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आशुतोष ने AAP से दिया इस्तीफा

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार  लगता है आम आदमी पार्टी का भविष्य अंधकारमय होने के कगार पर आ गया है। जिसका प्रमुख कारण राहुल गाँधी बताए जा रहे हैं। जानिए क्यों? सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि इस पार्टी को बनाने में सोनिया गाँधी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यदि इस पार्टी के संस्थापक कर्णधारों पर दृष्टि डालने पर वास्तविकता जगजाहिर हो जाती है, क्योंकि इस पार्टी के अधिकतर संस्थापक सोनिया गाँधी की टीम के सदस्य हैं। इस पार्टी गठन सत्ता हथियाना नहीं, बल्कि मोदी लहर को बाधित करना था। लेकिन हुआ एकदम विपरीत। कांग्रेस को यदि सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाने वाली अगर कोई पार्टी है, तो आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी नहीं। इस पार्टी को गुप्त रूप से, तन, मन एवं धन से पालन-पोषण करने पर वरिष्ठ बुद्धिजीवियों ने विरोध भी किया था। लेकिन नगाड़े की आवाज़ के आगे सोनिया गाँधी ने तूतियों की आवाज़ नहीं सुनी। उस समय एक हिन्दी पाक्षिक को सम्पादित करते, रपट शीर्षक "कांग्रेस के गर्भ से निकली आआप", प्रकाशित करने पर  मुझे अरविन्द केजरीवाल के विरुद्ध न लिखने के लिए धमकी भी मिली। परिणाम यह हुआ कि उ...

क्यों मायावती ने पुरे जीवन अपने पिता से नफरत की

मायावती का जन्म 15 जनवरी 1956 को दिल्ली के लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल में हुआ। मायावती का पूरा नाम मायावती नैना कुमारी है। उनका बचपन दिल्ली के इंद्रपुरी में बनी जेजे (झुग्गी-झोंपड़ी) कॉलोनी में बीता। उनकी 2 बहनें और 6 भाई हैं। मायावती के पिता प्रभुदास पोस्ट ऑफिस में क्लर्क थे। सरकारी नौकरी की वजह से उनका परिवार दिल्ली में आ बसा था। यह बात अपने आप में चौंकाने वाली है की बसपा सुप्रीमो मायावती के दादा जी उनके मार्गदर्शक व आदर्श थे।और अपने पिता से नफरत करती थी और उनकी बातों को अनसुना कर दिया करती थीं। मायावती की मां रामरती ने लगातार 3 बेटियों को जन्म दिया था। बेटा न होने की वजह से मायावती के पिता प्रभुदास अपनी पत्नी को ताने दिया करते थे। यही नहीं, पड़ोसियों और रिश्तेदारों के दबाव में आकर उन्होंने वारिस के लिए दूसरी शादी तक करने का मन बना लिया था। मायावती के दादाजी ने प्रभुदास को दूसरी शादी करने से रोका था। वो कहते थे देखना ये बेटियां ही हमारा कुल आगे बढ़ाएंगी। यही वजह थी कि मायावती अपने पिता से नफरत और दादाजी से बेहद प्यार करती थीं।मायावती के पहले आइडल थे उनके दादाजी मंगलसेन। मंगलसेन अंग्रेज...

नीला झंडा उठाने से पहले शर्म करो, कांशीराम ने ही बाबरी मस्जिद की जगह शौचालय बनाने की बात कही थी : मोहम्मद आज़म ख़ान

उत्तर प्रदेश सूबे के कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खान ने अपने अंदाज में बाबरी मस्जिद के बहाने मुस्लिम वोटों को सहेजने कोशिश की। कई मुस्लिम घरों पर नीला झंडा देख कहा कि बसपा को वोट देने से बेहतर होगा कि भाजपा को वोट दे दो। हो सकता है वह उनके लिए कुछ बेहतर सोचे। इतना कहते हुए मोहम्मद आजम खान ने मंच छोड़ दिया। प्रत्याशी की काफी मनुहार के बाद मंच पर फिर आए। आजम के अचानक इस तेवर को देख एकबारगी सभा में सन्नाटा सा छा गया। प्रत्याशी की मनुहार पर थोड़ी देर बाद माइक संभालते ही आजम खान ने कहा कि बसपा के कांशीराम ने ही बाबरी मस्जिद की जगह शौचालय बनाने की बात कही थी, नीला झंडा उठाने से पहले शर्म करो। आजम खान ने यहां गुरुवार को शहर के नरेंद्रालय में सपा की चुनावी सभा में बसपा पर जमकर हमला बोला। कहा कि अच्छा होता आप अपने घरों में बैठ गए होते, लेकिन नीला झंडा न लगाया होता। सभा में संबोधन के दौरान आजम की आंखें तीन बार भर आईं। उन्होंने काला चश्मा हटा कर आंखों को पोंछा। फिर कहा कि आज तेज नारायण पांडेय से लोगों की नाराजगी हो सकती है। यह नाराजगी कल दूर भी हो सकती है लेकिन कल जो खो दोगे उसकी भरपाई...

कांशीराम की बहन बोलीं, मेरे भाई की हत्यारी मायावती है दुश्मन नंबर 1

कांशीराम की बहन स्‍वर्ण कौर ने चेतावनी दी कि मायावती गांव आने की कोशिश न करें। बसपा संस्‍थापक कांशीराम की बहन स्‍वर्ण कौर। ( Express Photo: Jaipal Singh) बसपा सुप्रीमो मायावती को कांशीराम की बहन ने उनकी याद में बने मेमोरी में जाने से रोक दिया। कांशीराम की बहन स्‍वर्ण कौर ने मायावती पर गंभीर आरोप भी लगाए। उन्‍होंने कहा,’मायावती हमारी दुश्‍मन नंबर एक है। उसने मेरी भाई को बंधक बनाकर हत्‍या कर दी। उसने उन्‍हें परिवार वालों से नहीं मिलने दिया। मेरी बड़ी मां अपने बेटे का इंतजार करते हुए मर गई।’ 15 मार्च को कांशीराम की 82वीं जयंती पर मेमोरियल में आयोजित कार्यक्रम में दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल आएंगे। कांशीराम की बहन ने कहा कि उनका स्‍वागत किया जाएगा। इसी दिन मायावती गांव से 50 किलोमीटर दूर नवां शहर में रैली को आयोजित करेगी। मायावती ने ही 19 साल पहले कांशीराम मेमोरियल की नींव उनके ननिहाल प्रिथीपुर बंगा में रखी थी। कांशीराम की बहन ने चेतावनी दी कि मायावती गांव आने की कोशिश न करें। केजरीवाल की प्रशंसा करते हुए स्‍वर्ण कौर ने कहा,’वाराणसी में 22 फरवरी को रविदास जयंती पर कार...

Can inclusion of Rahul change the prospects of the government?

Rahul Gandhi should remain outside the Cabinet. He will not be able to bring anything of value to this government in the time it has left. Even if it had longer than 17 months, Gandhi would serve it better by doing what he does, grassroots party work. What exactly does that mean? It means making sure that the organisation is in the hands of capable men and women at the level of districts, of which India has 640, and making sure these people are fired up. This means travelling in the states constantly and it isn’t a part time job. Bahujan Samaj Party founder Kanshi Ram once said that a party could only be expanded in an election. What he meant by that was the opposite of what is obvious. It was the work you put in during the 58 months when there was no election which would germinate and sprout in the 2 months of the campaign. The plan of the Nehru-Gandhi family has been thus far to work on the Congress party and let professionals like Manmohan Singh run policy so far as that was p...

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To write on general topics and specially on films;THE BLOGS ARE DEDICATED TO MY PARENTS:SHRI M.B.L.NIGAM(January 7,1917-March 17,2005) and SMT.SHANNO DEVI NIGAM(November 23,1922-January24,1983)