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जेरूसलम विवाद : भारत सहित 128 देशों ने किया ट्रंप के फैसले के खिलाफ वोट

राजधानी के तौर पर मान्यताइजरायल ने जेरूसलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने के अमेरिका के फैसले को रद्द करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. संयुक्त राष्ट्र महासभा में यह प्रस्ताव पारित हो गया. इस प्रस्ताव के समर्थन में 128 देशों ने मतदान किया जबकि नौ देश इसके खिलाफ रहे. वहीं मतदान के दौरान 35 देश गैरहाजिर रहे.
इजरायल के प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, ‘इजरालय संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को खारिज करता है.’
इस प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र में अरब समूह की ओर से यमन ने और इस्लामिक सहयोग संगठन की ओर से तुर्की ने प्रायोजित किया था.
इजरायल की राजधानीये पूरा विवाद तब से शुरू है जब से अमेरिका ने जेरुसलम को इजरायल की राजधानी घोषित किया है. अमेरिका द्वारा जेरुसलम को इजरायल की राजधानी घोषित करने का ज़्यादातर देश शुरुआत से ही विरोध करते आये हैं. इससे पहले हुए विरोध पर अमेरिका ने वीटो इस्तेमाल किया था.
बयान में कहा गया कि जिन देशों ने इस प्रस्ताव के विरोध में मतदान किया है, वह उनसे खुश हैं.
नोटिस के मुताबिक, ‘जेरूसलम के मुद्दे पर इजरायल का पक्ष लेने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप का आभारी है. उन देशों का भी शुक्रियाअदा करता है, जिन्होंने इजरायल के पक्ष में वोट किया और सच्चाई का साथ दिया.’
गौरतलब है कि संयुक्त राष्ट्र के इसी तरह के एक प्रस्ताव पर दिसम्बर 18 को अमेरिका ने वीटो कर दिया था लेकिन महासभा में वीटो का अधिकार नहीं है.
संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित इस प्रस्ताव का जिन 128 देशों ने समर्थन किया है उनमें भारत भी शामिल है. हाल ही में पीएम मोदी ने इजरायल की यात्रा भी की थी और कई समझौते भी किये थे.
ट्रम्प ने विरोधियों को दी धमकी 
ट्रंप की धमकीजेरूसलम मुद्दे पर अमेरिका अलग थलग पड़ गया है. जेरूसलम को इजरायल की राजधानी की मान्यता खारिज करने वाले संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देशों को ट्रंप की धमकी मिली है कि, ‘आर्थिक मदद रोक देंगे.’ ट्रंप ने कहा, ‘ये हमसे अरबों डॉलर की मदद लेते हैं और फिर हमारे खिलाफ मतदान करते हैं.’
गौरतलब है कि ट्रंप ने इस प्रस्ताव का समर्थन करने वाले देशों को आर्थिक मदद रोकने की धमकी दी थी और शायद इसी का ही नतीजा हो सकता है कि महसभा में मतदान के दौरान 35 देश नदारद रहे.
ये पूरा विवाद तब से शुरू है जब से अमेरिका ने जेरुसलम को इजरायल की राजधानी घोषित किया है. अमेरिका द्वारा जेरुसलम को इजरायल की राजधानी घोषित करने का ज़्यादातर देश शुरुआत से ही विरोध करते आये हैं. इससे पहले हुए विरोध पर अमेरिका ने वीटो इस्तेमाल किया था.
उन्होंने कहा, ‘हम देख रहे हैं. इन्हें हमारे खिलाफ वोटिंग करने दो. हमें इससे फर्क नहीं पड़ता.’
ट्रंप का यह बयान संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निकी हेली के ट्वीट के बाद आया है.
निकी हेली ने ट्वीट कर कहा था, ‘अमेरिका उन देशों के नाम लेगा, जो संयुक्त राष्ट्र महासभा में हमारे फैसले की आलोचना कर रहे हैं.’
संयुक्त राष्ट्र महसभा की जेरूसलम मुद्दे पर चर्चा के लिए गुरुवार को आपात बैठक होने जा रही है. इससे पहले इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में प्रस्ताव पेश हुआ था, जिस पर अमेरिका ने वीटो कर दिया था.
सुरक्षा परिषद के सभी 14 सदस्यों ने इस मसौदे के पक्ष में वोट किया था लेकिन अमेरिका ने वीटो कर दिया था.
अमेरिका छोड़ने को होना होगा मजबूर 
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अन्य देशों में अपनी यूनिट स्थापित करने पर विचार कर रही कंपनियों को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि इसके ‘नतीजे’ सही नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि ऐसी कंपनियों के लिए सभी एंप्लॉयीज को हटाकर अमेरिका से ‘बाइ-बाइ’ करना आसान नहीं होगा। ट्रंप ने कहा कि ऐसा इरादा बनाने वाली कंपनियों की राह मैं मुश्किल कर दूंगा। राष्ट्र के नाम अपने साप्ताहिक संबोधन में ट्रंप ने कहा कि वह बड़े टैक्स सुधारों पर काम कर रहे हैं और अमेरिकी वर्कर्स और बिजनस को बड़ी छूट मिलेगी। ट्रंप ने शुक्रवार को कहा, ‘हम फिलहाल बड़े टैक्स सुधारों की प्रक्रिया में है। जल्दी ही हम वर्कर्स और बिजनस पर टैक्स के बोझ को कम करेंगे।’
उन्होंने कहा, ‘हम अमेरिका में कारोबार करने को आसान बनाना चाहता हैं। इसके अलावा हम कंपनियों के लिए अमेरिका को छोड़कर निकलने का रास्ता भी कठिन करना चाहते हैं। वह आसानी से सभी एंप्लॉयीज को नौकरी से हटाकर अमेरिका छोड़कर नहीं जा सकेंगे। उन्हें इसके अंजाम भुगतने होंगे।’ ट्रंप ने कहा कि उन्होंने इसी सप्ताह कंप्यूटर तकनीकी कंपनी इंटल के सीईओ ब्रायन क्रजानिक से मुलाकात की थी। उन्होंने ऐरिजोना में एक मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी की स्थापना करने और 7 अरब डॉलर का निवेश करने का वादा किया है। उन्होंने अमेरिकी युवाओं को बड़े पैमाने पर नौकरी का भरोसा दिलाया है।
ट्रंप ने कहा, ‘यही हम चाहते हैं अमेरिकियों को नई और बेहतरीन नौकरियां। इंटल ने इस प्रॉजेक्ट पर आगे बढ़ने का फैसला इसलिए लिया है क्योंकि वे जानते हैं कि हम नियमों और टैक्स के बोझ को कम करने के प्रयासों में जुटे हैं। इनके कारण अमेरिका में नए आविष्कार और कंपनियों के कामकाज पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।’ ट्रंप ने कहा कि वह अमेरिका को पूरी दुनिया में नौकरियों के केंद्र के तौर पर विकसित करना चाहते हैं।
भारत समेत 128 देशों ने यूनाइटेड नेशंस जनरल असेंबली (UNGA) में येरूशलम को इजरायल की राजधानी घोषित करने के फैसले का विरोध किया। गुरुवार को यूएनजीए में रेजोल्यूशन लाया गया था, जिसमें येरूशलम को इजरायल की राजधानी न मानने की बात कही गई थी। 128 देशों ने इस रेजोल्यूशन का समर्थन किया, 9 ने इसके विरोध में वोट डाला जबकि 35 देशों ने इससे दूरी बनाए रखी। अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प ने विरोधों को नजरअंदाज करते हुए 6 दिसंबर को देर रात येरूशलम को इजरायल की राजधानी घोषित कर दिया। उन्होंने कहा था कि अमेरिका अपनी एम्बेसी तेल अवीव से इस पवित्र शहर में ले जाएगा।

ट्रम्प ने दी थी धमकी

- न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रम्प ने धमकी दी थी कि जो देश यूएन रेजोल्यूशन के फेवर में वोट देगा, उसे दी जाने वाली मदद में कटौती की जाएगी।
- येरूशलम के मुद्दे पर यूएन में अमेरिका अलग-थलग खड़ा नजर आया। कई पश्चिमी और अरब देशों ने उसका विरोध किया। मिस्र, जॉर्डन और इराक जैसे देशों ने भी उसके विरोध में वोटिंग की। इन देशों को अमेरिका बड़ी वित्तीय और मिलिट्री सहायता देता है। 
- यूएन में अमेरिकी एम्बेसडर निक्की हेली ने कहा, "अमेरिका यूएन में हुए विरोध को याद रखेगा।''
- इंटरनेशनल कम्युनिटी का मानना था कि येरूशलम का स्टेटस इजरायल और फिलीस्तीन की शांति वार्ता पर असर पड़ेगा। ज्यादातर देशों का मानना है कि येरूशलम पर इजरायल का पूरी तरह हक (सॉवेरीनटी) नहीं माना जा सकता।

क्या बोले नेतन्याहू?

- इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, "येरूशलम हमारी राजधानी है, थी और रहेगी। लेकिन कई देशों ने इस फैसले को मानने से इनकार कर दिया। इसे बेतुका कहा जा सकता है।''
- बता दें कि 1967 में जंग के बाद इजरायल ने ईस्ट येरूशलम पर कब्जा कर लिया था, जबकि फिलीस्तीन भी उसे अपनी राजधानी मानता है।
- 1948 में यूएस प्रेसिडेंट हैरी ट्रूमैन पहले वर्ल्ड लीडर थे, जिन्होंने इजरायल को मान्यता दी थी।

इसलिए हो रहा बवाल

- इजरायल पूरे येरूशलम को राजधानी बताता है, जबकि फिलीस्तीनी पूर्वी येरूशलम को अपनी राजधानी बताते हैं। 
- ईस्ट येरूशलम में यहूदी, मुस्लिम और ईसाई तीनों धर्मों के पवित्र स्थल हैं। यहां स्थित टेंपल माउंट जहां यहूदियों का सबसे पवित्र स्थल है, वहीं अल-अक्सा मस्जिद को मुसलमान पाक मानते हैं।

येरूशलम में किसी भी देश की एम्बेसी नहीं

- यूएन और दुनिया के ज्यादातर देश पूरे येरूशलम पर इजरायल के दावे को मान्यता नहीं देते। 
- 1948 में इजरायल ने आजादी की घोषणा की थी। यहां किसी भी देश की एम्बेसी नहीं है। 86 देशों की एम्बेसी तेल अवीव में हैं।

भारत ने क्या कहा था?

विदेश मंत्रालय के स्पोक्सपर्सन रवीश कुमार ने कहा था, "फिलीस्तीन को लेकर भारत की स्वतंत्र स्थिति है। इसका फैसला हमारे हितों और विचारों से ही तय होगा। कोई तीसरा देश ये तय नहीं कर सकता।"

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