कांग्रेस के खेल को बिगाड़ते सोज़ आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार इतिहास अवलोकन करने पर एक बात जरूर स्पष्ट होती है कि जितने विवादित बयान कांग्रेस की तरफ से आते रहे है, उतने किसी अन्य पार्टी की तरफ से नहीं आए। जब देश में प्रधानमंत्री मनोनीत करने पर वोटिंग में जवाहरलाल नेहरू तीन वोट और समस्त वोट सरदार पटेल के पक्ष में आने पर नेहरू ने महात्मा गाँधी नेहरू की कांग्रेस को तोड़ने की धमकी के आगे नतमस्तक होकर, पटेल की बजाए हारे हुए उम्मीदवार नेहरू को प्रधानमंत्री बना दिया। और उसी नेहरू ने महात्मा गाँधी की भाँति भारत में हुए प्रथम चुनाव में लोकतन्त्र का गला घोंट दिया यानि रामपुर से हिन्दू महासभा के प्रत्याक्षी बिशन सेठ ने नेहरू की लाडले मौलाना अबुल कलाम आज़ाद को लगभग 6000 वोटों से हराया, जो नेहरू से बर्दाश्त से बर्दाश्त नहीं हुई। तुरन्त उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री गोबिन्द बल्लब पंत को मौलाना आज़ाद को संसद में देखने को कहा और पंत ने साम, धाम, दण्ड और भेद अपनाते हुए बिशन को विजयी जलूस से उठवाकर मतगणना केन्द्र ले जाकर, उनकी वोटें आज़ाद में मिलवाकर पराजित हुए ...