आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भारतीय जनता पार्टी पर तीखे आरोप लगाते हुए उसे हिंदू-मुसलमान को बांटने वाली पार्टी बताया और कहा कि जो काम पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई 70 साल में नहीं कर सकी, भाजपा ने उसे 3 साल में कर दिया। उन्होंने कहा कि जो लोग बांटने का काम रहे हैं वे देशद्रोही हैं और आईएसआई के एजेंट हैं।
उन्होंने गुजरात के मतदाताओं से भाजपा को हराने वाले उम्मीदवार को वोट देने की अपील की चाहे वह आप का उम्मीदवार हो या किसी अन्य दल का। आम आदमी पार्टी की स्थापना के पांच साल पूरे होने पर पार्टी ने अपना स्थापना दिवस मनाया। रामलीला मैदान में आयोजित इस समारोह में पार्टी के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास, संजय सिंह, मनीष सिसोदिया, गोपाल राय और आशुतोष भी शामिल थे।
अपने संबोधन में केजरीवाल ने कार्यकर्ताओं को नसीहत दी कि अगर पार्टी व देश हित में विरोधाभास की स्थिति हो तो वे देश को चुनें और वहां पार्टी को नजरंदाज करें। केजरीवाल ने दावा किया कि बिना अधिकार वाली दिल्ली सरकार अगर शिक्षा, स्वास्थ्य , पानी, बिजली के क्षेत्र में इतना काम कर सकती है तो दूसरे राज्यों की सरकारें ऐसा क्यों नहीं कर रही हैं।
कार्यक्रम में आप की 22 राज्यों की इकाईयों के लगभग 1500 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। इनमें पंजाब से सांसद भगवंत मान, पार्टी के प्रवक्ता आशुतोष और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कार्यकर्ताओं को संबोधित कर आप की अब तक की उपलब्धियों का लेखा-जोखा पेश किया।
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केजरीवाल की चटकारेदार बातें सुन स्पष्ट होता है, कि इनको इनके जिन आकाओं ने मोदी लहर को ध्वस्त करने सियासत के अखाड़े में उतारने से पूर्व इन्हे अच्छी तरह से मांझा होगा। केजरीवाल राष्ट्र को बताएँ कि विकासपुरी में डॉ नारँग की हत्या किए जाने पर आपको फुर्सत नहीं, लेकिन दादरी और अन्य स्थानों पर किसी मुस्लिम की हत्या होने पर चीखते चिल्लाते वहां पहुँच जाते हो, अब हिन्दू-मुस्लिम में फूट कौन डाल रहा है? जबसे आप राजनीति अखाड़े में उतरे हो, आरोप लगाने के अलावा क्या काम किया है? जब कोई आप पर केस दर्ज करता है, उसके घर पहुँच माफ़ी माँगते हो। शर्म नहीं आती या बेशर्म हो? कोर्ट में अवमानना केस का सामना करने से क्यों पीछे भाग जाते हो? वास्तव में गलती उन लोगों की है जो सार्वजनिक रूप से आपको माफ़ी नहीं मँगवाते, ताकि जनता को मालूम हो कि दिल्ली का मुख्यमन्त्री कितना झूठा है। जो आरोप तो लगाता है, लेकिन उसे सिद्ध करने में असमर्थ होने की स्थिति में बेशर्म बन घर जाकर माफ़ी माँगता है।
केजरीवाल जी एक आरोप बता दो, जिसे आप सत्यापित करने में सक्षम रहे हो? जिसे आईएसआई और भाजपा में अन्तर न दिखता हो, ऐसे किसी भी नेता पर विश्वास करना मूर्खता है। सेना द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक पर मुख्यमन्त्री होते हुए प्रमाण माँगते शर्म नहीं आयी? प्रमाण माँग कर कौन-सी देशभक्ति का प्रमाण दिया था? आपकी इन हरकतों को देख कोई भी मन्द बुद्धि वाला भी आप पर प्रश्नचिन्ह लगाने में संकोच नहीं करेगा।
आपका उस पार्टी के विरुद्ध बोलने का साहस नहीं, जिसने इतने वर्ष साम्प्रदायिकता की सियासत की। गोधरा पर आज तक सब चीखते चिल्लाते दिखते हैं, लेकिन मुज़फ्फरनगर दंगे पर गूंगे!! क्यों? गौ-हत्या के विरोध में गौ वध कर सार्वजानिक रूप से उसके माँस का सेवन कर रहे कोंग्रेसियों के विरुद्ध बोलने का साहस नहीं, क्योकि जो चुनाव पूर्व तत्कालीन मुख्यमन्त्री शीला दीक्षित को जेल भेजने के लिए भ्रष्टाचार के 370 सबूत जनता के समक्ष दिखाते थके नहीं, लेकिन सत्ता हाथ में आते ही, कहाँ गए सब सबूत? वास्तव में इनके आकाओं ने इन्हे मोदी का ही विरोध करने उतारा है और जनता में विश्वास ज़माने के लिए अगर हमें भी आरोपित करना पड़े, निस्संकोच करना, वरना जनता में विश्वास नहीं जमने के कारण मोदी को रोकना असम्भव होगा। परन्तु मोदी का तो नुकसान करने की बजाए अपने आकाओं का ही नुकसान कर बैठे।
दिल्ली में क्रांति दिवस मना कर क्रांति शब्द का भी घृणित मजाक बनाया, किसको इस केजरी ने नहीं लूटा इसने पूरी दिल्ली को जी भर कर लूटा दिल्ली के टैक्सपेयर्स के पैसे से अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को खूब विदेशों में भेजा और अपने विदेशी समर्थकों का कभी भी चंदा खाया जो अभी उनके मांगने पर भी उन्हें वापस भी नहीं दे रहा है, इस केजरीवाल ने शुचिता की राजनीती का नाटक कर झूठ, आडम्बर और पाखंड की आड़ में दिल्ली की जनता को सिर्फ धोखा ही दिया है।
श्री अन्ना हजारे जी के चेले केजरीवाल जी ने अपने को ईमानदार व् शुचित बता कर राजनीति में दिल्ली की जनता से भीख मांग कर जो सत्ता हासिल करी थी, लेकिन आज साफ जाहिर हो गया है कि यह कितना बेईमान और मौकापरस्त गंदा इंसान है। एक छोटी सी उधार की कार में दिल्ली सत्ता की शपथ लेने आए इस मुख्यमंत्री ने उस टाइम दिल्ली के जनता को ईमानदार सुशासन का संदेश दिया था कि वह एक सामान्य आदमी है और दिल्ली के पैसे को बचाकर सभी पैसा दिल्ली की जनता की सुख सुविधा पर ही खर्च करेगा, लेकिन यह सत्य से कोसों दूर रहा। केजरीवाल ने सत्ता सुख पाते ही दिल्ली के खजाने को अपना घर का माल समझ लिया। सरकारी कार्यों में भी विज्ञापन करके सिर्फ अपनी पार्टी का ही प्रचार किया और दिल्ली के खजाने के 526 करोड़ रुपए सिर्फ अपने व्यक्तिगत प्रचार के लिए फुंक दिए। लेकिन इसको कभी शर्म आती नहीं है। उसके बाद यह 16000 की थाली खाने लगा और जो इसने चुनावी वायदे किए थे उसमें से एक भी पूरा नहीं किया, वहीं परिवहन की समस्या दिल्ली अब पहले से ज्यादा झेल रही है, डीटीसी के लिए इसने एक भी बस नहीं खरीदी, पुरानी सरकारों के बनाए हुए पुलों फ्लाई ओवर्स पर अपना नाम लिखकर वाह वाही लूटी, पहले यह सब पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाता था, चिदंबरम, सिब्बल व् कांग्रेसियों पर, इसने उसी मंच से आरोप लगाए जिस पर अन्ना जी भी मौजूद थे। लेकिन अब भी इस को शर्म नहीं आ रही है, अंदर से ये स्वयं पूरा भ्रष्ट है और भ्रष्ट कांग्रेसी ही इसका उद्धार कर सकते है, मतलब नया चोर पुराने चोरो की मदद ले रहा है। केजरीवाल को शर्म नहीं आ रही यह सब पर आरोप लगाता है और उसके बाद उन आरोपों के प्रतिवाद के लिए वकीलों की फौज खड़ी करता है, दिल्ली की जनता के टैक्स के पैसे से उन वकीलों को भुगतान करता है, राम जेठमलानी जी के केस में हम सब देख चुके हैं, न वाईफाई, न कैंटीन बल्कि जिस तरह मोहल्ला क्लीनिकों में आप पार्टी कार्यकर्ताओ की जगह किराये पर ली गयी है, व् पूर्व में अहंकारवश जिस तरह का मोदी विरोधी कैम्पेन के विज्ञापन किये गए, उनका ठेका भी श्री मनीष सिसोदिया के किसी जानकार के पास ही है, पूर्व में इस केजरी ने अपने हर दोषी मंत्री के विरुद्ध हुई जाँच को मोदी जी का षड्यंत्र बताया, जबकि इसका हर मंत्री दोषी निकला, जब से ये सत्ता संभाली है अपने नकारापन के लिए हमेशा ही दुसरो पर दोषारोपण किया, वैसे तो सबको पता है कि काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती।
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