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आजादी के बाद किया गया हिन्दुओं के साथ पहला भेदभाव

राजा हरी सिंह  इकलौते राजकुमार, जो कि भारतीय राष्ट्रीयता को गले लगाते थे, उनके साथ आजादी से पहले एक धोखे का खेल खेला गया. ये वो हिन्दू राजा था जिसने ऋषि कश्यप की भूमि के साथ भारत के सभ्यतागत और भौगोलिक संबंध को बनाए रखा था. उनके द्वारा राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद को भेजे गए पीड़ादायक पत्र से अंदाजा लगाया जा सकता है जिसने 16-17 अगस्त, 1952 को, किस तरह एक हिन्दू सम्राट के वर्चस्व को एक साजिश के तहत अचानक समाप्त कर दिया गया था. राजा द्वारा लिखा गया 9000 शब्द का एक संदेश जो दिल्ली की उस धोखाधड़ी का विवरण देता है जो जवाहरलाल नेहरू और शेख अब्दुल्ला द्वारा निर्देशित थी; और इसमें उस लुई माउंटबेटन के बारे में भी लिखा गया है जो राज्य की बर्बादी शुरू करने के बाद वापस चले गए थे! नेहरू और शेख अब्दुल्ला  हर हिन्दू को लेख अवश्य पढना चाहिए कि कैसे धर्म के आधार पर आजादी के बाद पहला भेदभाव हिन्दुओं के साथ किया गया  यह एक किस्सा है कि किस प्रकार राज्य के वित्त पोषित इतिहासकारों ने भारतीय लोगों के इतिहास और यादों के साथ खिलवाड़ किया है। ऐसे संग्रहों की अखंडता को हर पत्र को सा...

नेहरू ने नहीं होने दिया कश्मीर का समाधान

नेहरू के केन्द्रीय मंत्रिमण्डल से त्यागपत्र देकर बिना परमिट के  जम्मू-कश्मीर कूच करते डॉ श्यामा प्रसाद मुख़र्जी  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सम्पर्क प्रमुख तथा पूर्व में जम्मू-कश्मीर के प्रांत प्रचारक रहे अरुण कुमार ने एक वार्ता में कहा कि जम्मू-कश्मीर में सूचनाओं, जानकारियों का विकृतिकरण हुआ है और देश मे जम्मू-कश्मीर के बारे में जानकारियों का अभाव है। इसलिये जटिल समस्याओं में से एक कश्मीर की समस्याओं का निदान नही हो पाया। इसलिये जम्मू-कश्मीर को लेकर कुछ ठीक करना है तो सबसे पहले जम्मू-कश्मीर को लेकर एकेडमिक काम करने की आवश्यकता है जिस पर कार्य करना चाहिये। वह दीन दयाल शोध संस्थान में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बहुआयामी व्यक्तित्व व कृतत्व पर आधारित पुस्तक “डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी और कश्मीर समस्या” के लोकार्पण के अवसर पर अपने विचार व्यंक्त कर रहे थे। इस दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय के महाराजा अग्रसेन महाविद्यालय के इतिहास विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. ऋतु कोहली द्वारा लिखित इस पुस्तक को प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित किया। ब्रिटेन व अमेरिका चाहते थे कश्मीर का पाक में...

किसने मारा था डॉ श्यामा प्रसाद मुख़र्जी को ?

भूली बिसरी यादें : इतिहास के धूमिल पृष्ठों से  भारतीय जन संघ के संस्थापक सदस्यों में से एक, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 6 जुलाई को जयन्ती होती हैं.  6 जुलाई सन् 1901 को कोलकाता में जन्मे श्यामा प्रसाद मुख़र्जी को भारतीय राजनीति में उनके कई अहम योगदानों के लिए हमेशा ही याद रखा जाता है। इन्ही में से श्यामा प्रसाद मुख़र्जी का एक अहम कदम था कश्मीर मुद्दे पर उनका सुझाया हल जिसके बाद नेहरु सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार ने उन्हें मौत का इनाम दे डाला था। श्यामा प्रसाद मुख़र्जी की मौत के ठीक बाद ही देश के उस समय के तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने नम आखों से श्यामा प्रसाद मुख़र्जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया था कि , ” वो (श्यामाप्रसाद मुख़र्जी) अपने सार्वजनिक जीवन में अपनी अंतरात्मा की आवाज़ को व्यक्त करने से कभी भी डरे नहीं थे.” केवल  33 साल की उम्र में कोलकाता यूनि‍वर्सि‍टी के वीसी बने थे श्यामा प्रसाद मुख़र्जी श्यामा प्रसाद मुख़र्जी के पिता सर आशुतोष मुख़र्जी खुद हाईकोर्ट के जज और शिक्षाविद् हुआ करते थे। श्यामा प्रसाद मुख़र्जी के पिता के बारे ...

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To write on general topics and specially on films;THE BLOGS ARE DEDICATED TO MY PARENTS:SHRI M.B.L.NIGAM(January 7,1917-March 17,2005) and SMT.SHANNO DEVI NIGAM(November 23,1922-January24,1983)