आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
लखनऊ में तन्वी सेठ पासपोर्ट विवाद के चश्मदीद कुलदीप सिंह के अपहरण की कोशिश की गई है. चश्मदीद कुलदीप सिंह का दावा हैै कि उनकी किडनैपिंग की कोशिश की गई.
कुलदीप सिंह का दावा है कि लखनऊ से तीन लोग उन्हें स्कॉर्पियो कार में नेपाल बॉर्डर की ओर ले जा रहे थे, लेकिन लखीमपुर में मौका देखकर वो भागने में कामयाब रहे. कुलदीप सिंह फिलहाल लखीमपुर में हैं. कुलदीप के मुताबिक, उन्होंने लखीमपुर पुलिस को इसकी जानकारी दे दी है. कुलदीप सिंह ने ये भी कहा कि वो लखनऊ में लौटकर FIR दर्ज कराएंगे. वहीं लखनऊ के एसएसपी दीपक कुमार ने पूरे मामले की जांच करने की बात कही है.
लखनऊ पासपोर्ट विवाद में कुलदीप सिंह चश्मदीद है. शनिवार को वह इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाला था. लेकिन, प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही उसे किडनैप कर लिया गया. विवाद बढ़ने के बाद प्रशासन ने इस मामले की जांज LIU से कराने के निर्देश दिए हैं. जानकारी के मुताबिक, तन्वी सेठ ने जो दस्तावेज जमा की थी, उसकी जांच की जाएगी. फिलहाल, तन्वी सेठ को पासपोर्ट दे दिए गए हैं. आरोपी अधिकारी का ट्रांसफर भी कर दिया गया है.
प्रभारी निरीक्षक प्रमोद कुमार झा ने बताया कि जानकीपुरम विस्तार के सेक्टर -3 शिवम सिटी निवासी कारोबारी कुलदीप सिंह (26) ने स्कॉर्पियो सवार अज्ञात बदमाशों पर अपहरण का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई है। कुलदीप का कहना है कि वह शनिवार दोपहर 2.05 बजे आधार कार्ड की फोटोकॉपी कराने बाइक से निकले थे। भिठौली-सीडीआरआई मार्ग पर स्कॉर्पियो सवार बदमाशों ने बाइक को ओवरटेक करके रुकवाया और उन्हें गाड़ी में लाद लिया। इसके बाद गाड़ी सीतापुर रोड पर दौड़ने लगी। बदमाशों ने उसे नशा सुंघाकर बेहोश कर दिया।
चार-पांच घंटे बाद होश आने पर देखा तो गाड़ी जंगल के किनारे खड़ी थी और दो बदमाश कुछ दूरी पर स्थित ढाबे पर जलपान करने गए थे। गाड़ी का दरवाजा लॉक किए बगैर चालक को लघुशंका करते देखा। धीरे से दरवाजा खोलकर गाड़ी से उतरा और भाग निकला। रास्ते में रोडवेज की बस पर सवार होकर कस्बा संसारपुर स्थित पुलिस चौकी पर पहुंचा। पुलिसकर्मियों को मामले की जानकारी दी।
तन्वी सेठ ने पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा पर बदसलूकी का आरोप लगाया था. तन्वी सेठ का आरोप है कि पूछताछ के दौरान उनपर निजी कमेंट किए गए, और गलत तरीके से व्यवहार किया गया. जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उनके साथ गलत व्यवहार किया गया.
अवलोकन करें:--
अपने साथ हुई घटना को लेकर तन्वी सेठ ने विदेश मंत्रालय को ट्वीट कर शिकायत की थी. शिकायत पर संज्ञान लेते हुए गृह मंत्रालय ने तुरंत कार्रवाई की और लखनऊ पासपोर्ट कार्यालय से जवाब मांगा. विदेश मंत्रालय द्वारा संज्ञान लिए जाने के बाद तन्वी सेठ और अनस सिद्धीकी का पासपोर्ट तुरंत जारी कर दिया गया और आरोपी अधिकारी को गोरखपुर ट्रांसफर कर दिया गया.
अपने ऊपर लगे आरोपों को लेकर पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा मीडिया के सामने आए और सभी आरोपों का खंडन किया. उन्होंने कहा कि तन्वी सेठ गलत तरीके से अपने पति अनस सिद्धीकी का नाम पासपोर्ट में शामिल कराना चाहती थीं. तन्वी सेठ ने दस्तावेज के तौर पर निकाहनामा दिया था, जिसमें उनका नाम सादिया अनस लिखा हुआ था. उन्होंने इसकी जानकारी आवेदन में नहीं दी थी. इसी वजह से मैंने दस्तावेज को लेकर सवाल उठाए थे. विकास मिश्रा के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर उनके समर्थन में हजारों लोग एकजुट हो गए. इसी कड़ी में मशहूर लोक गायिका मालिनी अवस्थी भी उनके पक्ष में खड़ी हो गईं.
अपने उपरोक्त लेख में सरकार से प्रश्न करते पूछा था, "पासपोर्ट ऑफिसर का ट्रांसफर कर, सरकार क्या सिद्ध करना चाहती है? क्या वह अधिकारी गलत था? क्या उचित जानकारी प्राप्त करने का किसी अधिकारी का कर्तव्य नहीं? यदि इस अधिकारी ने स्पष्टीकरण नहीं माँगा होता और किसी भी अनहोनी घटने पर सरकार ने इसी पासपोर्ट अधिकारी को सूली पर टांगने से गुरेज नहीं करती। सरकार को तन्वी से पूछना चाहिए था कि "आखिर किस कारण हिन्दू और मुस्लिम नाम रखा जा रहा है?"
अब सरकार को चाहिए कि जाँच पूरी होने तक तन्वी सेठ उर्फ़ सादिया बेगम का पासपोर्ट वापस लिया जाये। क्योंकि मामला जरुरत से ज्यादा संगीन होता प्रतीत हो रहा है। जिसकी गंभीरता से जाँच होनी चाहिए। और जो अपराधी हो उस पर सख्त कार्यवाही हो।
लखनऊ में तन्वी सेठ पासपोर्ट विवाद के चश्मदीद कुलदीप सिंह के अपहरण की कोशिश की गई है. चश्मदीद कुलदीप सिंह का दावा हैै कि उनकी किडनैपिंग की कोशिश की गई.
कुलदीप सिंह का दावा है कि लखनऊ से तीन लोग उन्हें स्कॉर्पियो कार में नेपाल बॉर्डर की ओर ले जा रहे थे, लेकिन लखीमपुर में मौका देखकर वो भागने में कामयाब रहे. कुलदीप सिंह फिलहाल लखीमपुर में हैं. कुलदीप के मुताबिक, उन्होंने लखीमपुर पुलिस को इसकी जानकारी दे दी है. कुलदीप सिंह ने ये भी कहा कि वो लखनऊ में लौटकर FIR दर्ज कराएंगे. वहीं लखनऊ के एसएसपी दीपक कुमार ने पूरे मामले की जांच करने की बात कही है.
लखनऊ पासपोर्ट विवाद में कुलदीप सिंह चश्मदीद है. शनिवार को वह इस मामले में प्रेस कॉन्फ्रेंस करने वाला था. लेकिन, प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले ही उसे किडनैप कर लिया गया. विवाद बढ़ने के बाद प्रशासन ने इस मामले की जांज LIU से कराने के निर्देश दिए हैं. जानकारी के मुताबिक, तन्वी सेठ ने जो दस्तावेज जमा की थी, उसकी जांच की जाएगी. फिलहाल, तन्वी सेठ को पासपोर्ट दे दिए गए हैं. आरोपी अधिकारी का ट्रांसफर भी कर दिया गया है.
Kuldeep, a person claiming to be the eyewitness in the interfaith couple passport case has surfaced, he is supporting the RPO, he has also said an abduction attempt was made on him. All this is totally unconfirmed right now and we are looking into it: Deepak Kumar,SSP Lucknow
चार-पांच घंटे बाद होश आने पर देखा तो गाड़ी जंगल के किनारे खड़ी थी और दो बदमाश कुछ दूरी पर स्थित ढाबे पर जलपान करने गए थे। गाड़ी का दरवाजा लॉक किए बगैर चालक को लघुशंका करते देखा। धीरे से दरवाजा खोलकर गाड़ी से उतरा और भाग निकला। रास्ते में रोडवेज की बस पर सवार होकर कस्बा संसारपुर स्थित पुलिस चौकी पर पहुंचा। पुलिसकर्मियों को मामले की जानकारी दी।
अपहरण से मचा हड़कंप
तन्वी सेठ ने पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा पर बदसलूकी का आरोप लगाया था. तन्वी सेठ का आरोप है कि पूछताछ के दौरान उनपर निजी कमेंट किए गए, और गलत तरीके से व्यवहार किया गया. जब उन्होंने इसका विरोध किया तो उनके साथ गलत व्यवहार किया गया.
अवलोकन करें:--
अपने ऊपर लगे आरोपों को लेकर पासपोर्ट अधिकारी विकास मिश्रा मीडिया के सामने आए और सभी आरोपों का खंडन किया. उन्होंने कहा कि तन्वी सेठ गलत तरीके से अपने पति अनस सिद्धीकी का नाम पासपोर्ट में शामिल कराना चाहती थीं. तन्वी सेठ ने दस्तावेज के तौर पर निकाहनामा दिया था, जिसमें उनका नाम सादिया अनस लिखा हुआ था. उन्होंने इसकी जानकारी आवेदन में नहीं दी थी. इसी वजह से मैंने दस्तावेज को लेकर सवाल उठाए थे. विकास मिश्रा के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर उनके समर्थन में हजारों लोग एकजुट हो गए. इसी कड़ी में मशहूर लोक गायिका मालिनी अवस्थी भी उनके पक्ष में खड़ी हो गईं.
अपने उपरोक्त लेख में सरकार से प्रश्न करते पूछा था, "पासपोर्ट ऑफिसर का ट्रांसफर कर, सरकार क्या सिद्ध करना चाहती है? क्या वह अधिकारी गलत था? क्या उचित जानकारी प्राप्त करने का किसी अधिकारी का कर्तव्य नहीं? यदि इस अधिकारी ने स्पष्टीकरण नहीं माँगा होता और किसी भी अनहोनी घटने पर सरकार ने इसी पासपोर्ट अधिकारी को सूली पर टांगने से गुरेज नहीं करती। सरकार को तन्वी से पूछना चाहिए था कि "आखिर किस कारण हिन्दू और मुस्लिम नाम रखा जा रहा है?"
अब सरकार को चाहिए कि जाँच पूरी होने तक तन्वी सेठ उर्फ़ सादिया बेगम का पासपोर्ट वापस लिया जाये। क्योंकि मामला जरुरत से ज्यादा संगीन होता प्रतीत हो रहा है। जिसकी गंभीरता से जाँच होनी चाहिए। और जो अपराधी हो उस पर सख्त कार्यवाही हो।
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