21 नमूनों में से ज्यादातर में मिलावट
उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, "मानकों पर खरा नहीं उतरने से अभिप्राय यह है कि वसा की मात्रा पांच फीसदी होनी चाहिए, लेकिन वह तीन फीसदी ही पाई गई. सरल शब्दों में कहें तो पानी मिला हुआ था. दूध के विफल पाए गए 21 नमूनों में से ज्यादातर में मिलावट पाई गई." उन्होंने कहा कि जांच का यह अभियान जारी रहेगा और पनीर व खोया जैसे दुग्ध उत्पादों की भी जांच की जाएगी.
177 नमूनों की जांच
पूरे शहर से 13 और 28 अप्रैल के दौरान संग्रह किए गए 177 नमूनों की जांच की गई, जिनमें 165 के नतीजे आए हैं. इनमें 21 नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे. उन्होंने यह भी बताया कि सभी मामलों को अदालत में अग्रसारित किया जाएगा. इसके लिए 5,000 से पांच लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जाएगा.
जैन ने बताया कि घी के भी तीन नमूनों का परीक्षण किया गया, जिनमें एक गैर-ब्रांड वाला उत्पादन असुरक्षित पाया गया. उन्होंने कहा, "मसला दिल्ली विधानसभा में उठाया गया, जिसके बाद मैंने दिल्ली में दूध के नमूने इकट्ठा करने के आदेश दिए." उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार ने 18 खाद्य निरीक्षकों को नियुक्त किया है, जिसके बाद नमूनों की जांच में प्रगति आई है. उन्होंने कहा, "अगर कोई उत्पाद असुरक्षित पाया जाता है तो उसके लिए छह महीने से तीन साल तक कारावास का प्रावधान है."

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