मुनाफा कमाने के फेर में प्राइवेट अस्पतालों को सरकार और सरकारी नियमों की कोई परवाह नहीं है। अपने मुनाफे के लिए न सिर्फ सरकार द्वारा सबको सस्ता इलाज देने की मुहिम की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, बल्कि मरीजों की जान से भी खिलवाड़ किया जा रहा है। इस काम में उनका साथ कुछ मेडिकल डिवाइस और फार्मा कंपनियां भी दे रही हैं। हालांकि मामला खुलने के बाद एक-दूसरे पर आरोप मढ़ा जा रहा है। फार्मा और मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के साथ डॉक्टर भी निजी अस्पतालों को ही इस काम में मुख्य दोषी ठहरा रहे हैं। यहां तक कि अस्पतालों को अपने ऊपर लग रहे गंभीर आरोपों की भी परवाह नहीं है। वहीं, सरकार के नियमों में भी लूप-होल सामने आया है। कैसे हो रहा है पूरा खेल 1. 5 रुपए की दवा हो जाती है 106 रुपए की एनपीपीए के डिप्टी डायरेक्टर आनंद प्रकाश के हवाले से जारी रिपोर्ट के अनुसार निजी अस्पताल मरीजों को लूटने में इस कदम लगे हैं कि 5 रुपए की दवा खरीदकर उसे 106 रुपए में बेच रहे हैं। वे प्राक्योरमेंट में 5 रुपए की दवा खरीदते हैं और इस पर एमआरपी 106 रुपए कर देते हैं। वहीं, 13.64 रुपए की सीरिंज खरीदकर उसकी एमआरपी 1...