ईद की छुट्टी के दिन(सितम्बर 2) देर रात एक आदेश जारी कर नगर निगम कमिश्नर छवि भारद्वाज को पद से हटाए गया। अब सवाल यह उठा रहा है कि सोमवार(सितम्बर 4) को आॅफिस खुलते ही छवि ऐसा क्या करने वालीं थीं जिसके डर से उन्हे शनिवार देर रात हटा दिया गया। आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे का कहना है कि छवि भारद्वाज के हाथ नगर निगम में हुए परिवहन घोटाला मामले में कुछ ऐसे दस्तावेज हाथ लग गए थे, जो केवल अफसरों ही नहीं बल्कि भाजपा के कुछ दिग्गजों के लिए बड़ी परेशानी बन सकते थे। इसलिए आनन-फानन यह तबादला किया गया। इस तबादले में आनन-फानन प्रमाणित भी होता है। जल्दबाजी में मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह यह भूल ही गए कि वो छवि भारद्वाज को अपनी सीनियर अफसर का बॉस बना रहे हैं। आईएएस कॉडर में अब तक तो ऐसा कभी नहीं हुआ।
छवि भारद्वाज का तबादला सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय रहा। ऐसी क्या आपात स्थिति थी कि डेढ़ साल पहले ही निगम में आईं छवि को आनन-फानन में दूसरा दायित्व दे दिया गया। जबकि उन पर किसी प्रकार के भ्रष्टाचार के आरोप नहीं हैं, न ही निगम में उनकी कार्यशैली और कुप्रबंधन के कोई मामले सामने आए। उल्टा पूरे देश में भोपाल साफ-सफाई में दूसरे नंबर पर आया। इसके अलावा निगम में सालों से चल रहे करोड़ों रुपए के अब तक के सबसे चर्चित स्पेयर पार्ट्स और डीजल घोटाले का पर्दाफाश हुआ। इसकी जांच अभी चल रही है और लगातार नई परतें खुल रही हैं।
सिटीजंस फोरम के पूर्व संयोजक अरुण गुर्टू कहते हैं कि छवि भारद्वाज बहुत अच्छा काम कर रही थीं। बार-बार तबादलों से नुकसान ही होता है। ऐसे हालात में नया अफसर भी दबाव में रहेगा। यहां के कर्मचारियों से काम लेना अासान नहीं है।
लोकायुक्त से करेंगे मांग
सूचना का अधिकार आंदोलन के कार्यकर्ता तबादला निरस्त करने की मांग को लेकर प्रभारी लोकायुक्त यूसी माहेश्वरी से मिल रहे हैं। उनका कहना है कि साफ-सुथरी छवि की कमिश्नर को ऐसे हटाना सरकार की नीयत पर सवाल है। सब जानते हैं कि परिवहन घोटाले में कई नेता और अफसरों की मिलीभगत थी। अजय दुबे ने कहा कि इस घोटाले से डरी सरकार ने जांच पूरी होने के पहले ही उन्हें हटा दिया। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी अवहेलना है।
सूचना का अधिकार आंदोलन के कार्यकर्ता तबादला निरस्त करने की मांग को लेकर प्रभारी लोकायुक्त यूसी माहेश्वरी से मिल रहे हैं। उनका कहना है कि साफ-सुथरी छवि की कमिश्नर को ऐसे हटाना सरकार की नीयत पर सवाल है। सब जानते हैं कि परिवहन घोटाले में कई नेता और अफसरों की मिलीभगत थी। अजय दुबे ने कहा कि इस घोटाले से डरी सरकार ने जांच पूरी होने के पहले ही उन्हें हटा दिया। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की भी अवहेलना है।
पर्यटन निगम में विसंगति जूनियर के मातहत सीनियर
भारद्वाज को पर्यटन विकास निगम में एमडी बनाया गया है। छवि 2008 बैच की आईएएस अफसर हैं। जबकि निगम में पदस्थ अपर प्रबंध संचालक स्वाति मीणा, छवि से एक साल सीनियर हैं। यानी यहां जूनियर के मातहत सीनियर को काम करना पड़ेगा। 2007 बैच की अफसर स्वाति को 21 जून को अपर प्रबंध संचालक नियुक्त किया गया था। पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा कहते हैं कि प्रशासनिक दृष्टि से भारद्वाज को पर्यटन विकास निगम में एमडी बनाने के साथ ही स्वाति मीणा को दूसरी जिम्मेदारी दी जानी चाहिए थी। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी सीनियर आईएएस के ऊपर जूनियर अफसर की पोस्टिंग की गई है।
भारद्वाज को पर्यटन विकास निगम में एमडी बनाया गया है। छवि 2008 बैच की आईएएस अफसर हैं। जबकि निगम में पदस्थ अपर प्रबंध संचालक स्वाति मीणा, छवि से एक साल सीनियर हैं। यानी यहां जूनियर के मातहत सीनियर को काम करना पड़ेगा। 2007 बैच की अफसर स्वाति को 21 जून को अपर प्रबंध संचालक नियुक्त किया गया था। पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा कहते हैं कि प्रशासनिक दृष्टि से भारद्वाज को पर्यटन विकास निगम में एमडी बनाने के साथ ही स्वाति मीणा को दूसरी जिम्मेदारी दी जानी चाहिए थी। ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी सीनियर आईएएस के ऊपर जूनियर अफसर की पोस्टिंग की गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भले भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करते हों मगर मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार को ईमानदार अफसर नहीं पसंद हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान किसी ऐसे तेजतर्रार अफसर को नहीं बख्स रहे, जो पार्टी नेताओं के नाजायद दबाव बर्दाश्त नहीं करता। और नहीं तो क्या। चौहान अपने राज मे एक-एक कर उन सभी अफसरों को हटा दे रहे, जो कि साहस दिखाकर घोटाले उजागर कर कार्रवाई की कोशिश करते हैं। पहले कटनी के एसपी गौरव तिवारी को सौ करोड़ का हवाला कारोबार एक्सपोज करने पर शिवराज ने हटाया तो जनता भी सड़क पर उतर पड़ी थी।
अब शिवराज ने पार्टी नेता के दबाव में भोपाल नगर निगम की कमिश्नर छवि भारद्वाज का तबादला कर दिया है। जिसके बाद मध्य प्रदेश की सियासत गरमा गई है। युवा आईएस छवि भारद्वाज की छवि तेज तर्रार अफसर की है। मगर उन्हें शिवराज सरकार में ईमानदारी की सजा मिली है।
क्या है मामला
मध्य प्रदेश के भोपाल नगर निगम में दो सौ करोड़ रुपये का घोटाला कमिश्नर छवि भारद्वाज ने पकड़ा था। सूत्र बताते थे कि महापौर आलोक शर्मा मामले को दबाना चाहते थे। यह घोटाला स्मार्ट पार्किंग और होर्डिंग्स के ठेके से जुड़ा था। मगर छवि भारद्वाज कार्रवाई को रोकने के पक्ष में नहीं थे। सूत्र बताते हैं इस पर मेयर ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से शिकायत की। जिसके बाद ज्य सरकार ने भोपाल नगर निगम कमिश्नर छवि भारद्वाज को हटा दिया है, उनके स्थान पर टीकमगढ़ कलेक्टर प्रियंका दास को नगर निगम का नया कमिश्नर बनाया गया है। छवि भारद्वाज की नई पदस्थापना पर्यटन विकास निगम में बतौर प्रबंध संचालक की गई है। इसके शनिवार को देर शाम आदेश जारी कर दिए। इसके साथ ही चार आईएएस अफसरों के भी ट्रांसफर किए गए हैं।
नगर निगम कमिश्नर छवि भारद्वाज को हटाए जाने पर विपक्षी दल कांग्रेस ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर हमला बोला है। र नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं, लेकिन उनकी कथनी और करनी में अंतर एक बार फिर सामने आया है। भोपाल नगर निगम की वाहन शाखा में 200 करोड़ रुपये का घोटाला सामने लाने वाली आयुक्त छवि भारद्वाज को अचानक छुट्टी के दिन हटाना इस बात का प्रमाण है कि इस घोटाले में शामिल लोगों को मुख्यमंत्री बचाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि चाहे कटनी के पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी हों या सतना नगर-निगम के आयुक्त कथूरिया की पोस्टिंग हो, इन दोनों ईमानदार अफसरों को पहले भी हटाकर सीएम शिवराज ने संदेश दिया है कि वह भ्रष्टाचारियों का समर्थऩ करते हैं।
दिल्ली नगर निगम भी भ्रष्टाचार में कम नहीं
दरअसल,जब से राजनीति का व्यापारीकरण हुआ है, भ्रष्टाचार केवल एक चुनावी नारा या यूँ कहिये एक जुमला बन कर रह गया है। चुनाव के बाद किसी भी पार्टी -- सत्तारूढ़ और विपक्ष -- को कहीं कोई भ्रष्टाचार नहीं दिखता, "तू भी खा और हमें भी खिला, और खाने दे", चुनाव में सब एक दूसरे पर आरोप लगाकर,जनता को देखें कौन ज्यादा मुर्ख बनाकर चुनाव जीतता है।
दिल्ली की तीनों नगर निगमों में भाजपा का कितने वर्षों से कब्ज़ा है, क्या किसी भी विभाग से भ्रष्टाचार समाप्त हुआ? शायद नहीं। जिसको देखो सोशल मीडिया पर छाने में प्रयत्नशील है। थोड़ा सा काम करो, सोशल मीडिया पर फोटो डालो और ऊपर बैठे पदाधिकारियों को whatsapp कर दो, पदाधिकारी कोई न कोई पद दे ही देंगे, और बस हमारा व्यापार शुरू।
वास्तव में आज भाजपा की जो भी स्थिति है, उसका श्रेय केवल और केवल प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को ही जाता है। जिसको देखो बस नेता ही बनना चाहता है। काम करना कोई नहीं चाहता। यह कटु सत्य है। जिसको देखो हाथ में झाड़ू पकड़ निकल आएंगे सड़क पर। घर में स्वयं एक ग्लास पानी भी नौकर द्वारा लेकर पीते होंगे। अगर भाजपा के जितने भी निर्वाचित जनप्रतिनिधि झाड़ू छोड़ हर माह अपने क्षेत्रों का दौरा करें, सफाई तो क्या न जाने कितनी समस्याओं का स्वतः हल हो जाएगा। निकलते है, बस चुनाव से एक/दो माह पूर्व, बस। आखिर मोदी भी एक इन्सान है, उनकी भी अपनी क्षमता है, इस बात को धारण कर काम करना होगा। अन्यथा,पार्टी को उसी हार का सामना करना होगा जो अटल बिहारी के प्रधानमन्त्री बनने उपरांत हुए चुनावों में हुई थी।
यह मोदी का ही दम है जो पार्टी को शिखर पर ले आए। मोदी भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन दूसरे भ्रष्टाचारियों को पनाह देने में व्यस्त हैं।
वास्तव में आज भाजपा की जो भी स्थिति है, उसका श्रेय केवल और केवल प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को ही जाता है। जिसको देखो बस नेता ही बनना चाहता है। काम करना कोई नहीं चाहता। यह कटु सत्य है। जिसको देखो हाथ में झाड़ू पकड़ निकल आएंगे सड़क पर। घर में स्वयं एक ग्लास पानी भी नौकर द्वारा लेकर पीते होंगे। अगर भाजपा के जितने भी निर्वाचित जनप्रतिनिधि झाड़ू छोड़ हर माह अपने क्षेत्रों का दौरा करें, सफाई तो क्या न जाने कितनी समस्याओं का स्वतः हल हो जाएगा। निकलते है, बस चुनाव से एक/दो माह पूर्व, बस। आखिर मोदी भी एक इन्सान है, उनकी भी अपनी क्षमता है, इस बात को धारण कर काम करना होगा। अन्यथा,पार्टी को उसी हार का सामना करना होगा जो अटल बिहारी के प्रधानमन्त्री बनने उपरांत हुए चुनावों में हुई थी।
यह मोदी का ही दम है जो पार्टी को शिखर पर ले आए। मोदी भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन दूसरे भ्रष्टाचारियों को पनाह देने में व्यस्त हैं।
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