दिल्ली को 'स्वर्ग' बनाने के पश्चात दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल अब पंजाब का मुख्यमंत्री बनने के सपने देखने लगे हैं। हम उनके इन सपनों को मुंगेरीलाल के हसीन सपने नहीं कहेंगे, क्योंकि सपने देखना हर व्यक्ति नैसर्गिक अधिकार है, और लोकतंत्र व्यक्ति के सपनों का न केवल सम्मान करता है, अपितु उन्हें साकार कराने के लिए उचित अवसर भी प्रदान करता है। ये सपने व्यक्ति की निजी महत्वाकांक्षाएं भी हो सकती हैं, पर लोकतंत्र किसी की निजी महत्वाकांक्षाओं का भी अपमान न करके उनका भी सम्मान ही करता है। लोकतंत्र में जो व्यक्ति सपने देखता है, या अपनी महत्वाकांक्षाएं पालता है-उनका संबंध लोकहित से होता है और लोकतंत्र लोकहित का संरक्षक है। इसलिए सपने देखने वाले या निजी महत्वाकांक्षाएं पालने वाले हर व्यक्ति से लोकतंत्र यह अपेक्षा करता है कि उसके सपने और निजी महत्वाकांक्षाएं लोकहित के अनुकूल होने चाहिएं। यदि उसके सपनों और निजी महत्वाकांक्षाओं में लोकहित की उपेक्षा है या अवहेलना का अंश है तो लोकतंत्र ऐसे व्यक्ति के सपनों और महत्वाकांक्षाओं को अलोकतांत्रिक बताकर इतिहास की अदालत को सौंप देता है, औ...