शाहबानो निर्णय से तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी को डराने वाले अकबर, नरेंद्र मोदी के आगे बने भीगी बिल्ली
शाहबानो निर्णय को बदलवाने वाले एम जे अकबर आखिर किस दबाव में तीन तलाक़ पर सहमत हुए? क्या राज है, सत्ता का मोह? आखिर वो कौन से कारण थे, कि तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गाँधी को सुप्रीम कोर्ट का निर्णय बदलवाने के विवश किया और आज ट्रिपल तलाक़ के मुद्दे पर "संसद में इस्लाम खतरे में" की आवाज़ लगने पर सरकार के समर्थन में खड़े हो गए? जो किसी न किसी गुप्त मंत्रणा की साज़िश का स्पष्ट संकेत दे रहे हैं। जिस समय तीन तलाक का मुद्दा कोर्ट में लम्बित था, सत्ता के गलियारों में यह चर्चा बहुत गर्म थी कि "शाहबानो प्रकरण दोहराया जाएगा?" क्योकि उस समय एम.जे.अकबर कांग्रेस में थे और आज भाजपा में। लगता है, वर्तमान सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सख्त व्यवहार के कारण अकबर अपना मुँह खोलने में पूर्णरूप से असमर्थ रहे और संसद में "इस्लाम खतरे में है" की उठी आवाज़ को कुचलने में सरकार के पक्ष में खड़े हो गए। वास्तव में समय बड़ा बलवान होता है। एक झटके में तीन तलाक के खिलाफ प्रस्तावित मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण 2017) गुरुवार (28 दिसंबर) को लोकसभा में पास हो गया। इस बिल प...