प्रमोशन में आरक्षण मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कई सवाल किए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मान लिया जाए कि एक जाति 50 सालों से पिछड़ी है और उसमें एक वर्ग क्रीमीलेयर में आ चुका है, तो ऐसी स्थितियों में क्या किया जाना चाहिए? कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि आरक्षण का पूरा सिद्धांत उन लोगों की मदद देने के लिए है, जोकि सामाजिक रूप से पिछड़े हैं और सक्षम नहीं हैं। ऐसे में इस पहलू पर विचार करना बेहद जरूरी है। केंद्र ने कहा, ‘1000 साल से झेल रहा है यह तबका’ , इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हुई पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि 2006 के नागराज जजमेंट के चलते SC-ST के लिए प्रमोशन में आरक्षण रुक गया है। केंद्र सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि प्रमोशन में आरक्षण देना सही है या गलत इसपर टिप्पणी नहीं करना चाहता, लेकिन यह तबका 1000 से अधिक सालों से झेल रहा है। उन्होंने कहा कि नागराज मामले में सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ को फैसले की समीक्षा की जरूरत है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को प्रमोशन में आर...