आज पत्रकारिता का स्तर इतना गिर जाएगा, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। वैसे इसमें कोई दो राय भी नहीं कि पहले भी पत्रकार नेताओं के पे-रोल पर थे। लेकिन अब तो पानी सिर को पार करने को है। किसी को राष्ट्रीय पुरस्कार चाहिए तो किसी को राज्य सभा सीट या कोई अन्य पुरस्कार। आज निर्भीक पत्रकारिता हो रही है, राजनीतिक दलों के इशारे पर। और इसको उजागर कर रहे हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल। जिसके लिए वास्तव में केजरीवाल बधाई के पात्र हैं। जिस मीडिया को कोसते थे उसी की पोल भी खोल रहे हैं। लेकिन इन सब बातों के उजागर होने से केजरीवाल को यह भी समझ लेना चाहिए कि जिस मीडिया के प्रमुख से साठगांठ कर अपना इंटरव्यू प्रसारित करवा रहे हैं, उस मीडिया में उनके दुश्मन भी बैठे हुए हैं, जो अपनी नौकरी को दांव पर रख उन्ही की पोल भी खोल रहे हैं। या यह भी सम्भव है कि वही प्रमुख केजरीवाल और केजरीवाल के विरोधियों से मिल यह खेल खेल रहे हों। क्योंकि इस में कोई दो राय भी नहीं कि वास्तव में केजरीवाल की राजनीति किसी को भी रास नहीं आ रही। सभी लोग समझ चुके हैं कि केजरीवाल जो बोलते हैं करते उसके बिल्कुल विपर...