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So-called secular historians and leaders hide proofs of Ram Mandir at Ayodhya

Here under an eye-opening article  by   R Jagannathan Jan 25, 2016, 10:14 pm , exposing Babar's heirs, say Congress, Communists and anti-Rammandir agitators and since the book of KK Muhammed is released, I mayself mentioned it in my many articles on Ramjanmabhoomi. So, for the interest and knowledge of my valued blog-readers in Bharat and the world over, producing as it is for the well-wishers of Ramjanmabhoomi temple at Ayodhya. It is time for all of us to sit and exclaim: The Left has no clothes The autobiography of a former Regional Director of the Archaeological Survey of India (ASI), KK Muhammed, shreds the last figleaf of legitimacy from India’s “Eminent”  Leftist historians, and even the broader Indian Left ecosystem, which includes most mainstream political parties and large sections of the old media in print and TV. In his book titled  Njan Enna Bharatiyan (I, an Indian) , Muhammed clearly indicts Left historians for actually...

लाल किला शाहजहाँ ने नहीं अनन्तपाल तोमर द्वितीयने बनवाया था

इस पाक्षिक को सम्पादित करते अपने बहुचर्चित स्तम्भ में यूपीए  सरकार के कार्यकाल में  लाल किले पर उठाया प्रश्न   था  जिसका विरोध भी किया गया था। लेकिन  दूसरे  (नीचे) स्तम्भ के लिखे जाने पर,  मौन रहे !!!  आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार  क्या आप जानते हैं कि दिल्ली के लाल किले का रहस्य क्या है और इसे किसने बनवाया था। दिल्ली का लाल किला शाहजहाँ से भी कई शताब्दी पूर्व ही पृथ्वीराज चौहान के नाना  महाराज अनंगपाल तोमर द्वितीय  द्वारा बनवाया हुआ लाल कोट है। हमें यह पढाया जाता है कि दिल्ली का लाल किला शाहजहाँ ने बनवाया था।  लेकिन यह एक सफ़ेद झूठ है और दिल्ली का लालकिला शाहजहाँ के जन्म से सैकड़ों साल पहले “महाराजा  अनंगपाल तोमर द्वितीय” द्वारा दिल्ली को बसाने के क्रम में ही बनाया गया था। महाराज अनंगपाल तोमर और कोई नहीं बल्कि महाभारत के अभिमन्यु के वंशज तथा हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान के नाना जी थे।  इतिहास के अनुसार लाल किला का असली नाम “लाल कोट” है, जिसे अनंगपाल द्वितीय द्वारा सन 1060 ईस्वी म...

ऐय्याश अकबर को महान बताने वाले इतिहासकारों का बहिष्कार हो

पिताश्री एम.बी.एल. निगम  श्री केवल रतन मलकानी  अस्सी के दशक में विश्व चर्चित पत्रकार श्री केवल रतन मलकानी, मुख्य सम्पादक और सम्पादक प्रो वेद प्रकाश भाटिया की छत्रसाया में पत्रकारिता में पदापर्ण करने पर अपने पिताश्री मगन बिहारी लाल निगम द्वारा इतिहास के उन अछूतों पहलुओं को प्रमाणित होते देखा। तब इस बात का ज्ञान हुआ कि किस तरह तथाकथित इतिहासकारों ने भारतीय वास्तविक इतिहास को धूमिल कर आततायी मुगलों के इतिहास को भारत का स्वर्णमयी इतिहास के नाम से पढ़ने को मजबूर किया। यही कारण है कि जब भी कोई भारत के वास्तविक स्वर्णमयी हिन्दू सम्राटों की बात करता है, उसे साम्प्रदायिक तत्व करार कर दिया जाता है। बात सन 82/83 की है, बम्बई वर्तमान मुंबई के बाबूभाई पटेल ने एक पत्रिका Mother India के प्रथम अंक में चर्चित पत्रकारों एवं प्रतिष्ठित व्यक्तियों के लेखों का समावेश किया था। मलकानी जी के लेख पर सेवानिर्वित मेजर हबीबुल्लाह ने आपत्ति को स्वामी एवं संपादक बाबूभाई को प्रेषित की और बाबूभाई ने मलकानी जी को उत्तर देने के लिए प्रेषित की। दो/तीन सप्ताह Organiser में दोनों का वाद-विवाद चलता र...

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To write on general topics and specially on films;THE BLOGS ARE DEDICATED TO MY PARENTS:SHRI M.B.L.NIGAM(January 7,1917-March 17,2005) and SMT.SHANNO DEVI NIGAM(November 23,1922-January24,1983)