डिरेडिकलाइजेशन की शुरुआत हिन्दुओं को 15 मिनट में सबक सिखाने की धमकी देने वाले कट्टरपंथी से होनी चाहिए

आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
क्या आपने कभी सोचा है कि देश में आतंकवाद शब्द के इस्तेमाल पर भी सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वालों में एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ही क्यों होते हैं? मुद्दा चाहे इस्लामिक चरमपंथ का हो, मजहबी नारे लगाते हुए भीड़ द्वारा किसी मंदिर को अपवित्र करने का हो या फिर बच्चों को कट्टर बनाने वालों का हो, सबसे पहले बौखलाने वाला नाम असदुद्दीन ओवैसी का ही होता है।
ओवैसी के दुःख का नया कारण सीडीएस जनरल बिपिन रावत का कट्टरता और चरमपंथ को रोकने वाला बयान है। या ये कहें कि एक बार फिर ओवैसी ने उड़ता हुआ तीर ले लिया है। रायसीना डायलॉग के दौरान CDS जनरल बिपिन रावत ने कहा कि कश्मीर में 10 साल से कम उम्र के लड़के-लड़कियों को कट्टरपंथी बनाया जा रहा है। जनरल रावत ने कहा कि ऐसे बच्चों को शांतिवार्ता से कट्टरपंथी बनाए जाने की ऐसी मुहिम से अलग कर सकते हैं।
इसके बाद ओवैसी को खबरों में आने की एक और वजह मिल गई और उन्होंने सवाल किया है कि जनरल बिपिन किस-किस को डिरेडिकलाइज़ करेंगे? साथ ही सीडीएस जनरल रावत को सलाह दी है कि उन्हें नीतियाँ नहीं बनानी चाहिए। यहाँ तक कि ओवैसी ने सीडीएस बिपिन रावत के बयान की तुलना कनाडा में अंग्रेज हुकुमत के द्वारा किए गए जुल्म से कर डाली है।
इस्लामिक पत्थरबाजों और हर दूसरे दिन 72 हूरों की ख्वाहिश लिए ISIS से जुड़ने वाले युवाओं की तुलना ओवैसी आज तक किसी से नहीं कर पाए हैं। हो सकता है कि वो जानते हों कि किसी और से इस जिहादी विचारधारा की तुलना करना कितना हास्यास्पद और अतार्किक है।
जनरल बिपिन रावत बेवजह ही नीति और योजना बनाने की परेशानी मोल लेते हैं। जबकि, ओवैसी जानते हैं कि नीतियाँ तो सिर्फ वही हैं जो आसमानी किताब में दी गई हैं और उसके अलावा दूसरी कोई नीति होती ही नहीं है ना ही किसी को बनाने पर विचार करना चाहिए।
‘रावत किस-किस का डिरेडिकलाइज़ करेंगे?’ वाला ओवैसी का सवाल भी एकदम सही है। जिस ओवैसी के खुद अपने ही घर में हिन्दुओं को 15 मिनट में सबक सिखाने जैसे भाषण देने वाला भाई हो, उसकी जुबान से ऐसा सवाल पूछना वाजिब लगता है। देखा जाए तो सबसे पहला जवाब तो ओवैसी बंधुओं के अपने घर में मौजूद अकबरुद्दीन ओवैसी है, जिसे शायद अभी भी ठीक से डि-रेडिकलाइज़ किया जाना बाकी है। हालाँकि, इसमें तथ्यात्मक त्रुटि इतनी जरूर हो सकती है कि अकबरुद्दीन की वास्तविक उम्र 10 साल से ज्यादा ही है। लेकिन उनकी मानसिक उम्र नीचे जा सकता है कि वो फिर भी इस पैरामीटर में एकदम फिट बैठते हैं।
एक ओर पूरे देश के मुस्लिमों में असदुद्दीन ओवैसी नागरिकता रजिस्टर (NRC) पर लोगों को डिटेंशन कैम्प भेज दिए जाने जैसी भ्रामक बातों से डराकर उन्हें सरकार के खिलाफ उकसाते हैं, और दूसरी तरफ वही ओवैसी, आतंकवाद से निपटने की सरकार और तंत्र की रणनीतियों में अपनी कट्टरपंथी विचारधारा का नैरेटिव जोड़ देते हैं।
कश्मीर से लेकर हैदराबाद और केरल तक अक्सर छोटे बच्चों को कट्टरपंथियों द्वारा अपने मिशन का हिस्सा बनाया जाता रहा है। खबरें पढ़ने को मिलती हैं कि फलाँ जगह पर ISIS युवाओं से सम्पर्क कर अपनी कार्यशाला चला रहा था। महीने में कम से कम 2 ख़बरें तो ऐसी होती हैं जिनमें स्पष्ट रूप से किसी बच्चे को इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा ब्रेनवाश किए जाने की घटना शामिल होती है।
अक्सर यह भी देखा गया है कि इस्लाम में दीनी शिक्षा के पहले चरण यानी, मदरसे में ही आतंकवाद और ट्रेनिंग का केंद्र बनाया गया है। वर्ष 2018 में शिया सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड ने भी पीएम नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया था कि देश में मदरसों को बंद कर दिया जाए। बोर्ड ने आरोप लगाया था कि ऐसे इस्लामी स्कूलों में दी जा रही शिक्षा छात्रों को आतंकवाद से जुड़ने के लिए प्रेरित करती है।
CAA-NRC विरोध में बच्चों का इस्तेमाल
सेव चाइल्ड इंडिया NGO ने नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ़ चाइल्ड राइट्स (NCPCR) में इस बात को लेकर अपनी शिक़ायत भी दर्ज करवाई है कि नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे विरोध-प्रदर्शनों में बच्चों का इस्तेमाल किया जा रहा है। NGO का कहना है कि यह बच्चों के अधिकारों का घोर उल्लंघन है और यह बाल शोषण की श्रेणी में आता है। इन बच्चों का इस्तेमाल दिल्ली के शाहीनबाग में CAA और NRC के ख़िलाफ़ चल रहे विरोध-प्रदर्शन में भड़काऊ नारे लगाने के लिए किया जा रहा है।
आज ही एक SIT जाँच में खुलासा हुआ है कि मुजफ्फरनगर में एंटी-सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई झड़प में बच्चों को पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंकने के लिए उकसाया था। जाँच एजेंसी ने आरोपितों पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 की धाराएँ लगाईं हैं।
जिस सरकार और तंत्र की दुहाई ओवैसी जनरल बिपिन रावत के बयान के विरोध में कह रहे हैं उन्हें यह भी याद रहना चाहिए कि अगस्त 2016 में, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के आह्वान को याद करते हुए इस बात पर खेद प्रकट किया था कि कश्मीरी युवकों के हाथ में पत्थर नहीं, लैपटॉप होने चाहिए।
एक रिपोर्ट के अनुसार, जुलाई 2019 में भी एक घटना सामने आई थी जिसमें गृह मंत्रालय ने लोक सभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा था कि बांग्लादेशी आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन-बांग्लादेश द्वारा कट्टरता फैलाने और युवाओं की भर्ती गतिविधियों के लिए बंगाल के बर्धवान और मुर्शिदाबाद स्थित कुछ मदरसों का इस्तेमाल कर रहा है।
अब स्वयं ओवैसी बताएँ कि उन्होंने अपने स्तर पर कितने हिन्दू-मुस्लिम युवाओं को नई शिक्षा पद्दति से जोड़ने के प्रयास किए? मैंने कभी भी ओवैसी को मदरसे में चली आ रही परम्परागत गैर-वैज्ञानिक शिक्षा के खिलाफ बोलते हुए नहीं सुना। ना ही वो कभी इस बात की वकालत करते हैं कि मुस्लिम बच्चों को भी मुख्यधारा की शिक्षा पद्दति से जुड़ने की जरूरत है ताकि वो भी सीबीएससी और एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम से जुड़ सकें।
युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की ऐसी ही तमाम घटनाओं को यदि असदुद्दीन ओवैसी जैसों के लिए नजरअंदाज भी कर दिया जाए तो कश्मीर घाटी के पत्थरबाज, जो अब अक्सर दिल्ली जैसे मेट्रो शहर और देहरादून जैसे कस्बाई परम्परा वाले छोटे शहरों में भी देखे गए हैं उन्हें किस तरह से भुलाया जा सकता है? क्या ये युवा एक ही दिन में सरकार और सेना के खिलाफ पत्थर उठाने के लिए तैयार हो गए? जवाब है- नहीं।
ये लोग बचपन से ही संस्थागत तरीके से तैयार किए जाने वाले लोग होते हैं जिन्हें ओवैसी जैसे लोग ही अपनी मानसिकता के जहर के लिए इस्तेमाल करते हैं क्योंकि ओवैसी जानते हैं कि अगर इस तरह के कट्टरपंथी समर्थक ही नहीं रहेंगे तो उनकी दकियानूसी विचारधारा पर वाहवाही कौन करेगा?
कांग्रेस भी कम नहीं
NIA पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कई मामलों की जांच कर रही है। इसी डर के कारण यह संगठन सकते में है और NIA से छुटकारा पाना चाहती है। अब कांग्रेस द्वारा NIA को असंवैधानिक करार दिये जाने के लिए याचिका की गई तो पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया को अपना हित नजर आया। कांग्रेस भी इसी बात से डरती है कि कहीं NIA उनकी भी पोल न खोल दें।
2008 में बने एनआईए एक्ट को इतना शक्तिशाली बनाया गया था कि यह एजेंसी आतंक संबंधी मामलों पर भारत के किसी भी राज्य में जाकर केस दर्ज कर सकती थी और इसके लिए उसे संबंधित राज्य से परमिशन लेने की जरूरत नहीं थी। कुल मिलाकर NIA को CBI से ज्यादा पावरफुल बनाया गया था। इसके साथ ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि कांग्रेस को 11 साल पहले बनाए गए अपने ही कानून में आखिर कमी क्यों नजर आने लगी। क्या ये सब किसी साजिश के तहत किया जा रहा है, जिस पर एक चरमपंथी संगठन का समर्थन यही स्पष्ट करता है।
कांग्रेस पार्टी की मानसिकता राष्ट्रविरोधी
पुलवामा और मुंबई हमले पर किया पाकिस्तान का बचाव
कांग्रेसी और उसके सहयोगी नेता आतंकियों और संदिग्ध संगठनों से साठगांठ और सहानुभूति रखने के लिए हमेशा से ही चर्चित रहे हैं। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद राहुल गांधी के करीबी और इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के प्रमुख सैम पित्रोदा ने बालाकोट हवाई हमले पर सवाल खड़े कर दिए। पित्रोदा ने पुलवामा हमले के साथ मुंबई हमले पर पाकिस्तान का बचाव करते हुए कहा कि इसके लिए आप पूरे देश को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं।
राहुल ने आतंकी सरगना मसूद अजहर को कहा ‘जी’
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पुलवामा अटैक की जिम्मेदारी लेने वाले पाक समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को आदर के साथ जी कहकर संबोधित किया। दिल्ली में कांग्रेस के बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन में राहुल गांधी ने आतंकी सरगना अजहर को जी कहकर संबोधित किया। इससे पहले कांग्रेसी नेता दिग्विजय सिंह दुनिया के सबसे कुख्यात आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन को ओसामा जी कह चुके हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी जैश ए मोहम्मद के एरिया कमांडर अफजल गुरु को जी कह कर संबोधित किया था।
राहुल गांधी का देशद्रोही बयान!, कहा भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान पर आक्रमण किया
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने उड़ीसा की एक जनसभा में ऐसा बयान दिया, जिसे देशद्रोह की श्रेणी में ही रखा जा सकता है। उड़ीसा के कारोपुट में जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि पिछले दिनों भारत की वायुसेना ने पाकिस्तान पर आक्रमण किया था और इसमें हमारे लोग शहीद हुए थे। राहुल गांधी के बयान से साफ है कि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह साबित करने पर तुले हुए हैं कि भारत की सरकार ने पाकिस्तान पर हमला किया था और वो अनुचित था। कांग्रेस के नेता बी के हरिप्रसाद तो यहां तक कह चुके हैं कि पुलवामा आतंकी अटैक पीएम मोदी और पाक पीएम इमरान की सांठगांठ का नतीजा था। कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने पुलवामा अटैक को दुर्घटना करार दिया था और सरकार से बालाकोट हमले के सुबूत मांगे थे।
पाकिस्तान से अय्यर ने कहा – हमें ले आइए, मोदी को हटाइए
साल 2014 पहली बार मोदी सरकार बनने के कुछ ही महीने बाद कांग्रेस के सबसे बड़े नेताओं में एक मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान जाकर पीएम मोदी को हटाने के लिए उसकी मदद मांगी थी। एक पाकिस्तानी चैनल के सामने उन्होंने इसके लिए लगभग पाकिस्तानी शासकों से गुहार तक लगाई थी।
अभी कुछ दिन पहले भी पाकिस्तान जाकर नागरिकता संशोधक कानून के विरोध में बयानबाज़ी करने का मतलब था?
पूर्व पीएम मनमोहन ने पाकिस्तान उच्चायुक्त से की गुप्त मंत्रणा
कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने जिस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ‘नीच आदमी’ कहा। उसके एक दिन पहले मणिशंकर अय्यर के घर पर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह और पाकिस्तान उच्चायुक्त के हाई कमिश्नर ने हाई लेवल की गुप्त बैठकें कीं। इस गुप्त मंत्रणा के अगले ही दिन मणिशंकर अय्यर ने पीएम मोदी को गाली दे दी। इस पूरे वाकये में मनमोहन सिंह ने प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ा दीं।
सर्जिकल स्ट्राइक का विरोध
28-29 सितंबर, 2016 की रात पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में सेना द्वारा किया गया सर्जिकल स्ट्राइक देश के लिए गौरव का विषय था, लेकिन देशद्रोह पर उतर आई कांग्रेसी नेताओं ने इस पर भी सवाल खड़े कर दिए।कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सेना और प्रधानमंत्री पर सवाल खड़े करते हैं प्रधानमंत्री मोदी पर ‘खून की दलाली’ करने का आरोप लगाया। कांग्रेस नेता और पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगे। दिग्विजय सिंह ने भी सेना की इस घोषणा पर सवाल खड़े किए। संजय निरूपम ने तो भारतीय सेना की पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में सर्जिकल स्ट्राइक की कार्रवाई को फर्जी बता दिया था।
डोकलाम मामले पर सरकार के स्टैंड का विरोध
भारत-चीन के बीच 73 दिनों तक सिक्किम से सटे डोकलाम क्षेत्र जबरदस्त तनातनी का माहौल रहा। इस कूटनीतिक और सैन्य तनाव पर दुनिया भर की नजरें गड़ी थीं। ऐसे में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी चोरी-छिपे भारत में मौजूद चीन के राजदूत लिओ झाओहुई से मिलने पहुंच गए। राहुल गांधी ने भारत की सेना या प्रधानमंत्री पर विश्वास करने की जगह चीनी राजदूत पर भरोसा किया।
राष्ट्रगान का विरोध
पिछले साल आजादी के 70वीं वर्षगांठ में जब यूपी सरकार ने सरकार से अनुदानित सभी संस्थाओं में राष्ट्रगान को अनिवार्य किया, तो कांग्रेस ने इसका विरोध किया। कांग्रेस से विधायक रहे माविया अली ने कहा हम पहले हम मुसलमान हैं, भारतीय बाद में है। कांग्रेस की राजनीति तो कोर्ट के उस आदेश पर भी निकल कर आई जिसमें सिनेमा हॉल में राष्ट्रगान अनिवार्य कर दिया गया था।
JNU में राहुल ने दिया देशद्रोहियों का साथ
दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय यानी JNU में भारत विरोधी नारे और देश को तोड़ने वाले नारे लगाते हुए पूरे देश ने देखा था, लेकिन देशविरोधी इन ताकतों की आलोचना करने के बजाए राहुल गांधी इनका समर्थन करने JNU पहुंच गए थे।
पत्थरबाजों का समर्थन करती है कांग्रेस
जब सेना के मेजर गोगोई ने पत्थरबाज को जीप पर बांधकर सेना के दर्जनों जवानों की जान बचाई तो कांग्रेस ने इस पर भी राजनीति की। जिस आतंकी बुरहान वानी को भारतीय सेना ने एनकाउंटर कर ढेर कर दिया उसे कांग्रेस पार्टी जिंदा रखने की बात कहती है। कश्मीर में पार्टी के नेता सैफुद्दीन सोज ने कहा कि उनका बस चलता तो वह आतंकी बुरहान वानी को जिंदा रखते।
अफजल-याकूब का समर्थन करती है कांग्रेस
संसद पर हमले के दोषी आतंकी अफजल गुरु की फांसी पर भी कांग्रेस ने पॉलटिक्स की थी। कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा था कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देना गलत था और उसे गलत तरीके से दिया गया। कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह ने अफजल गुरु को अफजल गुरुजी कहकर पुकारा था। इतना ही नहीं यही कांग्रेस है जिनके नेताओं ने याकूब मेनन की फांसी पर भी आपत्ति जताई थी। काग्रेस नेताओं के समर्थन पर ही प्रशांत भूषण ने रात में भी सुप्रीम कोर्ट खुलवा दिया था।
कश्मीर के अलगावादियों से कांग्रेस के हैं रिश्ते
कश्मीर में बिगड़ते माहौल के पीछे काफी हद तक अलगाववादी नेताओं का ही हाथ रहा है। अलगाववादी नेताओं को लगातार उनके पाकिस्तानी आकाओं से मदद मिलती रही है और वह यहां कश्मीरी लड़कों को भड़काते हैं। NIA की की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2005 से लेकर 2011 के बीच अलगाववादियों को ISI की ओर से लगातार मदद मिल रही थी। 2011 में NIA की दायर चार्जशीट के अनुसार हिज्बुल के फंड मैनेजर इस्लाबाद निवासी मोहम्मद मकबूल पंडित लगातार अलगाववादियों को पैसा पहुंचा रहा था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने इस पर कोई कठोर निर्णय नहीं लिया था।
रोहिंग्या मुसलमान पर विरोध
रोहिंग्या मुसलमान पूरी दुनिया के लिए समस्या हैं। म्यांमार इन्हें आतंकवादी बताकर अपने देश में रखने को तैयार नहीं है। बांग्लादेश भी रखने से इनकार कर चुका है, लेकिन जहां कांग्रेस कश्मीर के हिन्दू पंडितों को उसका अधिकार देने के लिए तैयार नहीं हुई, वहीं इन आतंकवादियों को भारत में रखने पर अड़ी हुई है। वरिष्ठ कांग्रेसी नेता तरुण गोगोई ने कहा कि धर्म के आधार पर शरणार्थियों के साथ भेदभाव हो रहा है और यह वह लोग हैं जिन पर अत्याचार हो रहा है। गोगोई ने कहा कि उनके देश में उनके मानवाधिकार का हनन हो रहा है तो वह डर के वहां से भाग कर भारत आ रहे हैं।
कांग्रेसी नेताओं का ‘जहरीले’ जाकिर नाइक से नाता
इस्लामी कट्टरपंथी धर्म प्रचारक जाकिर नाइक से कांग्रेसी नेताओं के ताल्लुकात रहे हैं। जाकिर नाइक ने कई देशविरोधी कार्य किए, कई देशविरोधी भाषण दिए। वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने 15 जुलाई, 2016 को कहा कि वह इस्लाम का सही अर्थ और उद्देश्य का प्रचार कर रहे हैं जबकि भाजपा इस्लाम को आतंकवाद से जोड़कर पेश कर रही है। नाइक के साथ दिग्विजय सिंह 2012 में मंच साझा कर चुके हैं। इस इवेंट में दिग्विजय को जाकिर नाइक की तारीफों के पुल बांधते हुए सुना जा सकता है।
प्रणब की किताब The Coalition Years- हिंदू विरोधी हैं सोनिया गांधी!
प्रणब दा ने खुलासा किया है कि किस तरह सोनिया गांधी के नेतृत्व में हिंदुओं को टारगेट कर फंसाया गया है। बिना सोनिया गांधी का नाम लिए बताया गया है कि किस प्रकार साधु-महात्माओं की गिरफ्तारी की गई। जब यौन शोषण के आरोप में शंकराचार्य जितेंद्र सरस्वती को दीपावली के दिन गिरफ्तार करने पर, उन्होंने सवाल उठाया कि क्या किसी राज्य की पुलिस किसी मुस्लिम मौलवी को ईद के मौके पर गिरफ्तार करने की हिम्मत दिखा सकती है?”
कुख्यात आतंकियों के लिए आंसू और सम्मान
कांग्रेस के नेता कभी ओसामा बिन लादेन को ओसामा जी कहते रहे हैं, तो कभी हाफिज सईद को हाफिज जी और अफजल गुरु को अफजल गुरु जी कहकर पुकारा है। दिग्विजय सिंह ने ओसामा बिन लादेन और हाफिज सईद को जी कहा तो रणदीप सुरजेवाला ने अफजल गुरु को जी कहा। बाटला हाउस एनकाउंटर में जब आतंकियों को मार गिराया गया तो कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया ने कथित रूप से आंसू तक बहाया।
आतंकी इशरत जहां के नाम पर भी कांग्रेस ने की राजनीति
15 जून 2004 को अहमदाबाद में एक मुठभेड़ में आतंकी इशरत जहां और उसके तीन साथी जावेद शेख, अमजद अली और जीशान जौहर मारे गए। गुजरात पुलिस के मुताबिक उनके निशाने पर गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी थे। लेकिन केंद्र की सत्ताधारी कांग्रेस सरकार को इसमें भी सियासत दिखी। सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जाने लगी। लेकिन गृह मंत्रालय के पूर्व अंडर सेक्रेटरी आरवीएस मणि ने कांग्रेस की साजिशों की परतें खोल दीं। उन्होंने साफ कहा कि इशरत और उसके साथियों को आतंकी ना बताने का उन पर दबाव डाला गया था।
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