बिहार में महागठबंधन की सरकार अब बिखर सकती है। राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी को लेकर महागठबंधन में आए दरार के बाद अब जेडीयू पूरी तरह से महागठबंधन से अलग होने के लिए तैयार है। जेडीयू के बड़े नेता केसी त्यागी ने तो साफ कह दिया कि जेडीयू बीजेपी के साथ गठबंधन में कहीं अधिक सहज थी, जबकि लालू यादव के साथ स्थिति बेहद असहज हो चली है। भाजपा के साथ चलते नीतीश का ही कद नहीं बड़ा था, बल्कि जेडीयू का भी। दरअसल, राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित करने के समय जेडीयू के अलग रुख के बाद कांग्रेस और आरजेडी ने नीतीश कुमार की तीखी आलोचना की थी।JDU राज्य सभा सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता के.सी. त्यागी ने राष्ट्रपति पद के लिए मीरा कुमार को समर्थन ना देने को लेकर बड़ा बयान दिया है, उन्होंने कहा कि कांग्रेस अपनी पार्टी के नेता को ही राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाना चाहती थी इसलिए हमने उन्हें समर्थन नहीं दिया अगर मीरा कुमार की जगह किसी गैर-कांग्रेसी नेता को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाया जाता तो हम जरूर समर्थन देते।
वैसे भी तुलनात्मक दृष्टि से मीरा कुमार के मुकाबले राम नाथ कोविंद का पलड़ा ज्यादा भारी है। मीरा पर आरोप है कि असंवैधानिक रूप से दो बंगलो पर कब्ज़ा और किराए को तत्कालीन प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह से किराया माफ़ करवाना और वर्तमान सरकार द्वारा दिए बिल का अभी तक भुगतान न करना आदि अनेकों अवरोध है। संभव है, इन अवरोधों के चलते अन्य पार्टियाँ भी मीरा को वोट न देने की बजाए अपने अधिकार का प्रयोग ही न करें। और इस बात का सभी पार्टियाँ अनुभव कर रही हैं कि मीरा जीतेंगी तो नहीं, लेकिन चुनाव उपरान्त इन पर जो कानूनी शिकंजा कसा जाएगा, उसमे न चाहते हुए जबरदस्ती में साथ देना पड़ेगा। वास्तव में राष्ट्रपति पद के लिए मीरा द्वारा अपनी सहमति देते ही इनके गैर-कानूनी काम चर्चा में आ गए, जो इनके लिए नुकसानदायक सिद्ध होने की पूरी सम्भावना है।
कांग्रेस पार्टी ने NDA के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन देने को लेकर नीतीश कुमार और JDU पर हमला तेज कर दिया है, आज कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने तो यहाँ तक कह दिया कि बिहार की बेटी को हराने का सबसे पहले फैसला नीतीश कुमार ने किया है। कांग्रेस के अलावा लालू यादव ने भी इसे नीतीश कुमार की ऐतिहासिक भूल बताया था।
आज KC Tyagi ने कहा कि हमने कांग्रेस पार्टी से कई बार कहा कि वो नॉन-कांग्रेसी नेता को ही राष्ट्रपति उम्मीदवार बनायें, लेकिन कांग्रेस अपने ही नेता को राष्ट्रपति उम्मीदवार बंनाने की जिद पर अड़ी थी इसलिए हमने भी अलग फैसला किया और NDA उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन किया क्योंकि वे बिहार के गवर्नर भी रह चुके हैं और हर लिहाज से काबिल और अनुभवी है। KC Tyagi ने कहा कि हमने चेन्नई में लेफ्ट पार्टी से बात की थी और हम लोग गोपाल कृष्ण गाँधी को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाना चाहते थे लेकिन कांग्रेस पार्टी हमारी बात नहीं मानी।
जेडीयू के जनरल सेक्रेटरी केसी त्यागी ने ये बात उस सवाल के जवाब में कही, जिसमें लालू-नीतीश के बीच बढ़ती खाईं और आरजेडी से गठबंधन पर सवाल पूछा गया था। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को बीजेपी के साथ सरकार चलाने में इतनी दिक्कतें कभी नहीं आई, जितनी लालू यादव के साथ सरकार चलाने में आ रही है। हम एनडीए में कहीं अधिक सहजता के साथ काम करते थे।
केसी त्यागी ने साथ ही ये भी कहा कि हमारा गठबंधन सिर्फ बिहार तक है, जिसे हम और आप महागठबंंधन के नाम से जानते हैं। कांग्रेस के साथ ही भूमिका सिर्फ बिहार तक ही सीमित है। हम किसी भी तरह से कांग्रेस के साथी और यूपीए का हिस्सा नहीं हैं। ऐसे में हमारी पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर अपना अलग स्टैंड लेने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है। उन्होंने आरजेडी और कांग्रेस को चेताया भी कि वो नीतीश कुमार की बुराई बंद करे। ये बर्दास्त नहीं किया जाएगा।
केसी त्यागी ने साथ ही ये भी कहा कि हमारा गठबंधन सिर्फ बिहार तक है, जिसे हम और आप महागठबंंधन के नाम से जानते हैं। कांग्रेस के साथ ही भूमिका सिर्फ बिहार तक ही सीमित है। हम किसी भी तरह से कांग्रेस के साथी और यूपीए का हिस्सा नहीं हैं। ऐसे में हमारी पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर अपना अलग स्टैंड लेने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है। उन्होंने आरजेडी और कांग्रेस को चेताया भी कि वो नीतीश कुमार की बुराई बंद करे। ये बर्दास्त नहीं किया जाएगा।
जेडीयू के मुखिया नीतीश कुमार अब महागठबंधन से निकलने का पूरा मन बना चुके हैं। इसकी वजह आरजेडी के मुखिया लालू प्रसाद के पूरे परिवार का ईड़ी और आईटी जांच में फंसना है।
गौरतलब है कि नीतीश कुमार द्वारा राष्ट्रपति पद के चुनाव में एनडीए के कैंडिडेट और बिहार के राज्यपाल रहे रामनाथ कोविंद को समर्थन देने के बाद जेडीयू-कांग्रेस-आरजेडी के रिश्तों में कड़वाहट आ गई है। बता दें कि 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में आरजेडी के पास 80 विधायक हैं, तो जेडीयू के पास 71 विधायक। वहीं बीजेपी के पास 53 विधायक हैं। ऐसे में अगर बीजेपी-जेडीयू साथ आ जाते हैं, तो उन्हें बिहार में सरकार बनाने में कोई खास परेशानी नहीं होगी।
गौरतलब है कि नीतीश कुमार द्वारा राष्ट्रपति पद के चुनाव में एनडीए के कैंडिडेट और बिहार के राज्यपाल रहे रामनाथ कोविंद को समर्थन देने के बाद जेडीयू-कांग्रेस-आरजेडी के रिश्तों में कड़वाहट आ गई है। बता दें कि 243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में आरजेडी के पास 80 विधायक हैं, तो जेडीयू के पास 71 विधायक। वहीं बीजेपी के पास 53 विधायक हैं। ऐसे में अगर बीजेपी-जेडीयू साथ आ जाते हैं, तो उन्हें बिहार में सरकार बनाने में कोई खास परेशानी नहीं होगी।
बिहार में महागठबंधन खतरे में है क्योंकि RJD नेताओं के बाद अब कांग्रेसी नेताओं ने भी नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, आज कांग्रेस के बड़े नेता गुलाम नबी आजाद ने नीतीश कुमार को दलित विरोधी बताते हुए कहा कि वह ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने बिहार की बेटी को हराने का सबसे पहले निर्णय किया था।
नीतीश कुमार ने NDA के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को समर्थन दिया है, उन्होने रामनाथ कोविंद को समर्थन देने के बाद कहा कि विपक्ष ने सिर्फ बिहार की बेटी मीरा कुमार को हराने के लिए मैदान में उतारा है, उनकी हार तय है। आज इसीलिए कांग्रेस पार्टी ने उन पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि नीतीश कुमार बिहार की बेटी मीरा कुमार को हराना चाहते हैं, हम नहीं।इससे पहले लालू यादव ने नीतीश कुमार के निर्णय को ऐतिहासिक भूल बताते हुए उसे सुधारने की अपील की थी लेकिन नीतीश कुमार ने कहा कि उनका फैसला अटल है. उन्होंने कहा कि बिहार की बेटी मीरा कुमार को सिर्फ हराने के लिए मैदान में उतारा गया है।
बिहार में चल रहे महागठबंधन सरकार के बीच की दरारें दिन-ब-दिन गहरी होती जा रही हैं। जनता दल (यूनाइटेड) के वरिष्ठ नेता और महासचिव के. सी. त्यागी ने कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में थे तो ज्यादा सहज थे। त्यागी के बयान से इस सम्भावना को मजबूती मिली है कि नीतीश जल्द ही राष्ट्रीय जनता दल का दामन छोड़ वापस एनडीए के पाले में आ बैठेंगे। पिछले कुछ दिनों से दोनों दलों के नेताओं के कई बयान आये हैं जिन से ऐसा आभास मिल रहा है कि आपसी दूरियां बढ़ती जा रही हैं। ताज़ा विवाद एनडीए के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को लेकर है, जिसे राष्ट्रपति के चुनाव में जद (यू) का समर्थन हासिल है। संयुक्त विपक्ष की उम्मीदवार मीरा कुमार को लालू यादव का दल राजद समर्थन कर रहा है। नीतीश ने अपने फैसले को सही करार देते हुए कहा था कि 'बिहार की बेटी' वाली बात में अगर दम है तो उन्हें चुनाव में हारने के लिए क्यूँ उतारा जा रहा है। हांलांकि नीतीश ने यह भी कहा कि उनके फैसले का महागठबंधन सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

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