आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
आम आदमी पार्टी (आप) से नेताओं के अलविदा कहने का सिलसिला जारी है।पार्टी के एक और सीनियर लीडर कहे जाने वाले आशीष खेतान ने भी पार्टी छोड़ दी है। अभी हाल ही में आशुतोष ने भी आम आदमी पार्टी को अलविदा कह दिया था। आशीष ने एक समाचार पत्र में उनके पार्टी छोड़ने संबंधी पोस्ट को रीट्वीट करते कहा कि, मैं पूरा ध्यान अपनी वकालत पर लगा रहा हूं और और इस समय सक्रिय राजनीति में शामिल नहीं हूँ।
दरअसल, बड़ी-बड़ी आकांक्षाओं को लेकर पार्टी में आए लोग अब अपनी महत्वकांक्षाओं को धूमिल होते देख, पार्टी को अलविदा कह रहे हैं। केजरीवाल जिस तरह से प्रधानमन्त्री बनने की लालसा में सभी प्रदेशों में अपना जाल बिछा रहे थे, उन पर पानी फिरना शुरू हो गया है। जबकि लगभग दो दिन पूर्व ही केजरीवाल ने दिल्ली की सात में से 3/4 लोकसभा सीटें जीतने का दावा कर रहे थे। लेकिन धीरे-धीरे एक-एक कर इनके धुरन्धर पार्टी को छोड़ रहे हैं, पता नहीं लोकसभा चुनावों तक कितने कर्णधार पार्टी में शेष रहेंगे, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
केजरीवाल पार्टी प्रारम्भ से ही किसी न किसी विवाद फँसती रही है। कभी विधायकों के प्रमाणों पर तो कभी आप नेताओं द्वारा राशन कार्ड बनाने के कारण विवादों में ही रही है।
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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खेतान ने 15 अगस्त को ही दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल को एक ईमेल भेजा था, जिसमें उन्होंने निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा भेजा था. रिपोर्ट्स की मानें तो दिल्ली डायलॉग कमीशन (डीडीसी) के पूर्व उपाध्यक्ष खेतान नई दिल्ली लोकसभा सीट से दोबारा चुनाव लड़ना चाहते हैं. हालांकि पार्टी 2019 में यहां से एक नए चेहरे को उतारना चाहती है. इस वजह से खेतान नाराज है और उन्होंने इस्तीफा दे दिया है.
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इससे पहले केंद्र द्वारा दिल्ली सरकार के मंत्रियों के नौ सलाहकारों की नियुक्ति रद्द किए जाने के विवाद के बीच बीते अप्रैल माह में आम आदमी पार्टी के नेता आशीष खेतान ने दिल्ली डायलॉग कमिशन के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। दरअसल, आम आदमी पार्टी ने साल 2014 के दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान राष्ट्रीय राजधानी की समस्याओं और लोगों से संबंधित मुद्दों की जानकारी और सुझाव देने के लिए दिल्ली डायलॉग नाम से एक कार्यक्रम शुरू किया था। पार्टी के इस कार्यक्रम को लोगों का खासा समर्थन भी मिला था। चुनाव के बाद पार्टी ने लोगों से जुड़ने के इस कार्यक्रम को आगे भी जारी रखते हुए इसे दिल्ली डायलॉग कमीशन का रुप दिया था, जिसका वाइस चेयरमैन आप नेता आशीष खेतान को बनाया गया था।
इससे पहले बीते 15 अगस्त को आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता आशुतोष ने आज निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे हालांकि पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वह आशुतोष का त्यागपत्र ‘इस जन्म में तो स्वीकार नहीं करने वाले हैं। ’ आशुतोष के टि्वटर पर आप से अपने इस्तीफे की घोषणा के कुछ देर बाद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ‘‘हम आपका इस्तीफा कैसे स्वीकार कर सकते हैं। ना, इस जनम में तो नहीं।’’ आशुतोष ने स्वयं ट्वीट कर पार्टी से नाता तोड़ने की जानकारी सार्वजनिक की। उन्होंने कहा ‘‘हर यात्रा का अंत अवश्यंभावी है। आप के साथ मेरे खूबसूरत और क्रांतिकारी जुड़ाव का भी अंत हो गया है। मैंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और पीएसी से इसे स्वीकार करने का अनुरोध किया है। ’’ आशुतोष ने पार्टी से इस्तीफे की वजह बताते हुये कहा कि यह नितांत निजी कारणों से लिया गया फैसला है।
आम आदमी पार्टी (आप) से नेताओं के अलविदा कहने का सिलसिला जारी है।पार्टी के एक और सीनियर लीडर कहे जाने वाले आशीष खेतान ने भी पार्टी छोड़ दी है। अभी हाल ही में आशुतोष ने भी आम आदमी पार्टी को अलविदा कह दिया था। आशीष ने एक समाचार पत्र में उनके पार्टी छोड़ने संबंधी पोस्ट को रीट्वीट करते कहा कि, मैं पूरा ध्यान अपनी वकालत पर लगा रहा हूं और और इस समय सक्रिय राजनीति में शामिल नहीं हूँ।
दरअसल, बड़ी-बड़ी आकांक्षाओं को लेकर पार्टी में आए लोग अब अपनी महत्वकांक्षाओं को धूमिल होते देख, पार्टी को अलविदा कह रहे हैं। केजरीवाल जिस तरह से प्रधानमन्त्री बनने की लालसा में सभी प्रदेशों में अपना जाल बिछा रहे थे, उन पर पानी फिरना शुरू हो गया है। जबकि लगभग दो दिन पूर्व ही केजरीवाल ने दिल्ली की सात में से 3/4 लोकसभा सीटें जीतने का दावा कर रहे थे। लेकिन धीरे-धीरे एक-एक कर इनके धुरन्धर पार्टी को छोड़ रहे हैं, पता नहीं लोकसभा चुनावों तक कितने कर्णधार पार्टी में शेष रहेंगे, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
केजरीवाल पार्टी प्रारम्भ से ही किसी न किसी विवाद फँसती रही है। कभी विधायकों के प्रमाणों पर तो कभी आप नेताओं द्वारा राशन कार्ड बनाने के कारण विवादों में ही रही है।
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I am completely focussed on my legal practice and not involved in active politics at the moment. Rest is all extrapolation.
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इससे पहले बीते 15 अगस्त को आम आदमी पार्टी (आप) के वरिष्ठ नेता आशुतोष ने आज निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे हालांकि पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि वह आशुतोष का त्यागपत्र ‘इस जन्म में तो स्वीकार नहीं करने वाले हैं। ’ आशुतोष के टि्वटर पर आप से अपने इस्तीफे की घोषणा के कुछ देर बाद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा, ‘‘हम आपका इस्तीफा कैसे स्वीकार कर सकते हैं। ना, इस जनम में तो नहीं।’’ आशुतोष ने स्वयं ट्वीट कर पार्टी से नाता तोड़ने की जानकारी सार्वजनिक की। उन्होंने कहा ‘‘हर यात्रा का अंत अवश्यंभावी है। आप के साथ मेरे खूबसूरत और क्रांतिकारी जुड़ाव का भी अंत हो गया है। मैंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और पीएसी से इसे स्वीकार करने का अनुरोध किया है। ’’ आशुतोष ने पार्टी से इस्तीफे की वजह बताते हुये कहा कि यह नितांत निजी कारणों से लिया गया फैसला है।
आम आदमी पार्टी में आंतरिक लोकतंत्र की कमी बताकर सदस्य पार्टी से अलग हो रहे हैं। आप को छोड़कर भाजपा में शामिल हुई शाजिया इल्मी ने भी पार्टी में आज़ादी न मिलने का कारण बताते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। जबकि योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण को पार्टी ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था, जब 2015 में पार्टी ने दिल्ली में चुनाव जीतकर सरकार बनाई थी। प्रशांत भूषण के पिता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील शांति भूषण ने आप की स्थापना के समय 1 करोड़ का चंदा दिया था।
इसके अलावा प्रो. आनंद कुमार, पूर्व विधायक विनोद बिन्नी और पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा भी पार्टी से दूरी बना चुके हैं। अब पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक कुमार विश्वास भी राज्यसभा में न भेजे जाने के कारण पार्टी से खफा चल रहे हैं, पार्टी ने उन्हें राजस्थान के प्रभारी पद से भी हटा दिया था। यह अधिक आश्चर्य की बात न होगी कि कुछ दिनों के भीतर कुमार भी केजरीवाल का साथ छोड़ दें।
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