इन्दिरा गाँधी ने अपने कार्यकाल में किस तरह अपने विरोधियों को पटकनी देने का कोई अवसर नहीं चूकती थीं। देश में आपातकाल लगाकर, जो कांग्रेस की दुर्गति हुई थी, उससे हिम्मत हारे बिना विरोधियों को धूल चटाने तत्पर रहती थीं। 1977 की एक सर्द सुबह को इंदिरा गांधी ने फैसला लिया कि अब भारत में आम चुनाव होने चाहिए. उन्होंने ये आम चुनाव कराने से पहले कहा कि, लगभग 18 महीने पहले तक हमारा देश विनाश की कगार पर था. उन्होंने आपातकाल पर सफाई देते हुए कहा कि, आपातकाल इस वजह से लगाया गया था कि जनजीवन वापस पटरी पर आ सके उनका मानना था कि आपातकाल लगने से पहले जनजीवन पटरी से उतर चुका था. अब हालात सामान्य हो चुके हैं तो अब आम चुनाव होने चाहिए. एक तरफ इंदिरा गांधी रेडियो पर देश को संबोधित कर रही थीं और दूसरी तरफ उनके विरोधी जेलों से रिहा करवाए जा रहे थे. 19 जनवरी को मोरारजी देसाई के दिल्ली स्थित घर पर चार दलों के नेताओं की मीटिंग हुई. ये पार्टियां थी, जनसंघ, भारतीय लोकदल (चरण सिंह के नेतृत्व में बनी किसानों की पार्टी), सोशलिस्ट पार्टी और मोरारजी देसाई की पार्टी कांग्रेस(ओ). इस मीटिंग के बाद देसाई ने ऐलान क...