Skip to main content

केजरीवाल सरकार तेरे अंजाम पर रोना आया

वरिष्ठ पत्रकार श्री अरविंद मोहन ने निम्न लेख में केजरीवाल एवं पार्टी का विश्लेषण सराहनीय है। जो सिद्ध कर रहा है कि आज यहाँ पार्टी किसी भी स्तर पर विश्वसनीय नहीं रही। फिर भी कोई ज़बरदस्ती कुँए में गिरने को बेताब है, उसे तो कोई नाम देना ही व्यर्थ है। प्रस्तुत है श्री अरविंद का लेख:--


नई दिल्ली। आप सरकार का एक विकेट और गिर गया है। एक मंत्री चोरी मेँ पकड़ा गया था। एक सीनाजोरी मेँ (फर्जी डिग्री से वकालत और सारे काम करता हुआ) तो एक छिनारी मेँ भी पकड़ा गया तो कोई केजरीवाल सरकार को ‘सर्वगुणसम्पन्न’ कह सकता है।

दो अन्य मंत्रियोँ के विभाग बदलने या कम करने के समय भी आरोप लगे थे पर वे कैमरे पर गड़बड़ करते नहीँ दिखे सो उनका हाल बाकी तीन की तरह नहीँ हुआ। पर विधायकोँ की ज्ञात करतूतोँ और 21 के खिलाफ लटके मामले (संसदीय सचिव बानाने वाला) भी गिन लिए जाएं तो कोरम पूरा हो जाता है। और भले ही अरविन्द केजरीवाल बर्खास्त मंत्री सन्दीप कुमार पर भरोसा तोड़ने का आरोप लगाए पर अब उनके पास कोई नैतिक आधार बचा नहीँ है।

भरोसा सन्दीप ने तोड़ा, तोमर ने तोड़ा, खान ने तोड़ा या अरविन्द और मनीष ने तोड़ा यह फैसला करना मुश्किल नहीँ है। डेढ़ साल मेँ जब आपकी टीम इतनी रद्दी दिख जाए और आप खुद से प्रशांत भूषण, योगेन्द्र यादव, आनन्द कुमार और अजीत झा ही नहीँ हजारोँ ईमानदार और नैतिक लोगोँ को ‘लात मारकर’ बाहर कर देँ तो दोष सन्दीप जैसोँ के मत्थे कैसे मढा जा सकता है। केजरीवाल जी, सन्दीप तो आपका ही चेहरा है, आपकी ही पसन्द है, आप ही का बनाया हुआ है। वह दोषी हो और आप निर्दोष और आप फतवा देँ कि वह आपका और समाज का भरोसा तोड़ रहा है तो यह निरा ढोंग है। आपका यह कहना न आपको नैतिक बनाता है न निर्दोष।

विश्लेषण: अरविंद मोहन(वरिष्ठ पत्रकार)

पर यह सब अरविन्द भी अपने को निर्दोष और नैतिक बताने के लिए नहीँ कह रहे हैँ। असल मेँ जिस तेजी से- घोषित तौर पर सीडी मिलने के आधे घंटे के अन्दर अरविन्द ने सन्दीप से इस्तीफा लिया वह न तो नैतिकता के चलते था न उनको अपने किसी साथी के भ्रष्ट आचरण से परेशानी का प्रमाण। यह शुद्ध रूप से उनके धूर्त और व्यावहारिक होने का प्रमाण है और डैमेज कंट्रोल की कार्रवाई ही है। तोमर और निर्माण मंत्री के मामले मेँ इतनी तेजी नहीँ दिखाई गई। बल्कि तोमर की गिरफ्तारी पर तो मोदी सरकार के खिलाफ तानाशाही का आरोप लगाकर राजनैतिक लाभ लेने की कोशिश की गई। जब राजेन्द्र कुमार चोरी के आरोप मेँ पकड़े गए तब भी काफी समय तक केन्द्र बनाम राज्य की राजनीति खेलने का प्रयास हुआ। और जब कुमार विश्वास पर यौन शोषण और सोमनाथ भारती पर पत्नी के उत्पीड़न का साफ मामला आया तो बचाव किया गया। इस बार सिर्फ तेजी से कार्रवाई ही नहीँ हुई सन्दीप का बचाव(भोंडा) करने निकले आशुतोष को भी परेशानी झेलनी पड़ रही है।

और जो कुछ केजरीवाल ने सन्दीप कुमार के साथ किया या अब उनके साथी अपने ही एक नेता आशुतोष के साथ कर रहे हैँ वह असल मेँ पर्सेप्शन की लड़ाई का हिस्सा है। आज चुनावी राजनीति जरूर छवियोँ-धारणाओँ के सहारे ज्यादा चलने लगी है। ऐसे मेँ अगर आप को सत्ता मेँ आने के डेढ़ साल के अन्दर ही नैतिक जमीन, ऊंचे आदर्श को छोड़कर ‘प्रैक्टिकल पॉलिटिक्स’ के चलते डैमेज कंट्रोल पर उतरना पड़ रहा है तो यह सिर्फ उनकी चिंता या दिखावे का मसला नहीँ है। और है भी तो आपकी चिंता का नहीँ है-यह बाकी समाज की चिंता का मसला है। अरविन्द एक बड़ी राजनैतिक-सामाजिक उफान से सामने आए नेता थे जिसमेँ भ्रष्टाचार समेत काफी सारी चालू चीजेँ बदलने की बुनियादी बात के साथ-साथ सादगी, पारदर्शिता, लोकतंत्र मेँ लोक की प्रधानता और नैतिक मूल्योँ को स्थापित करने की बात प्रमुख थी। अन्ना आन्दोलन तक चीजेँ बहुत परिभाषित नहीँ थीँ, उसे ही ठोस रूप देने के लिए राजनैतिक दल बनाने, बढ़िया घोषणापत्र देने से लेकर देश दुनिया के आदर्शवादी लड़के-लड़कियोँ का जमावड़ा जुटाने, नए तरह से चुनाव प्रचार करने और सादगी से शुरुआत करने की पहल हुई। और हालत यह हो गई दिल्ली मेँ वह मोदी लहर भी बिला गई जो कुछ महीने पहले ही देश समेत दिल्ली को भी डुबो गई थी। भाजपा ने लोक सभा मेँ सात सीटेँ जीतीँ पर उसे विधान सभा की मात्र तीन सीटेँ मिली थीँ।

मामला अकेले इसी मामले मेँ ‘व्यावहारिक’ या कथित मुख्य धारा की पार्टियोँ की तरह बेशर्मी दिखाने का नहीँ है। आज आप ‘विनेबिलिटी’ अर्थात चुनाव जीतने की क्षमता को ही अपनी उम्मीदवारी का सबसे बडा आधार बनाने लगी है। उम्मीदवार से उसके काम और संघर्ष-त्याग की बात पूछने की जगह चुनाव जीतने वाली ताकत का ब्यौरा देने को कहा जाता है। धन बल, बाहु बल और फरेब बल के विरोध की राजनीति करने निकले लोग जिस दिन टिकट बांट रहे थे तब कोई वसीम खान, कोई तोमर कोई सन्दीप यूं ही नहीँ टिकट पा गया था। और जब टिकट देने, मंत्री बनाने मेँ आप ‘स्थापित’ गुणोँ को ही प्रधान बनाएंगे तो आप अलग कैसे हैँ, अलग होने का दावा कैसे कर सकते हैँ। बल्कि अब लगता है कि जो आदमी या जिसकी मंडली सिर्फ सत्ता पाने के लिए अनशन करते हुये अपनी जान जोखिम मेँ डाल दे सकती हो वह सत्ता के लिये या सत्ता को बढ़ाने के लिए क्या नहीँ कर सकती। इसलिए सन्दीप प्रकरण को अंत नहीँ शुरुआत की चीज ही मानिये और ज्यादा बुरी खबर सुनने के लिए तैयार रहिये।

अरविन्द, उनकी सरकार और आप पार्टी ने गलतियां, गडबडियां (चार-पांच मंत्रियोँ के अपराध, उससे ज्यादा विधायकोँ के दोष), दांव-पेंच, प्रचार-दुष्प्रचार, चुनावी वायदोँ-भरोसोँ के उलट आचरण करने के जो काम लगातार किये हैँ। उनका स्याह पक्ष पूरी तरह सामने नहीँ आया क्योंकि सामने केन्द्र की जो सरकार है वह भी अपनी तरह से बदमाशियां और गलतियां करने मेँ पीछे नहीँ है। और दूसरा विकल्प कांग्रेस है जिसके कर्मोँ-कुकर्मोँ से ही आप जैसे दल को अवसर मिला। पर इतने कम समय मेँ ही यह हिसाब लगाना मुश्किल हो गया है कि अरविन्द, उनकी सरकार और उनका दल अन्य स्थापित दलोँ से ज्यादा गलत है या कम। बल्कि उसकी तेजी और चालाकी के हिसाब से देखेँ तो वह दूसरोँ से आगे दिखेगी। अरविन्द ऐन्ड कम्पनी ने अपनी बहुत सारी कमियोँ का दोष केन्द्र की तरफ, उसके प्रतिनिधि उप राज्यपाल की तरफ भी मोड़ दिया है और अभी भी यह काम जारी है। (साभार)

Comments

AUTHOR

My photo
shannomagan
To write on general topics and specially on films;THE BLOGS ARE DEDICATED TO MY PARENTS:SHRI M.B.L.NIGAM(January 7,1917-March 17,2005) and SMT.SHANNO DEVI NIGAM(November 23,1922-January24,1983)

Popular posts from this blog

राखी सावंत की सेक्सी वीडियो वायरल

बॉलीवुड की ड्रामा क्वीन राखी सावंत हमेशा अपनी अजीबो गरीब हरकत से सोशल मिडिया पर छाई रहती हैं। लेकिन इस बार वह अपनी बोल्ड फोटो के लिए चर्चे में हैं. उन्होंने हाल ही में एक बोल्ड फोटो शेयर की जिसमें वह एकदम कहर ढाह रही हैं. फोटो के साथ-साथ वह कभी अपने क्लीवेज पर बना टैटू का वीडियो शेयर करती हैं तो कभी स्नैपचैट का फिल्टर लगाकर वीडियो पोस्ट करती हैं. वह अपने अधिकतर फोटो और वीडियो में अपने क्लीवेज फ्लांट करती दिखती हैं. राखी के वीडियो को देखकर उनके फॉलोवर्स के होश उड़ जाते हैं. इसी के चलते उनकी फोटो और वीडियो पर बहुत सारे कमेंट आते हैं. राखी अपने बयानों की वजह से हमेशा सुर्खियों में रहती हैं.राखी अक्सर अपने रिलेशनशिप को लेकर हमेशा चर्चा में बनी रहतीं हैं. राखी कभी दीपक कलाल से शादी और लाइव हनीमून जैसे बयान देती हैं तो कभी चुपचाप शादी रचाकर फैंस को हैरान कर देती हैं. हंलाकि उनके पति को अजतक राखी के अलावा किसी ने नहीं देखा है. वह अपने पति के हाथों में हाथ डाले फोटो शेयर करती हैं लेकिन फोटो में पति का हाथ ही दिखता है, शक्ल नहीं. इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर राखी जो भी शेयर करती हैं वह भी चर्चा ...

भोजपुरी एक्ट्रेस त्रिशा कर मधु का MMS…सोशल मीडिया पर हुआ लीक

सोशल मीडिया पर भोजपुरी एक्ट्रेस और सिंगर त्रिशा कर मधु का MMS लीक हो गया है, जिससे वो बहुत आहत हैं, एक्ट्रेस ने सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां किया है, त्रिशा मधु ने इस बात को कबूल किया है कि वीडियो उन्होंने ही बनाया है लेकिन इस बात पर यकीन नहीं था कि उन्हें धोखा मिलेगा। गौरतलब है कि हाल ही में त्रिशा का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा था जिसमें वह एक शख्स के साथ आपत्तिजनक स्थिति में नजर आ रही थीं। इस वीडियो के वायरल होने के बाद अभिनेत्री ने इसे डिलीट करने की गुहार लगाई साथ ही भोजपुरी इंडस्ट्री के लोगों पर उन्हें बदनाम करने की साजिश का आरोप लगाया। त्रिशा मधु कर ने अपने फेसबुक पेज पर एक वीडियो के साथ पोस्ट लिखा है जिसमें कहा, आप लोग बोल रहे हैं कि खुद वीडियो बनाई है। हां, हम दोनों ने वीडियो बनाया थ। पर मुझे ये नहीं मालूम था कि कल को मेरे साथ धोखा होने वाला है। कोई किसी को गिराने के लिए इतना नीचे तक गिर जाएगा, यह नहीं पता था। इससे पहले त्रिशा ने वायरल हो रहे वीडियो पर अपना गुस्सा जाहिर किया था और कहा था कि उनको बदनाम करने को साजिश की जा रही है। त्रिशा मधु कर ने सोशल मीडिया पर ए...

Netflix फैला रहा हिन्दू घृणा : ‘हल्लिलूय्याह’ बन गया ‘अनंत आनंदम्’, बच्चों का यौन शोषण करने वाला हिन्दू बाबा

                             Netflix लो वेब सीरीज 'राणा नायडू' में वेंकटेश और राणा दग्गुबती भारत में आजकल गालियों और सेक्स को ही वेब सीरीज मान लिया गया है। इसमें अगर हिन्दू घृणा का छौंक लग जाए तो फिर कहना ही क्या। चाहे ‘पाताल लोक’ में पंडित के मुँह से माँ की गाली बुलवाने वाला दृश्य हो या फिर ‘मिर्जापुर’ में ब्राह्मण को लालची बता कर उसे उठा कर भगाने का, OTT पर धड़ाधड़ रिलीज हो रहे ये वेब सीरीज इन मामलों में निराश नहीं करते। ऐसी ही एक नई वेब सीरीज Netflix पर आई है, ‘राणा नायडू’ नाम की। हिन्दू भावनाओं के प्रति जितनी जागरूकता सरकार और हिन्दुओं में देखी जा रही है, उतनी कभी नहीं। 70 के दशक में वैश्यवृत्ति पर आधारित निर्माता-निर्देशक राम दयाल की फिल्म 'प्रभात' का प्रदर्शन हुआ, जिसे विश्व हिन्दू परिषद द्वारा नायक और नायिका के राम एवं सीता होने पर आपत्ति करने राम दयाल को दोनों के नाम परिवर्तित होने को मजबूर होना पड़ा था। इसके अलावा कई फिल्में आयी जिनमें हिन्दू मंदिरो को बदनाम किया जाता रहा है। यही कारण है कि राहुल गाँधी द्वा...