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क्या मदर टेरेसा वास्तव में संत थीं?

मदर टेरेसा प्रारम्भ से ही विवादों में रही, लेकिन छद्दम धर्म-निरपेक्ष यानि नगाड़ो की आवाज़ में तूती की आवाज़ किसी ने नहीं सुनी। जनसेवा के नाम पर देश में ईसाई धर्मान्तरण को प्रोत्साहित करती रही। टेरेसा को नोबेल पुरस्कार मिलने पर ओशो ने विरोध भी किया था। प्रस्तुत है ओशो को टेरेसा द्धारा लिखे पत्र पर ओशो का प्रवचन:-- मदर टेरेसा को नोबल पुरस्कार मिलने पर ओशो ने मदर टेरेसा के कार्यों का विश्लेषण किया था, जिससे मदर टेरेसा और उनके समर्थक नाराज हो गये थे. मदर ने दिसम्बर 1980 के दिसंबर माह के अंत में ओशो को पत्र लिखा. उस पर ओशो का प्रवचन – राजनेता और पादरी हमेशा से मनुष्यों को बांटने की साजिश करते आए हैं. राजनेता बाह्य जगत पर राज जमाने की कोशिश करता है और पादरी मनुष्य के अंदरुनी जगत पर. इन दोनों ने मानवता के खिलाफ गहरी साजिशें मिलकर की हैं. कई बार तो अपने अंजाने ही इन लोगों ने ऐसे कार्य किये हैं. इन्हे खुद नहीं पता होता ये क्या कर रहे हैं. कई बार इनकी नियत नहीं होती गलत करने की पर चेतना से रहित उनके दिमाग क्या सुझा सकते हैं? अभी हाल में मदर टेरेसा ने मुझे एक पत्र लिख भेजा. मुझे उनके पत्र क...

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shannomagan
To write on general topics and specially on films;THE BLOGS ARE DEDICATED TO MY PARENTS:SHRI M.B.L.NIGAM(January 7,1917-March 17,2005) and SMT.SHANNO DEVI NIGAM(November 23,1922-January24,1983)