आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार न्यूज चैनलों एवं पत्र-पत्रिकाओं में सरकार द्वारा जनहित में ग्राहकों को जाग्रत करने विज्ञापन ‘‘जागो ग्राहक जागो’’ प्रसारित होता है, लेकिन भारतीय जनमानस इतना बेहोश है, या यूं कहा जाए कि अपनी मस्ती में मस्त हैं और उसको अपने हितों की एवं कटती जेब की लेशमात्र भी चिन्ता नहीं। मैं यदा-कदा बेंगलुरु एवं हैदराबाद प्रवास पर रहता हूँ। जब भी यहाँ के बाजार अथवा मॉल्स में जाता हूँ, स्पष्ट रूप से ग्राहकों को ख़ुशी-ख़ुशी अपनी जेब कटवाते देखता हूँ। हैदराबाद में 21 रुपए की दूध की थैली खुलेआम 22 रूपए में बिक रही है। फूल गोभी 20 से 30 रुपए प्रति नग बिक रही है, गोभी का वज़न कितना है, कोई मायने नहीं रखता। चाहे वह 300 ग्राम का है या एक किलो से ऊपर। मजबूरी का नाम महात्मा गांधी। उपभोक्ता नियमों का होता उपहास विश्व में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है, जहां छोटे सिक्के चलन बंद है। जबकि दैनिक समाचार पत्र सेे लेकर रोजमर्रा की कई चीजों जैसे पैट्रोल एवं डीजल की कीमतों में उन छोटे सिक्कों की जरूरत होती है, लेकिन छोटे सिक्के चलन में न होने के कारण ग्राहक को केवल ...