आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार 2018 शुरू होते ही 2019 चुनाव का शंखनाद हो गया। अब हर पार्टी अपने चुनावी वायदे पूरे कर मतदाता को रिझाने में व्यस्त है। 2014 में जनता ने नरेन्द्र मोदी से बहुत उम्मीद रख, या दूसरे अर्थों में कहा जाए कि हथेली पर सरसों ज़माने की लालसा में बहुमत से सरकार बनाने में खुलकर भाजपा को वोट किया। जनता भी यह भूल गयी कि हथेली पर एकदम सरसों नहीं उगा करती, समय लगता है। लेकिन जो इस वास्तविकता को समझ संयम से काम ले रहे हैं, मोदी की कार्यशैली से खुश हैं। हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इस धरती पर आया हर प्राणी गलती का पुतला है। लेकिन मोदी के अंधभक्त इसे स्वीकारने को तैयार नहीं। उन्हें शायद नहीं मालूम, कि 2012 गुजरात चुनावों में तत्कालीन मुख्यमन्त्री रहे मोदी के एक ही भाषण सुनने उपरान्त एक हिन्दी पाक्षिक को सम्पादित करते अपने लेखों में अक्सर लिखा करता था कि "देश का प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी हो या मोदी जैसा हो" लेकिन आज जब किसी बात को लेकर, मोदी सरकार के विरुद्ध लिखने पर whatsapp आदि से ब्लॉक कर रहे हैं। जिसकी जैसी सोंच। मोदी की कार्यशैली पर अपने...