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जेरूसलम विवाद : भारत सहित 128 देशों ने किया ट्रंप के फैसले के खिलाफ वोट

इजरायल ने जेरूसलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के अमेरिका के फैसले को रद्द करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में यह प्रस्ताव पारित हो गया. इस प्रस्ताव के समर्थन में 128 देशों ने मतदान किया जबकि नौ देश इसके खिलाफ रहे. वहीं मतदान के दौरान 35 देश गैरहाजिर रहे. इजरायल के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, ‘इजरालय संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को खारिज करता है.’ इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र में अरब समूह की ओर से यमन ने और इस्लामिक सहयोग संगठन की ओर से तुर्की ने प्रायोजित किया था. ये पूरा विवाद तब से शुरू है जब से अमेरिका ने जेरुसलम को इजरायल की राजधानी घोषित किया है. अमेरिका द्वारा जेरुसलम को इजरायल की राजधानी घोषित करने का ज़्यादातर देश शुरुआत से ही विरोध करते आये हैं. इससे पहले हुए विरोध पर अमेरिका ने वीटो इस्तेमाल किया था. बयान में कहा गया कि जिन देशों ने इस प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया है, वह उनसे खुश हैं. नोटिस के मुताबिक, ‘जेरूसलम के मुद्दे पर इजरायल का पक्ष लेने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप का आ...

मोदी की दूरदर्शिता के कारण पाकिस्तान हुआ यूएन से बाहर

संयुक्त राष्ट्र। मोदी की विदेश नीति पर मोदी-विरोधी जो प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं, लगता है, उनकी रातों की नींद जरूर हराम हो गयी होगी। विश्व-पटल पर जिस अंदाज़ में मोदी आतंकवाद मुद्दा उठा रहे थे, उनकी कूटनीति को पाकिस्तान तो क्या भारत में आस्तीन के साँप बने बैठे पाकिस्तान समर्थक कोई नहीं समझ पाया। जहाँ भारतीय नेता आतंकवाद पर अपने वोट-बैंक राजनीति के कारण किसी सख्त निर्णय को लेने में संकोच कर रहे थे, वहीँ मोदी ने वोट-बैंक को धता कर, अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बना कर पाकिस्तान को सरे आम निर्वस्त्र करने में व्यस्त थे। पाकिस्तान अपने कश्मीर मुद्दे पर डटा रहा। और भारत के साथ-साथ बलूचिस्तान जनता पर अत्याचार करता रहा।  बलूच जनता पर हो रहे अत्याचारों पर सत्ता के गलियारों में अक्सर यही चर्चा होती थी, "अगर इंदिरा गाँधी होती इस मुद्दे को ईस्ट पाकिस्तान(बांग्लादेश) की तरह हाथों-हाथ ले लेती।" लेकिन इसे मोदी ने लपकने में जरा भी चूक न कर अपनी विदेशनीति एवं दूरदर्शिता का प्रमाण दे दिया।  मोदी की इसी दूरदर्शिता के कारण  पाकिस्तान  के बलूचिस्तान में पिछले कई दिनों से चल रहे बवाल के बीच नव...

बलोचिस्तान मांगे पाकिस्तान अत्याचारों से मुक्ति

सन 50 के दशक में एक फिल्म प्रदर्शित हुई "जागृति" ; इस फिल्म का एक गीत "हम लाए हैं तूफ़ान से कश्ती निकल के" आज भी चर्चित है। यानि 1947 से लेकर पाकिस्तान और भारत की पिछली सरकार तक सब कश्मीर को झुनझुना बनाकर दोनों देशों के जनता को पागल बनाते रहे। भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू तो उस्तादों के उस्ताद निकल गए। कश्मीर के मसले को यूएनओ में लेजाकर नाश ही पीट दिया। लेकिन उस गलती को 1972 में इंडो-पाक युद्ध के दौरान, उन्हीं की पुत्री तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी ने कुछ सीमा तक सुधारने की कोशिश की कि जो भी बातचीत होगी दोनों देशों के बीच होगी कोई तीसरा नहीं आएगा। लेकिन 2014 में सत्ता में आयी मोदी सरकार ने पासे ही बदल दिए।  नरेन्द्र मोदी के प्रधानमन्त्री मनोनीत होने से किसी न किसी लेख/रिपोर्ट में लिखता रहा हूँ कि इस आदमी को समझना लोहे के चने चबाने से कम नहीं। पाकिस्तान को सुधरने के बहुत अवसर दिए, जिसका विपक्ष ने मजाक भी खूब बनाया। कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं ने तो पाकिस्तान चैनल पर मोदी के खिलाफ मुहिम छेड़ने तक बोल गए।  पाकिस्तान को अनेक मौके दिए सु...

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To write on general topics and specially on films;THE BLOGS ARE DEDICATED TO MY PARENTS:SHRI M.B.L.NIGAM(January 7,1917-March 17,2005) and SMT.SHANNO DEVI NIGAM(November 23,1922-January24,1983)