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यूपीए ने 2013 में ‘अर्बन नक्सलियों’ को बताया था गुरिल्ला आर्मी से भी खतरनाक

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार   नक्सल लिंक को लेकर ऐक्टिविस्टों की गिरफ्तारी पर भले ही राहुल गांधी समेत तमाम विपक्षी दलों ने सरकार को घेरा है, परंतु 2013 में यूपीए सरकार की ही राय मौजूदा कांग्रेस से उलट थी। तब यूपीए सरकार ने उच्चतम न्यायालय में हलफनाया दायर कर कहा था कि शहरी केंद्रों में अकादमिक जगत से जुडे कुछ लोग और ऐक्टिविस्ट ह्यूमन राइट्स की आड में ऐसे संगठनों को संचालित कर रहे हैं, जिनका लिंक माओवादियों से है। यही नहीं यूपीए सरकार ने इन लोगों को जंगलों में सक्रिय माओवादी संगठन पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी से भी खतरनाक बताया था। यूपीए सरकार ने अपने ऐफिडेविट में कहा था कि, ये अर्बन नक्सल बडा खतरा हैं और सीपीआई माओवादी से जुडे हैं। यही नहीं सरकार ने कहा था कि कई मायनों में ये काडर गुरिल्ला आर्मी से भी अधिक खतरनाक हैं। बता दें कि पीपल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी सीपीआई माओवादी की ही एक सशस्त्र विंग है। 2001 से लेकर अब तक माओवादियों ने 5969  नागरिकों की हत्या की थी, 2147 सुरक्षार्मियों की हत्याएं की हैं और पुलिस एवं केंद्रीय अर्धसैनिक बलों से 3567 हथियारों की ...

एनपीए पर मोदी के आरोप पर कांग्रेस चुप क्यों है?

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार  कांग्रेस पार्टी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी  के खिलाफ लोकसभा में विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाना चाहिए। उन्हें संसद में पूछना चाहिए कि ऐसा कौन सा “टैक्स” था जिसका पैसा सरकार के खाते में नहीं जाता था? लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण का सबसे महत्वपूर्ण अंश यह था जब उन्होंने बताया कि जब तक कांग्रेस सत्ता में थी तब तक बैंकों को लूटने का खेल चलता रहा। उन्होंने कहा कि आजादी के 60 साल के बाद बैंकों ने कुल 18 लाख करोड़ रुपए लोन के रूप में दिए थे, लेकिन 2008 से 2014 के बीच मात्र 6 साल में यह रकम 18 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 52 लाख करोड़ रुपए हो गई। पीएम ने पूछा कि 6 साल में यह रकम कैसे दोगुनी (34 लाख करोड़ रुपए) हो गई? प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व में इंटरनेट बैंकिंग आने के पहले ही भारत में फोन बैंकिंग शुरू हो गई थी। इन 6 साल में कांग्रेस ने अपने चहेते लोगों के लिए बैंकों का खजाना लुटा दिया। उसका क्या तरीका था? कागज वगैरह कुछ देखना नहीं था, केवल टेलीफोन आता था कि लोन दे दो। लोन चुकाने के लिए दूसरा लोन दे दो उसके बाद कोई ...

राष्ट्रपति चुनाव लाया बिहार महागढ़बंधन पर मुसीबतों का पहाड़

बिहार में महागठबंधन की सरकार अब बिखर सकती है। राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी को लेकर महागठबंधन में आए दरार के बाद अब जेडीयू पूरी तरह से महागठबंधन से अलग होने के लिए तैयार है। जेडीयू के बड़े नेता केसी त्यागी ने तो साफ कह दिया कि जेडीयू बीजेपी के साथ गठबंधन में कहीं अधिक सहज थी, जबकि लालू यादव के साथ स्थिति बेहद असहज हो चली है। भाजपा के साथ चलते नीतीश का ही कद नहीं बड़ा था, बल्कि जेडीयू का भी।  दरअसल, राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित करने के समय जेडीयू के अलग रुख के बाद कांग्रेस और आरजेडी ने नीतीश कुमार की तीखी आलोचना की थी। JDU राज्य सभा सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी. त्यागी  ने राष्ट्रपति पद के लिए मीरा कुमार को समर्थन ना देने को लेकर बड़ा बयान दिया है, उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपनी पार्टी के नेता को ही राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाना चाहती थी इसलिए हमने उन्हें समर्थन नहीं दिया अगर मीरा कुमार की जगह किसी गैर-कांग्रेसी नेता को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया जाता तो हम जरूर समर्थन देते।  वैसे भी तुलनात्मक दृष्टि से मीरा कुमार के मुकाबले राम नाथ कोविंद का पलड़ा ज...

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To write on general topics and specially on films;THE BLOGS ARE DEDICATED TO MY PARENTS:SHRI M.B.L.NIGAM(January 7,1917-March 17,2005) and SMT.SHANNO DEVI NIGAM(November 23,1922-January24,1983)