रेप के एक मामले में दिल्ली की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पीड़ित महिला के खिलाफ ही नोटिस जारी कर दिया है। दरअसल कोर्ट ने इस मामले में सीसीटीवी फुटेज देखने के बाद पाया कि सेक्शुअल एक्ट सहमति से हुआ है। जबकि महिला ने रेप का आरोप लगाते हुए झूठी कहानी गढ़ी थी। ऐसे में कोर्ट ने पूछा है कि रेप का झूठा आरोप लगाने पर आखिर महिला को ही सजा क्यों न दी जाए। टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जज अनु ग्रोवर बलिगा ने कहा कि कथित क्राइम सीन का सीसीटीवी फुटेज पूरे मामले में सबसे अहम सबूत रहा। इसके जरिए कोर्ट सही नतीजे तक पहुंच सका। जज ने कहा कि फुटेज में आरोप लगाने वाली युवती आरोपी को गले लगाती, किस करती और उसके कपड़े उतारती नजर आ रही है। उन्होंने कहा कि इन तस्वीरों को देखने के बाद साफ है कि महिला और आरोपी के बीच आपसी सहमति से संबंध बना। ये साइंटिफिक एविडेंस बताता है कि महिला ने झूठा आरोप लगाया था। कोर्ट ने इस मामले में आरोपी बनाए गए शख्स को निर्दोष साबित करते हुए बरी कर दिया। वहीं कोर्ट ने कहा कि रेप का गलत आरोप लगाने पर महिला को सजा दी जानी चाहिए। ऐसे कई केस हैं, जहाँ पुरुष वर्ग महिलाओं की वासना ...