केवल फिल्म नहीं है ‘द बंगाल फाइल्स’, उस भयावह सत्य से कराती है साक्षात्कार जिसे ‘गंगा-जमुनी तहजीब’ की चादर में छिपाया
‘द बंगाल फाइल्स’ वो फिल्म है जो हमारे उस बनावटी विश्वास को चकनाचूर कर देती है कि हम एक शांतिपूर्ण, धर्मनिरपेक्ष और सभ्य समाज में जी रहे हैं। ये फिल्म न सिर्फ एक कहानी सुनाती है, बल्कि आपको उस खूनी बँटवारे के दर्दनाक सच से रू-ब-रू कराती है, जिसे हमारे इतिहासकारों और बंगाल के बुद्धिजीवियों ने हमारी यादों से जैसे मिटा सा दिया है। ये फिल्म सिर्फ मनोरंजन नहीं करती, ये आपको सोचने पर मजबूर करती है कि हमारे साथ क्या हुआ था और आज भी क्या हो रहा है। जब कोई शानदार फिल्म खत्म होती है, तो लोग तालियाँ बजाते हैं, खुशी से झूम उठते हैं। लेकिन मैं ‘द बंगाल फाइल्स’ देखने के बाद चुप क्यों बैठा रहा? मैंने बाकी दर्शकों के साथ तालियाँ क्यों नहीं बजाईं? ये सवाल मेरे मन में बार-बार घूम रहा था। इसका जवाब ये नहीं कि फिल्म अच्छी नहीं थी। बल्कि ये फिल्म सिर्फ एक फिल्म नहीं थी। इसने मुझे भारत के उस खूनी बँटवारे के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया, जिसे हमारे सरकारी इतिहासकारों और बंगाल के बुद्धिजीवियों ने हमसे छुपाया। ये फिल्म आपको झकझोरती है, आपके सामने सवाल खड़े करती है कि हमारे साथ क्या हुआ था और आज भी क्या हो रह...