लगभग दो वर्ष एक हिन्दी पाक्षिक का सम्पादन करते शीर्षक “कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का Positive DNA” पर अमुख कथा लिखी थी। जिसमे विस्तार से आम आदमी पार्टी के स्तंभों का सोनिया गाँधी से सम्बन्धों का उल्लेख किया था, जिसका आज तक किसी ने खंडन नहीं किया। इस पार्टी को मैदान में इस लिए उछाला गया था, ताकि खिचड़ी बनाकर केजरीवाल के हाथ सत्ता देकर भ्रष्टाचार के सारे सबूत नष्ट करवा कर देश को पुनः चुनाव में धकेल दिया जाए। केजरीवाल और इस पार्टी द्धारा कांग्रेस की आलोचना जनता को भ्रमित करने का मात्र एक नाटक है। केन्द्र में जब से मोदी सरकार आयी है और कांग्रेस के घोटाले उजागर होने प्रारम्भ हुए आआप के नेताओं की चीख निकलती कि “मोदीजी काम नहीं करने दे रहे”; न ही जनता और न ही भारतीय जनता पार्टी ने इस चीख की गहराई में जाने का प्रयत्न किया। सन्देह है, जिस तरह भाजपा इस पार्टी से आये लोगों को प्रसाद रूपी टिकट देती है, कहीं कल वो ही इनकी गले की फ़ांस न बन जाये? पार्टी नेतृत्व को चाहिए कि इन लोगों से आआप और कांग्रेस के गुप्त समझौते को जलसों में सार्वजानिक करवाएं। इस वर्तमान कांड ने किसी गुप्त समझौते को सार्वजनिक ...