज़ की बजाए काँटों भरी ज़िंदगी जीने के लिए मजबूर होना पड़ता है। फिल्मों की चकाचोंध में समाज को दिशा देने वाले ही दिशाहीन हो नरकीय जीवन जीने को मजबूर हो जाते हैं। किसी को अच्छा हमसफ़र मिल जाता है, तो कोई एक डाल से दूसरी और दूसरी से तीसरी दल पर अपना आशियाना तलाशते रहते/रहती हैं। अनेकों नाम है ऐसे जिन्हे इसी फ़िल्मी दुनियाँ ने लूटा भी खूब। एक लम्बी सूची बिना किसी विलम्ब के बन सकती है, जिनमे पुरुष कलाकारों से अधिक नाम महिला कलाकारों के आते हैं। परवीन बॉबी , विम्मी(फिल्म नानक नाम जहाज है और हमराज़ आदि की चर्चित अभिनेत्री) आदि का क्या हुआ? शादी के चक्कर में न जाने महीनो तक हवस की शिकार होती रहीं, अफ़सोस, नींबू निचोड़ कर फेंक दिया। अस्सी के दशक में पत्रकारिता इसी व्यवसाय से शुरूआत की थी। सी-क्लास फिल्में भी खूब बनती। एक दिन एक निर्माता से फिल्मों में नग्नता पर चर्चा के दौरान बताया "जनाब हम तो इनके तन पर कपडा डाल देते है, देखिए इनकी भेजी फोटुएँ।...