स्वतन्त्रता संग्राम से लेकर आज तक किस तरह भारतीय जनता भ्रमित होती रही है, मंथन करने पर नेताओं पर ग्लानि होती है। जिस तरह आज अरविन्द केजरीवाल कभी इस प्रान्त कभी उस प्रान्त जा-जाकर जनता को भ्रमित कर रहे हैं, उसे विचारने उपरांत शंका होती है, कि “केजरीवाल कहीं जवाहर लाल नेहरू और महात्मा गाँधी के वंशज तो नहीं है।” दिल्ली को किस तरह भ्रमित कर मँझधार में छोड़ पंजाब के मुख्यमंन्त्री बनने के स्वप्न देख रहे हैं। पूर्व मुख्यमन्त्री शीला दीक्षित ने दिल्ली को जिस राह पर छोड़ा था, केजरीवाल ने दिल्ली को उतना ही पीछे धकेल दिया। अगर शीला सरकार घोटाले और भ्रष्टाचार में लिप्त नहीं होती, दिल्ली में हुआ विकास सिर चढ़कर बोल रहा होता, लेकिन उस विकास पर घोटाले और भ्रष्टाचार ने ऐसी चादर डाली , जिसे उजागर करने में कांग्रेस और शीला सरकार पूर्णरूप से असफल रही। फिर विनाश काले विपरीत बुद्धि। पिताश्री एम.बी.एल.निगम(सूट में)अपने भाई स्वतन्त्रता सैनानी प्रो नन्द किशोर निगम के साथ. मोदी को रोकने के चक्कर में केजरीवाल को सूली पर चढ़ा दिया। और भारतीय जनता पार्टी से कहीं अधिक नुकसान पार्टी को अपने ही बुने जाल यानि आम...