केजरीवाल ने कहा, ‘आप कह रहे हैं कि अगर कोई 2.5 लाख से ज्यादा बैंकों में पैसे जमा कराता है तो उस पर आप 200 फीसदी का जुर्माना लगाएंगे। एक रिक्शेवाले या किसान ने दस साल कमाई करके अपने 5-10 लाख रुपए जोड़े होंगे अपने बच्चों की शादी के लिए या फिर अन्य काम के लिए। इस जुर्माने का असर उन लोगों पर पड़ेगा। अरबों-खरबों रुपए वालों पर आपने कोई कार्रवाई नहीं की। आपने गरीबों को मारा है। आपको भगवान माफ नहीं करेगा।’
केजरीवाल ने कहा, ‘उन्होंने एक सप्ताह पहले ही अपने साथियों को इस बारे में जानकारी दे दी थी। उन्होंने पहले ही निवेश कर लिया है। साथ ही मुझे यह भी समझ में नहीं आता कि आप 1000 रुपए का नोट बंद कर 2000 रुपए का नोट जारी करके कैसे भ्रष्टाचार खत्म कर सकते हैं।’
चने के साथ घुन पिसेगा ही
वैसे केजरीवाल की इस बात में दम तो है कि "आप 1000 रुपए का नोट बंद कर 2000 रुपए का नोट जारी करके कैसे भ्रष्टाचार खत्म कर सकते हैं।" सामान्य परिवारों में शायद ही 10/15,000 की कीमत के 500 या 1000 रूपए के नोट होंगे। लेकिन सृष्टि रचना से लेकर आजतक चने के साथ पिस्ते घुन को कोई नहीं रोक पाया और न ही रोक सकता है। आय से अधिक संपत्ति के मामलों में सरकार बताए कितने नेताओं को सजा हुई है? करोड़ों का चारा घोटाला करने वाले लालू यादव को जमानत कैसे मिल गयी? क्या इतने वर्षों में किसी भी सरकार ने घोटाला राशि वसूलने का प्रयत्न किया? यदि किसी आम नागरिक या सरकारी कर्मचारी ने इस तरह का घोटाला किया होता, उस स्थिति में सरकार क्या करती? सड़क से लेकर संसद तक पता नहीं कितने लालू घूम रहे हैं। मतलब यह है कि रिश्वत लेने वाला तो आज भी रिश्वत ले रहा है और लेता रहेगा। उस पर लगाम कैसे लगेगी?
केजरीवाल की परेशानी
आज इस देश का गरीब से गरीब आदमी समझ रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी का 1000, 500 रुपये के नोट बंद करने का आदेश देश से कालेधन को ख़त्म कर देगा और भ्रष्टाचार, आतंकवाद और बईमानी पर लगाम लगाएगा लेकिन इनकम टैक्स में अफसर रहे केजरीवाल इस आदेश पर बौखलाए हुए हैं और इस बहुत परेशान हैं। इनकम टैक्स विभाग में इतने वर्ष नौकरी करने पर इनको इस बात का ज्ञान नहीं कि "भ्रष्टाचार और काला धन किस तरह जुगाड़ा जाता है?"
दबंग फिल्म में एक डायलाग है, सांस कहाँ से लें और पा.** कहाँ से, उसी तरह से केजरीवाल भी समझ नहीं पा रहे हैं कि इस आदेश की तारीफ करें या आलोचना करें। उन्होने खुलकर तो आलोचना नहीं की लेकिन प्रेस कांफ्रेंस करके इस आदेश को मोदी का तुगलकी फरमान बता दिया और केजरीवाल ने भी अपनी पार्टी के बयान को रि-ट्वीट करके उन्होंने उस बयान पर अपनी मुहर लगा दी।
ऐसा लगता है कि इस आदेश से सबसे अधिक नुकसान केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को हुआ है क्योंकि एकाएक उन्हें काला चंदा देने वालों पर नकेल लग गयी है, इससे पहले केजरीवाल चाय समोसे और डिनर का कार्यक्रम आयोजित करके हजारों का चंदा ले लेते थे और चंदा देने वालों का पता भी नहीं चलता था लेकिन अब हर रुपये पर सरकार की नजर रहेगी और हर रूपया बैंक में जमा करना जरूरी रहेगा इसलिए अब राजनीतिक पार्टियों को काला चंदा मिलना बंद हो जाएगा।
शायद इस नुकसान को केजरीवाल पचा नहीं पा रहे हैं इस लिए हर उस ट्वीट को रि-ट्वीट कर रहे हैं जिसमें इस आदेश की आलोचना की गयी है और मोदी को गरियाया गया है, यही नहीं कल उन्होंने ममता बनर्जी के उस ट्वीट को रि-ट्वीट भी किया था जिसमें उन्होंने इस आदेश को तुरंत वापस लेने की बात की गयी थी।
क्या कहा AAP ने
आम आदमी पार्टी (आप) ने 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट बंद करने के केंद्र सरकार के फैसले को बुधवार को तुगलकी फरमान करार दिया और कहा कि यह कदम काला धन रखने वाले बड़े व्यापारियों को बचाने के लिए उठाया गया।
क्या तुगलक ज़ालिम था ?
मोदी के इस साहसिक कदम ने पुराने एवं राजनीति में आये सभी नए नेताओं के मुख पर मुग़ल बादशाह तुगलक का नाम ला दिया। इन्हीं के मुख से कहलवा दिया कि तुगलक वास्तव में एक ज़ालिम बादशाह था। फिर तो सरकार को इस बात का संज्ञान लेते हुए तुगलक रोड और तुगलकाबाद का नाम बदल देना चाहिए। फिर जनता यह भी देखेगी कि "वोटबैंक के भूखे यही नेता तुगलक के कसीदे पढ़ने शुरू कर भ्रमित करेंगे।"
आप नेता संजय सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का तुगलकी फरमान किसानों, गरीब आदमी के पीठ पे हथौड़ा है।"
उन्होंने कहा, "यह कदम काला धन रखने वाले बड़े व्यापारियों को बचाने के लिए उठाया गया है।"
मोहम्मद बिन तुगलक मध्यकालीन भारत का एक शासक था, जिसे राजधानी को दिल्ली से दक्षिण भारत के दौलताबाद स्थानांतरित करने, और मुद्रा बदलने के सनकपूर्ण निर्णयों के लिए जाना जाता था। लेकिन उसका निर्णय हमेशा गलत साबित होता था।
सिंह ने आरोप लगाया, "जनता मानती है कि मोदी सरकार ने अडानी, अंबानी जैसे बड़े व्यापारियों और शरद पवार, येदियुरप्पा, सुखबीर सिंह बादल और उत्तर प्रदेश के अन्य भाजपा नेताओं को अपना काला धन सुरक्षित कर लेने के लिए पहले ही कह चुकी है।"
उन्होंने कहा कि यह निर्णय सिर्फ आम आदमी को परेशान करने के लिए है।
सिंह ने कहा, "इस निर्णय के साथ ही पूरे देश में अफरा-तफरी है। यह सरकार बड़े डिफाल्टरों और स्विस खातों में काला धन रखने वालों को पकड़ना नहीं चाहती, बल्कि सिर्फ आम आदमी को परेशान करना चाहती है।"
उन्होंने यह भी कहा, "मोदीजी, मुझे बताइए कि जिस व्यक्ति के पास बैंक खाता नहीं है और उसने 500 रुपये और 1000 रुपये के कुछ नोट बचा कर रखे हैं, वह क्या करेगा?"
केजरीवाल जी आपको यह भी मालूम होना चाहिए कि "वेतनभोगी, भ्रष्टाचारी को छोड़, अपनी बचत छुपा नहीं सकता। अब बचा कौन? गरीब और व्यापारी वर्ग।"इस सन्दर्भ में केवल इतना ही कहना है कि निम्न लेख का अवलोकन जरूर कीजिये।

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