कठुवा में 8 साल की लड़की के बलात्कार और हत्या के मामले में मीडिया जो देश को बता रही है, तथ्य उस से बिलकुल ही अलग है, और कांग्रेस के तो प्रदेश अध्यक्ष जो की खुद मुस्लिम है उन्होंने भी अलग ही बयान दिया है।
अब इरफ़ान वानी ने इस मामले में जो चार्ज शीट तैयार किया है उसमे लिखा है की अफिसा को गाँव के मंदिर के तहखाने में बंद करके रखा गया था, पर असल में जिस मंदिर की बात की जा रही है उस मंदिर में तो कोई तहखाना है ही नहीं वो मंदिर बिलकुल साधारण है, और उसके फर्श के नीचे जमीन है, कोई तहखाना या कमरा है ही नहीं। जो मन्दिर तीन तरफ से खुला हो, वहाँ बलात्कार और हत्या कैसे हो सकती है?
Breaking!
Chargesheet in Afisa rape case mentions a Cellar in d Temple where her body was kept but there is no such cellar in it..
It's a one room temple with 3 doors & a jungle
Sir @narendramodi we desperately need CBI enquiry in this botched up casem.bhaskar.com/amp/union-terr… pic.twitter.com/4z1O33LRQn
Chargesheet in Afisa rape case mentions a Cellar in d Temple where her body was kept but there is no such cellar in it..
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Sir @narendramodi we desperately need CBI enquiry in this botched up casem.bhaskar.com/amp/union-terr… pic.twitter.com/4z1O33LRQn
इस मामले में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर क्या कहते है वो ध्यान से सुनिए
In Delhi, Rahul Gandhi cries hoarse over #Kathua, while Congress' Jammu-Kashmir chief GA Mir questions the police probe. #Congress4SocialJustice
साफ़ है की महबूबा मुफ़्ती इस मामले की जांच श्रीनगर से भेजे गए इरफ़ान वानी से ही करवाना चाहती है, उन्हें सीबीआई की जाँच भी नहीं चाहिए, और इस केस में मनगढ़ंत चीजें पुलिस लिख रही है, अब केंद्र सरकार को इस मामले में जल्द से जल्द दखल देनी चाहिए, क्यूंकि मामला कुछ और है, मीडिया और महबूबा मुफ़्ती और उनकी पुलिस इस मामले को कुछ और बना रही है, और इसके पीछे बहुत बड़ा षड्यंत्र है।
सत्ता के गलियारों में चर्चा है कि पीडीपी और भाजपा का तीन-तीन वर्ष के हुए अनुबन्ध के अनुसार, महबूबा मुफ़्ती का समय पूरा होने को है और इस सम्बन्ध में भाजपा केन्द्रीय स्तर पर कोई कार्यवाही करती है, तो अविश्वास का बहाना बनाकर गठबंधन को तोड़ राज्य सरकार को बर्खास्त कर, गैर-भाजपाई दलों से हाथ मिला सकती हैं और राज्यपाल को विधानसभा भंग करने का प्रस्ताव दे सकती हैं।
उन्नाव केस में पीड़ित परिवार नार्को टेस्ट नहीं चाहता, कठुवा केस में महबूबा सीबीआई जांच नहीं चाहती
हम लोग बार बार गलती करते है, और गलती ये की मीडिया जो हमे बताती है हम उसे फ़ौरन मानकर अपनी धारणा बना लेते है, जबकि रोहतक की बहने हो, चंडीगढ़ की आईएस अफसर की बेटी हो ऐसे तमाम मामले मीडिया के झूठे साबित हुए है, और मीडिया ने कभी उस पर माफ़ी भी नहीं मांगी है, बार बार हम लोग भी मीडिया की बातों में बिना सोचे समझे आकर बहुत बड़ी गलती करते है।
उन्नाव और कठुवा के मामले में भी जो मीडिया बता रही है तथ्य उस से बिलकुल ही उलट है, और काफी कुछ संदिग्ध चीजे है जिसपर मीडिया पर्दा डाल रही है, पहले बात करते है उन्नाव का मामला।
अवलोकन करिए:--
इस मामले में एक फौजी और उसका बेटा और पत्नी सामने आये है, फौजी के बेटे पर भी उसी लड़की ने गैंग रेप का आरोप 9 महीने पहले लगाया था, उस लड़के की बात को मीडिया नहीं दिखा रही, उस लड़के को स्टूडियो में बैठकर इंटरव्यू नहीं लिया जा रहा और लड़की का चचा जो इंटरव्यू दे रहा है हर जगह वो भी उस फौजी, और उसके बेटे पर चुप है।
दूसरी चीज की विधायक की पत्नी और उसके और सम्बन्धी बार बार नार्को टेस्ट करवाने की मांग कर रहे है, नार्को टेस्ट में आदमी का सच और झूठ पकड़ा जाता है, पर लड़की का चाचा नार्को टेस्ट नहीं चाहता, क्यों ? मीडिया उस से क्यों नहीं कहती की विधायक का परिवार नार्को टेस्ट करवाना चाहता है, आप क्यों नहीं चाहते।यहाँ फौजी के बेटे पर इसी लड़की द्वारा गैंगरेप का आरोप, और नार्को टेस्ट - उन्नाव मामले में 2 पेंच है, और अब बात करते है कठुवा के मामले की, तो यहाँ महबूबा मुफ़्ती सीबीआई जांच नहीं चाहती, जम्मू के हिन्दू सीबीआई जांच चाहते है पर हर मामले पर सीबीआई जांच की मांग करने वाले सेक्युलर लोग भी सीबीआई जांच नहीं चाहते।
वहीँ महबूबा ने श्रीनगर से जांच करने के लिए इरफ़ान वानी को भेजा है जो की 2007 में खुद एक हिन्दू लड़की के रेप और उसके भाई के क़त्ल के मामले में गिरफ्तार हुआ था, और उसकी जांच में लिख दिया गया की असीफा को मंदिर के तहखाने में बंद करके रखा गया था, पर असल में मंदिर में न तो कोई दरवाजा है और न ही तहखाना है, मंदिर तो ओपन है, इस मामले में देखिये जम्मू कश्मीर प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष गुलाम अहमद मीर क्या कह रहे है, ये खुद भी मुस्लिम है और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष है।
महबूबा की फर्जी जाँच
ये तो साफ़ कह रहे है की पीड़िता के दोषी कोई और है और महबूबा की जांच फर्जी है, फंसाया किसी और को जा रहा है, ये तो कोई बीजेपी के सदस्य भी नहीं बल्कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष है।
उन्नाव में पीड़ित परिवार नार्को टेस्ट नहीं चाहता, वहीँ महबूबा कठुवा मामले में सीबीआई जांच नहीं चाहती, और मीडिया है की बैठकर अपने स्टूडियो में 1 घंटे के डिबेट में ही सुनवाई भी खुद ही कर रही है, जांच भी खुद और मीडिया के लोग शो ख़त्म होते होते फैसले भी सूना रहे है।
Renuka Shahane
last Wednesday
The religion of the victim or the religion of the rapist should never matter! It is of no consequence which political party the rapists are affiliated to. Rape is a crime against humanity. Period! No religion and no political party is greater than the ideals of humanity. Anybody who rapes is inhuman. Anybody who plans a rape does not deserve to live. Anyone who rapes a child should not be allowed to live. Anybody who plans to rape a child and anyone who helps in planning the rape or helps in destroying evidence or helps in keeping quiet about it for money, ceases to be human.
Let us not cease to be humans by supporting any vile rapists whatever their political or religious affiliations. Let us not make a tamasha of rapes!!! Appalled that some human beings can actually support rapists!!! Shocked beyond belief!
RIP humanity!!!
Let us not cease to be humans by supporting any vile rapists whatever their political or religious affiliations. Let us not make a tamasha of rapes!!! Appalled that some human beings can actually support rapists!!! Shocked beyond belief!
RIP humanity!!!
महबूबा की पृष्ठभूमि पर नज़र डालते हैं:--
मिलकर साजिश करते है मुफ़्ती और अब्दुल्ला, JK की पुलिस, जजों, डाक्टरों के झूठ बोलने का भयानक इतिहास
जम्मू कश्मीर में झूठ बोलकर बहुत बड़ी बड़ी साजिश करने का इतिहास रहा है, अब्दुल्ला, मुफ़्ती भले एक दुसरे के विपक्ष हो पर ये मिलकर साजिश करते है, जम्मू कश्मीर की पुलिस फर्जी जांच करती है, डाक्टर फर्जी रिपोर्ट बनाते है, यहाँ तक की डीएनए सैंपल भी फर्जी, और इस से भी खतरनाक की जज और कोर्ट भी झूठ पर झूठ बोलते है, झूठ बोलकर भयानक साजिश का जम्मू कश्मीर में भयानक इतिहास रहा है, और आज हम आपको 2009 का एक मामला बता रहे है।
भारतीय सेना को बलात्कारी बताकर 2 महीने तक जम्मू कश्मीर और मीडिया में कैंपेन चलाया गया था, 47 दिनों तक कश्मीर में क़र्फ्यु लगाकर रखा गया था, मामला कश्मीर के सोफियाँ का था।
आपको अजित सिंह की वाल से पूरी पोस्ट हूबहू कॉपी करके बता रहे है, क्या हुआ था 2009 में, तब निशाने पर हमारी भारतीय सेना थी।
"कठुआ Rape Murder case में हिन्दू संगठन CBI जांच की मांग कर रहे हैं । जबकि महबूबा मुफ़्ती को सीबीआई जांच नहीं चाहिए, सेकुलरों को भी सीबीआई जांच नहीं चाहिए
क्यों ????????
इसे जानने के लिए कश्मीर के अलगाववादी आंदोलन का इतिहास खंगालना पड़ेगा और ये समझना पड़ेगा कि पाकिस्तान परस्त कश्मीरी अलगाववादी कैसे लाशों पे चढ़ के एजेंडा चलाते हैं ।
# 29 May 2009 को शोपियां -- कश्मीर से दो युवतियाँ , 22 वर्षीय निलोफर जान और 17 वर्षीय आसिया जान अपने सेब के बाग से वापस आते हुए लापता हो गईं ।
# 30 May , पुलिस ने उनकी लाश स्थानीय Rambiar नाले से बरामद की । जांच और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में पाया गया कि मृत्यु नाले में अचानक आये flash flood में डूबने से हुई ........ No fowl play ...... no marks of injury on body or private parts . यानि स्थानीय पुलिस ने शुरुवाती जांच में डूबने से मौत कहा, स्थानीय कश्मीरी पुलिस ने
# पर चूँकि 2 कश्मीरी मुस्लिम लड़कियों की लाश मिल चुकी थी, अब कैसे एजेंडा चलाया जाये तो अलगाववादियों की पॉलिटिक्स शुरू । आरोप लगा कि Indian Army ने Gang rape और Murder किया । कश्मीर घाटी में बंद हड़ताल curfew शुरू । अगले 47 दिन तक लगातार Curfew रहा ।
# उमर अब्दुल्लाह सरकार ने पुलिस जांच को नकार दिया और Judicial Enquiry बैठा दी । जस्टिस मुज़फ्फर जान के नेतृत्व में एक सदस्यीय कमीशन गठित । 30 दिन में रिपोर्ट देने को कहा ।
# जज मुज़फ्फर जान ने 30 दिन में सब लीप पोत कर बराबर कर दिया । और बता दिया दोनो महिलाओं का Gang Rape -- Murder हुआ था ......... जज ने ये भी बता दिया की शुरुवात में जांच करने वाली शोपियां Civil Hospital के Doctors और शोपियाँ पुलिस ने झूठ बोला ........ जज ने बताया की लड़कियों की मौत डूबने से नहीं रेप और हत्या की गयी है।
बाकायदे फोरेंसिक सबूत पेश कर दिए गए, ........ सारा Evidence आ गया ....... जज के रिपोर्ट के बाद उमर अब्दुल्ला ने एक्शन लिया और - कुल 13 Doctor और शुरुवाती जांच करने वाले पुलिस वाले Criminal Conspiracy और Negligence में Suspend हुए या जेल चले गए ....... यहां तक कि SP शोपियाँ जावेद मट्टू और DSP Rohit Barkotra तक suspend हो गए ।
इस बीच पूरे काश्मीर में नंगा नाच हुआ ........ लगातार 47 दिन Curfew रहा ........ पूरा काश्मीर Indian Army के खिलाफ आंदोलन करता रहा ....... और भारतीय सेना के खिलाफ पूरा कैंपेन चलाया गया।
# इसके अलावा शोपियाँ कोर्ट की Bar Association ने और J&K High Court की Bar ने अपनी अलग अलग Fact Finding teams बनायीं जिसमे Indian Army द्वारा Gang Rape और Murder की पुष्टि कर दी ।
# अंततः CBI Enquiry हुई ........ AIIMS Delhi से Doctors की टीम काश्मीर गयी । दोनो महिलाओं की लाशें उनकी कब्रों से दुबारा निकाली गयीं । दुबारा Postmortem हुआ ........ in camera हुआ ........ उस medical board में स्थानीय Doctors ( मुसलमान ) भी थे और AIIMS वाले भी थे ........
Victims के DNA Samples और Vaginal Swabs लिए गए और देश की 3 अलग अलग CFSL labs में भेजे गए । फोरेंसिक जांच में पाया गया कि मौत वाकई डूबने से हुई थी । किसी किस्म के Ante Mortem Injury यानी जीवित अवस्था मे लगी चोट का कोई लक्षण शरीर पे नही था .......
इसके अलावा जो सबसे ज़्यादा खतरनाक बात CBI enquiry में सामने आई वो ये की Justice मुज़फ्फर जान ने जो फोरेंसिक जांच कराई उसमे भेजे गए samples Victims के थे ही नही ........ पूरा case और पूरा Narrative फ़र्ज़ी और Manufactured था ।
# CBI ने शोपियाँ Police और Doctors को clean chit दे दी । उनकी प्रारंभिक जांच सही थी ....... सच थी ।
# CBI ने 13 लोगों के खिलाफ झूठा evidence create करने , सबूतों से छेड़छाड़ , और Criminal Conspiracy के जुर्म में चार्जशीट दाखिल की .........
# अंततः CBI जांच में ये स्पष्ट हुआ कि शोपियाँ में Indian Army ने कोई Gang Rape -- Murder नही किया था और दो अभागी महिलाओं की दुर्भाग्य पूर्ण मृत्यु पे उन दो लाशों को मोहरा बना के अलगाववादी भारत विरोधी राजनीति करते रहे ।
***
कठुआ में हुए तथाकथित Rape -- Murder में सच क्या है कोई नही जानता ।
पर यदि इतिहास से सबक लिया जाए तो ........
* CBI enquiry होनी चाहिए .......... और सीबीआई जांच नहीं चाहती है महबूबा मुफ़्ती
* Victim की body का AIIMS के Doctors द्वारा पुनः पोस्टमार्टम और फोरेंसिक जांच की जानी चाहिए जिस से सच सामने आ सके ।
Truth must Prevail
JUSTICE SHOULD BE DONE TO the Victim .
यदि वाकई Gang Rape हुआ है तो दोषियों को पकड़ के मृत्यु दंड दिया जाए ।
लाशों पे राजनीति बंद हो .
Note: शोपियाँ के इस केस के सारे तथ्य public Domain में हैं। जज मुज़फ्फर जान की न्यायिक जांच की रिपोर्ट और CBI की रिपोर्ट सब public domain में है । "




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