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जम्मू और कश्मीर के कठुआ कांड का सच, हिल जाएगा दिमाग

देवस्थान जिसे कलंकित करने का प्रयास किया जा रहा है 
मीडिया चैनल सिर्फ TRP के लिए काम करते हैं, झूठी खबरों को भी सच बनाकर बवाल मचा दिया जाता है क्योंकि ऐसा करने पर TRP बढ़ जाती है, कुछ दिनों तक बम्पर कमाई होती है, देशवासी मूर्ख बनकर उनकी ख़बरें सुनते हैं और उनकी बातों में आकर लड़ने लगते हैं। कठुआ मामले में भी ऐसा ही है जिसमें मीडिया ने TRP के लिए झूठ को सच बनाकर दिखा दिया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस और अन्य विरोधी पार्टियों को मोदी सरकार के खिलाफ मुद्दा मिल सके और कांग्रेस को मुद्दा मिल भी गया है, आपने देखा होगा कि मोदी सरकार के खिलाफ अभियान चल रहा है, सभी बीजेपी कार्यकर्ताओं को रेपिस्ट बताया जा रहा है। जिस तरह मक्का मस्जिद और 26/11 को हुए आतंकवादी  हमले को भगवा आतंकवाद का नाम देकर हिन्दू समाज को कलंकित करने का प्रयास किया गया था। ठीक उसी भाँति आज मोदी विरोधी एकजुट होकर कोई न कोई ऐसा षड्यंत्र कर रहे हैं, जिससे देश में शान्ति भंग होने के अलावा भाजपा विरोधी माहौल बनाया जा सके, जिसमे देश की मीडिया भी अपना योगदान दे रही है।
सबसे पहले कठुआ मामले का सच जान लीजिये, यह मामला आज का नहीं बल्कि जनवरी महीनें का है, जी हाँ, 4 महीनें पुराना है, तो कहाँ चला गया था नेशनल मीडिया. कहाँ सो रहा था अब तक। कहाँ चले गए समस्त खोजी पत्रकार?
जानकारी के अनुसार आसिफा नाम की लड़की जिसके साथ यह घटना हुई, वह गुर्जर बकेरवाल समुदाय से आती है।नाम से तो यह मुस्लिम लड़की है लेकिन इन्हें खानाबदोश कहा जाता है। नाम भले ही मुस्लिम लगे लेकिन ये भी हिन्दू ही है। दूसरी बात, ये समुदाय देशभक्त होता है, इन्होने कारगिल युद्ध में भारतीय सेना की मदद भी की थी। आसिफा को जनवरी में किडनैप करके हत्या कर दी गयी थी लेकिन पहली पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रेप नहीं दिखाया गया था।
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Image may contain: textआसिफा के बारे में एक बात और पता चली है कि इसके माता पिता की मौत हो चुकी है, इसके नाम पर कुछ जमीन छोड़ी गयी है, जनवरी में इसकी मौत हुई थी लेकिन उस समय नेशनल मीडिया ने इसकी सुध नहीं ली।
अब नेशनल मीडिया बता रही है कि आसिफा के साथ मंदिर में कई दिनों गैंगरेप किया गया और उसके बाद हत्या कर दी गयी। यह भी कहा जा रहा है कि इसकी लाश 8 दिनों तक मंदिर में पड़ी रही। 

यदि बच्ची की लाश 8 दिनों तक मंदिर में ही पड़ी थी, तो क्या मंदिर में रोज सफाई नहीं होती थी? नम्बर 2, मंदिर सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक और रात 8 बजे से सुबह 6 बजे तक बंद रहता है, यानि जो स्थान लगभग 16/17 घण्टे बंद रहता हो, लाश में इतनी सड़ांध आ जाएगी कि आस-पास में इतनी बदबू फ़ैल जाएगी, जो बर्दाश्त से बाहर होगी और वहाँ पूजा करने आने वाले लोगों को पूजा करना ही मुश्किल हो जाता। जो सिद्ध करता है कि मोदी को बदनाम करने का यह कोई घिनौना राजनीतिक षड्यंत्र है। भाजपा शासित राज्य में कोई भी अप्रिय घटना होने पर समस्त छद्दम धर्म-निरपेक्ष--फिल्म जगत से लेकर सियासतघोर --- सड़क पर निकल आते हैं, लेकिन जब किसी गैर-भाजपाई सरकार के राज में कितना ही घिनौना अपराध हो जाए, किसी की आवाज़ नहीं निकलती। मीडिया भी चुप्पी साध लेता है।  
अवलोकन करिये:--· 


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अब इस मामले में का सच जानने की जरूरत है। जब आसिफा अगवा हुई तो पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई गयी कि आसिफा गायब हो गयी है और मिल नहीं रही है। उसके बाद आसिफा की खोज शुरू हुई लेकिन पुलिस उसे ढूंढ नहीं सकी। 8 दिनों बाद उसकी लाश कठुआ के मंदिर में मिली।
नेशनल मीडिया ने मंदिर में गैंगरेप और मर्डर की खबर तो दिखा दी लेकिन शायद मंदिर देखने भी नहीं गयी होगी. जिस मंदिर में उसकी लाश पायी गयी वह आबादी के बीच में स्थिति है। उसमे छुपाए रखने योग्य कोई स्थान भीं नहीं है।  

प्रस्तुत है देवभूमि समाचार पर प्रकाशित मेरी रिपोर्ट :--

आगरा में मुसलमानों ने दलित को मूत्र पिलाया

लगता है नेताओं की सोंच को किस निम्न स्तर पर अंकित किया जाये, शायद हर व्यक्ति की सोंच से बाहर होगा। पिछड़ी जाति, दलित जाति, अनुसूचित जाति और न जाने किन-किन जातियों के नाम पर दुकाने खोल जनता को और अपनी ही जातिओं को मूर्ख बनाकर केवल अपना और अपनी भावी पीडिओं का भला किया जा रहा है। इन जातियों पर आधारित कुछ दुकानदार तो इतने होशियार हैं की रातों-रात पाला बदल लेते हैं।
केवल भारत हीं नहीं समूचे विश्व ने जेएनयू देशद्रोही नारों एवं  हैदराबाद में एक दलित की आत्महत्या का विधवा-विलाप देखा एवं समाचार-पत्रों में पढ़ा।रोहित की मृत्यु पर हुए विधवा विलाप होता देख दलित एवं पिछड़ी जातिओं ने समझा हमारे नेताओं को अपनी जातियों की चिन्ता है। लेकिन 3 अप्रैल की शाम को एक दलित को एक समाजवादी मुस्लिम नेता ने पेशाब पिलाए जाने पर सबने चुप्पी साध ली, क्यों? क्या जिस दलित सब्जी बेचने वाले को पेशाब पिलाया वो दलित नहीं ?केन्द्रीय संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी का सिर मांगने वाली बहुजन समाज पार्टी की मायावती क्यों गूंगी हो गयी?
आगरा के एत्मादपुर में एक दलित युवक को साइड मांगना इतना महंगा पड़ा कि मुस्लिम नेता और उसके लोगों ने पहले तो उसको खूब पीटा, फिर लगभग पांच लोगों ने उस दलित को अपना पेशाब पिला दिया। इस पूरी शर्मनाक हरकत करने वाले अपराधी को समाजवादी पार्टी का नगर अध्यक्ष बताया जा रहा है।
मामला आगरा के थाना एत्मादपुर का है। जहाँ का निवासी निरोत्तम सिंह प्रतिदिन की भांति सब्जी बेचकर जब अपने घर जा रहा था।  तभी रास्ते में भीड़ होने के कारण निरोत्तम ने सामने खड़े बुजुर्ग पुन्नी खान से रास्ता देने को कहा। इस पर हटने की बजाय पुन्नी खान ने कहा “सड़क तेरे बाप की है क्या ?” और गाली-गलोच शुरू कर दी।
निरोत्तम ने जब इसका विरोध किया, पुन्नी खान पहले तो खामोश रहा फिर घर से अपने बच्चों को बुला लाया। और पुन्नी खान दे बड़े बेटे मुस्लिम खान ठेकेदार और अन्य परिजनों ने पहले तो उसे खूब पीटा और फिर तीन/चार लोगों ने मुँह में पेशाब कर, कोई कार्यवाही करने पर जान से मारने की धमकी दी।
इस अमानवीय घटना से निरोत्तम के परिवार इतने डर गए कि पुलिस में रिपोर्ट तक करवाने से डर रहे थे। जब यह घटना हिन्दू संगठनों तक पहुंची, तुरंत पीड़ित को पुलिस थाने लेकर गए।
8416आरोपी परिवार सत्ता पक्ष से ताल्लुक रखता है और मुख्य आरोपी मुस्लिम खान ठेकेदार पार्टी का नगर अध्यक्ष है। हिन्दू संगठनो के साथ पीड़ित ने तहसील दिवस में उपजिलाधिकारी पी.डी गुप्ता, पुलिस अधीक्षक ग्रामीण बबिता साहू और क्षेत्राधिकारी अभिषेक कुमार सिंह के सामने अपनी व्यथा सुनाई और अधिकारियों ने मामले को संज्ञान लेते हुए एत्मादपुर थानाध्यक्ष को मामले की तुरंत जाँच करने के आदेश दिए।
पीड़ित के साथ तहसील पहुंचे हिन्दू इस अमानवीय घटना से रोष में थे। उनका कहना था कि मुस्लिम खान के एक हिन्दू दलित का घोर अपमान किया है। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया कि जल्द से जल्द मुस्लिम खान को गिरफ्तार कर सख्त कार्यवाही की जाये अन्यथा इस असहनीय एवं अमाननीय कृत्य के खिलाफ हिंदूवादी संगठन के लोग पीड़ित को लेकर अपने तरीके से आंदोलन करेंगे।


यह इतनी अमानवीय घटना उत्तर प्रदेश में हुई और बहुत ही शर्म की बात है हैदराबाद में तो मायावती को दलित दिख गया, लेकिन अपनी नाक के नीचे इतनी अमानवीय घटना होने पर गूंगी और सूरदास बने बैठी हैं। इतना ही नहीं, न राहुल गांधी, केजरीवाल एवं हैदराबाद पर विधवा-विलाप करने वाले दलों को कोई चिन्ता। क्योंकि इस अमानवीय घटना को अंजाम दिया है इनके  वोट-बैंक ने। ये है वोट के भूखे नेताओं का चरित्र।
एक भी पार्टी की आवाज़ नहीं निकली। क्योंकि यह घटना किसी भाजपा कार्यकर्ता या भाजपा शासित राज्य में नहीं घटी थीं। अरे शर्म नाम की भी कोई चीज़ होती है। 

कई सवाल खडे करती है क्राइम ब्रांच की चार्जशीट

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कठुआ के रसाना में हुआ रेप कांड कई सवालों के घेरे में है। नाबालिग को एक देवस्थान पर तीन दिनों तक कैद रखा गया। ऐसा क्राइम ब्रांच की चार्जशीट कहती है। परंतु बार एसोसिएशन समेत कठुआ के तमाम लोग संदेह की दृष्टि से देख रहे हैं। चार्जशीट में जो बातें कही गई हैं वह मौके पर कहानी से मेल नहीं खाती। ऐसा स्थानीय लोगों का कहना है। अमर उजाला ने क्राइम ब्रांच की चार्जशीट और देवस्थान की जमीनी हकीकत की पडताल की ।

पढिए अमर उजाला और भास्कर पर आधारित इस घटना की यह ग्राउंड रिपोर्ट

चार्जशीट : 3 दिन तक नाबालिग को देवस्थान में रखा गया
ग्राउंड रिपोर्ट : तीन दरवाजों से जुडा देवस्थान। अंदर राजा मंडलीक, बाबा सुरगल, माता मल, बाबा बिरफा नाथा और बाबा कालीवीर जैसे कुल देवताओं का स्थान। डोगरों में इन सभी कुल देवताओं की बहुत अहमियत है। इस देवस्थान के तीन दरवाजों की चार चाबियां हैं। तीन चाबियां रसाना के 13 घरों में बदल-बदल रखी जाती है। इसके अलावा एक चाबी पाटा गांव में है। इस गांव में लगभग 30 घर हैं। सुबह 6 बजे से लेकर 10 बजे और शाम 6 बजे से 8 बजे तक सब लोग देवस्थान में ज्योत जगाने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि कुल देवता के स्थान पर प्रतिदिन दो समय ज्योत जलाई ही जाती है।
चार्जशीट : सांझी राम ने बेटे और भांजे के साथ बच्ची को रेप के बाद मारने की योजना बनाई
ग्राउंड रिपोर्ट : सांझी राम की बेटी मोनिका शर्मा का कहना है कि, उसके भाई विशाल को पकड लिया गया है। उसके पिता को मास्टरमाइंड बना दिया। कौन पिता होगा जो अपने बेटे को कहेगा कि किसी मासूम से बलात्कार कर दो। क्राइम ब्रांच ने मनगढंत कहानी बनाकर उसके पिता को फंसा दिया। उसके पिता की बक्करवाल परिवार से कोई पुरानी दुश्मनी नहीं थी। न ही कोई जमीन का विवाद था। यदि ऐसा होता तो बच्ची का परिवार 40 साल से यहां रहता आ रहा है। अगर कोई रंजिश होती भी तो बच्ची पे क्यों निकालते।
चार्जशीट : वाहन न मिला तो जंगल में फेंक दिया शव
ग्राउंड रिपोर्ट : जिस जगह पर नाबालिग का शव मिला। वो जगह सांझी राम के घर और देवस्थान को जोडती है। यूं कहा जाए कि, देवस्थान से सांझी राम के घर के रास्ते में शव मिला था। यह भी एक सवाल है कि, सांझी राम के घर के रास्ते के बीच शव क्यों फेंका, जबकि आरोपियों को मालूम था कि, वहां से हर रोज कई लोग गुजरते हैं। यह रास्ता सांझी राम के अलावा अन्य घरों को शार्टकट रास्ते के रूप में जोडता है।
चार्जशीट : 12 जनवरी को विशाल जंगोत्रा ने सुबह 6 बजे देवस्थान में बच्ची से बलात्कार किया
ग्राउंड रिपोर्ट : सुबह 6 बजे से लेकर 10 बजे तक पाटा और रसाना गांव के लोग ज्योति जलाने आए होते हैं। सांझी राम की बेटी का कहना है कि, 10 जनवरी से लेकर अगले चार दिन तक लगातार दोनों गांव के कई लोग देवस्थान आए। अगर बच्ची को यहां रखा होता तो वो नजर नहीं आती क्या?
चार्जशीट : बच्ची को टेबल के नीचे छुपाकर, मैट और दरियों से कवर करके रखा
ग्राउंड रिपोर्ट : देवस्थान में यह टेबल अब भी पडा है। जिसकी ऊंचाई करीब दो फुट होगी और लंबाई ढाई फुट। इसके नीचे किसी को छुपाकर रखना जाए तो साफ तौर पर पता चल जाएगा। बेशक इसे सभी तरह से कवर करके रखा जाए। सांझी राम की बेटी मोनिका शर्मा ने कहा कि, क्राइम ब्रांच ने बताया कि, तीन दिन तक बच्ची से देवस्थान के अंदर बलात्कार हुआ। परंतु उक्त तीन दिनों में सुबह शाम लोग आकर माथा टेक कर गए। यदि लडकी को यहां छुपाया होता, तो पता चल जाता।
चार्जशीट : सांझी राम के शेड में भी बच्ची को रखा गया
ग्राउंड रिपोर्ट : यह शेड गांव के बीचों बीच बना हुआ है। जो बिल्कुल खुला है। इसमें कोई भी होगा तो साफ तौर पर दिख जाएगा। शेड के पास कई और घर भी हैं।

दोषी को कडी सजा दो, परंतु जांच सीबीआई से कराओ

वहीं कूटा में धरने पर बैठे रसाना गांव के लोगों का कहना है कि, अगर सांझी राम सहित अन्य लोग दोषी हों, तो उन्हें सख्त सजा दो, परंतु इसकी जांच सीबीआई से कराओ। क्योंकि क्राइम ब्रांच ने केवल एक ही पक्ष की बात सुनी है। सीबीआई की जांच में यदि साबित हो तो वह लोग तैयार हैं।

देवस्थान पर तहखाना नहीं

रसाना गांव में जो देवस्थान है उसमें कोई तहखाना नहीं है, उसके तीन दरवाजे हैं और सामने जंगल है। चार्जशीट में जिक्र किया गया है कि बच्ची को देवस्थान के तहखाने में रखा गया, पर देवस्थान केवल एक ही कमरे का है और उसकी तीन चाबी है।

धर्म की आड़ लेकर ओछि पत्रकारिता करने वाले दलालों ने इंसानियत को जड़ से ही ख़त्म कर दिया है..
ए भारतीय नारी हम शर्मिंदा है...
धर्म को तवा बनाकर..

उस पर रोटी सेकने वाले दलाल अभी ज़िंदा है..

कठुवा मामले पर भारत विरोधी टीशर्ट से खुश हुए अली फैज़ल, बोले - हम हुए मकसद में कामयाब

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कठुवा मामले पर जमकर सियासत हो रही है, सियासी लोगों के अलावा बुद्धिजीवी, पत्रकार और खासकर बॉलीवुड के भी लोग इस मामले पर एक्टिव है, पर ये लोग असल में बच्ची को न्याय दिलाना चाहते है, महिलाओं के प्रति सजग है, या इनका एजेंडा कुछ और है ये फिर एक बार सामने आया है, बता दें की कठुवा मामले पर दुनिया भर में भारत विरोधी लहर बनाने की कोशिश की जा रही है और इस काम में पाकिस्तान भी एक्टिव है।










And there it is... for the world to know! We have achieved our goal i guess. NaamBadnaam.
कठुआ में ८ साल की बच्ची के साथ गैंगरेप कर निर्मम हत्या कर देने से देश के लोगों में आक्रोश फैला हुआ है। काफी लोग सोशल ....
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आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार कठुआ गैंगरेप को लेकर सोशल मीडिया पर अब तक कई बॉलीवुड हस्तियों ने अपनी प्रतिक्रियाएं .....
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अरब  देश जो पाकिस्तान के खिलाफ और भारत के साथ आ रहे थे, वहां पर भी कठुवा मामले पर भारत विरोधी लहर बनाने का काम बॉलीवुड के लोग और खासकर पाकिस्तान के स्लीपर सेल कर रहे है, भारत विरोधी एजेंडा चलाने के लिए विदेशों में भारत विरोधी टीशर्ट बांटी जा रही है, और पहनी जा रही है, देखिये एक उदाहरण
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ये है अली फैज़ल, ये टीवी सीरियल में काम करता है, भारत विरोधी एक टीशर्ट की फोटो डालकर अली फैज़ल ने लिखा की, ये देखिये, हम अब अपने मकसद में कामयाब हुए।

टीशर्ट पर लिखा है की "अपनी महिलाओं को भारत भेजने पर सतर्क रहे", इस तरह के और भी टीशर्ट पहनकर भारत विरोधी छवि बनाने की कोशिश की जा रही है, और अली फैज़ल इसपर कह रहे है की वो कामयाब हुए, अब साफ़ हो जाता है की ये कठुवा की बच्ची के न्याय के लिए आवाज उठा रहे है या किसी और मकसद के लिए, हालाँकि ये फोटो और ये टीशर्ट असली है या फोटोशोप हम इसकी पुष्टि नहीं कर सकते है, पर अपने ट्विटर अकाउंट से ये तस्वीर खुद अली फैज़ल ने ही डाली है और कह रहे है की हम अपने मकसद में कामयाब रहे।
 आसिफा रेप (?) और हत्या में जानने योग्य तथ्य
1. घटना जम्मू के कठुवा में संभवतः जनवरी में घटित हुई।
2. जम्मू का यह इलाक़ा कश्मीर घाटी के विपरीत शांत और हिन्दू बहुल है।

3. आसिफा बंजारा प्रवृत्ति वाले बकरवाल मुस्लिम समुदाय से थी। उसके माता-पिता का निधन हो चुका था और वह अपने रिश्तेदार के साथ रहती थी। उसके नाम थोड़ी पारिवारिक संपत्ति भी थी।
4. कठुवा के इस इलाक़े में कुछ वर्षों से अवैध रोहिंग्या बसाहट हो रही है।
5. जनवरी में आसिफा के लापता हो जाने के कुछ दिनों बाद आसिफा का शव मंदिर में पाया गया।
6. पहली पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बच्ची के साथ बलात्कार की घटना से इंकार किया गया।
7. मंदिर आबादी के बीच है जहाँ कोई लॉक करने योग्य दरवाजा नहीं है। मंदिर हमेशा खुला रहता है, यहाँ रोज़ लोग आते हैं, यहाँ किसी को 8 दिनों तक बंधक बनाने योग्य जगह नहीं है।
8. आसिफा के शरीर पर गीली मिट्टी लिपटी हुई थी, अर्थात् उसकी हत्या के पूर्व उसे मिट्टी पर लिटाया/घसीटा गया था। मंदिर मार्बल का है, जहाँ कीचड़ नहीं होता है और पोस्टमार्टम में बताये गए मृत्यु के समय पर आसपास कहीं बारिश नहीं हुई थी। संभवतः आसिफा की हत्या कहीं और कर उसका शव कुछ समय पहले मंदिर में डाला गया था।
9. मंदिर जिस तरह आबादी के बीच है, संभव नहीं है कि वहां 8 दिनों तक शव सड़ता रहे और लोगों को पता न चले।
10. घटना के बाद जब स्थानीय पत्रकार वहां पहुंचे तब रोहिंग्या लोगों ने उनके साथ मारपीट की।
11. मिडिया के एक तबके ने घटना के साथ हिन्दू आरोपी और घटनास्थल के रूप में मंदिर शब्द विशेष रूप से उछला।
12. भाजपा के विधायकों ने राज्य सरकार से के CBI जाँच करने का केंद्र से अनुरोध करने को कहा।
13. मुफ़्ती सरकार ने CBI जाँच का अनुरोध न करते हुए जाँच के लिए SIT का गठन कर दिया।
14. कश्मीर में घटना के विरोध में आंदोलनों का नेतृत्व ग़ुलाम नबी आज़ाद के प्रमुख सहयोगी कर रहे हैं।
15. बकरवाल मुस्लिम भारतीय सेना के प्रमुख सहयोगी हैं जो सेना के लिए दुर्गम स्थानों पर खच्चर पर लाद कर रसद पहुँचाने का काम करते हैं। कारगिल युद्ध में भी उनकी सेवा विशेष उल्लेखनीय है। अब उनमे भारतीय सेना और भारत के ख़िलाफ़ आक्रोश भड़काया जा रहा है।
16. पूर्व में लगभग 2003 में शोपियां में 22 वर्षीय नीलोफर जान और उसकी 17 वर्षीय ननद अपने सेव के बगीचे से गायब हो गयीं थी और उनके शव समीप के नाले में मिले थे।
17. स्थानीय पुलिस जाँच में पाया गया कि अचानक बादल फटने और बाढ़ आने से दोनों युवतियां बह कर मारी गयीं।
18. अलगाववादियों ने कहा कि भारतीय सेना ने उनका बलात्कार कर हत्या की है।
19. उमर अब्दुल्ला ने स्थानीय पुलिस की जाँच को नकारते हुए 17 अधिकारियो को सस्पेंड कर जेल भेजा और जाँच के लिए न्यायिक कमेटी का गठन किया।
18. न्यायिक कमेटी ने बताया कि दोनों युवतियों के साथ बलात्कार कर हत्या की गयी।
19. सेना की ओर से दबाव बढ़ने पर CBI जाँच करवाई गयी, फोरेंसिक नमूने 3 भिन्न देशों में भेजे गए। किसी भी रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई।
20. सभी 17 निलंबित अधिकारीयों को दोषमुक्त पाया गया।
21. किन्तु इस घटना से कश्मीर में व्यापक हिंसा, प्रदर्शन और असंतोष के चलते 47 दिनों तक कर्फ़्यू लागू रहा।
22. क्या आपको नहीं लगता कि सरकार को अस्थिर करने के लिए लंबे समय से षड्यंत्र चल रहे हैं ? कभी अवार्ड वापसी, कभी पटेल आरक्षण, कभी कोरेगांव हिंसा, कभी जुनैद, कभी अख़लाक़, कभी ऊना कभी लिंगायत ?

केरल, कर्नाटक, बंगाल में रोज हिंदू लड़कियों के बलात्कार हो रहे हैं लेकिन बिकाऊ प्रेस्टीट्यूट्स की जुबान को लकवा मार जाता है।
हिन्दू संगठनो और साधू संतों को बदनाम करने के लिए खूब पैसा आता है क्या कभी आपने मौलवी या पादरी द्वारा किये गये कुकर्मों पर मीडिया को बोलते देखा ..अगर कुछ घटना चर्च या मदरसे में होती है तो मीडिया अगले ही दिन उस खबर को दबा देता है 
सोचिये कौन और किसलिये है इस सबके पीछे !!!

JNU के वामपंथी प्रोफेसर पर छात्राओं के शोषण का केस दर्ज, मीडिया में भारी सन्नाटा, नहीं हो रहे ट्वीट 





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This commie Professor Ajay Kumar, who was elected to JNU Teachers Association '14, is latest name from to be accused in cases of . No @Javedakhtarjadu will tweet demanding arrest for this commie Professor

So u RT this and let country know of this molester!




FIR u/s 354,506,509 IPC registered against JNU Comerade Prof Ajay Kumar from School of Social Sciences at Vasant Kunj P.S. for molesting a student. He teaches Adult Education.
जवाहर लाल नेहरु यूनिवर्सिटी के वामपंथी प्रोफेसर अजय कुमार पर छात्राओं के शारीरिक शोषण का केस दर्ज किया गया है, ये प्रोफेसर वामपंथी है और JNU के संगठन JNUTA से भी जुड़ा हुआ है, ये JNU में एडल्ट एजुकेशन का प्रोफेसर है, और इसने पढ़ाने के बहाने छात्राओं का शारीरिक शोषण किया है, इसके खिलाफ दिल्ली के वसंत विहार थाने में कई धाराओं में मामला दर्ज किया गया है। 
लेकिन अब इस खबर पर मीडिया और नेताओं ने चुप्पी साध ली है, शेहला रशीद जैसे लोग अब 1 भी त्वीट नहीं कर रहे है, क्यूंकि ये प्रोफेसर वामपंथी है, और इसके गुनाह माफ़ है, कांग्रेस, AAP मीडिया के लोग कठुवा के नाम पर कैंपेन चला रहे है, जावेद अख्तर जैसे लोग ट्वीट कर रहे है, पर JNU के इस प्रोफेसर पर 1 भी त्वीट नहीं किया जा रहा है, ज्यादा से ज्यादा इस मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। 
अब तक इस प्रोफेसर की गिरफ़्तारी नहीं की गयी है, मीडिया तो इस मामले पर बात तक नहीं करना चाहती, चूँकि सभी इस प्रोफेसर को बचाने में लगे है, इस मामले को दबाने की भी कोशिश की जा रही है 

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To write on general topics and specially on films;THE BLOGS ARE DEDICATED TO MY PARENTS:SHRI M.B.L.NIGAM(January 7,1917-March 17,2005) and SMT.SHANNO DEVI NIGAM(November 23,1922-January24,1983)

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सोशल मीडिया पर भोजपुरी एक्ट्रेस और सिंगर त्रिशा कर मधु का MMS लीक हो गया है, जिससे वो बहुत आहत हैं, एक्ट्रेस ने सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां किया है, त्रिशा मधु ने इस बात को कबूल किया है कि वीडियो उन्होंने ही बनाया है लेकिन इस बात पर यकीन नहीं था कि उन्हें धोखा मिलेगा। गौरतलब है कि हाल ही में त्रिशा का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा था जिसमें वह एक शख्स के साथ आपत्तिजनक स्थिति में नजर आ रही थीं। इस वीडियो के वायरल होने के बाद अभिनेत्री ने इसे डिलीट करने की गुहार लगाई साथ ही भोजपुरी इंडस्ट्री के लोगों पर उन्हें बदनाम करने की साजिश का आरोप लगाया। त्रिशा मधु कर ने अपने फेसबुक पेज पर एक वीडियो के साथ पोस्ट लिखा है जिसमें कहा, आप लोग बोल रहे हैं कि खुद वीडियो बनाई है। हां, हम दोनों ने वीडियो बनाया थ। पर मुझे ये नहीं मालूम था कि कल को मेरे साथ धोखा होने वाला है। कोई किसी को गिराने के लिए इतना नीचे तक गिर जाएगा, यह नहीं पता था। इससे पहले त्रिशा ने वायरल हो रहे वीडियो पर अपना गुस्सा जाहिर किया था और कहा था कि उनको बदनाम करने को साजिश की जा रही है। त्रिशा मधु कर ने सोशल मीडिया पर ए...

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                             Netflix लो वेब सीरीज 'राणा नायडू' में वेंकटेश और राणा दग्गुबती भारत में आजकल गालियों और सेक्स को ही वेब सीरीज मान लिया गया है। इसमें अगर हिन्दू घृणा का छौंक लग जाए तो फिर कहना ही क्या। चाहे ‘पाताल लोक’ में पंडित के मुँह से माँ की गाली बुलवाने वाला दृश्य हो या फिर ‘मिर्जापुर’ में ब्राह्मण को लालची बता कर उसे उठा कर भगाने का, OTT पर धड़ाधड़ रिलीज हो रहे ये वेब सीरीज इन मामलों में निराश नहीं करते। ऐसी ही एक नई वेब सीरीज Netflix पर आई है, ‘राणा नायडू’ नाम की। हिन्दू भावनाओं के प्रति जितनी जागरूकता सरकार और हिन्दुओं में देखी जा रही है, उतनी कभी नहीं। 70 के दशक में वैश्यवृत्ति पर आधारित निर्माता-निर्देशक राम दयाल की फिल्म 'प्रभात' का प्रदर्शन हुआ, जिसे विश्व हिन्दू परिषद द्वारा नायक और नायिका के राम एवं सीता होने पर आपत्ति करने राम दयाल को दोनों के नाम परिवर्तित होने को मजबूर होना पड़ा था। इसके अलावा कई फिल्में आयी जिनमें हिन्दू मंदिरो को बदनाम किया जाता रहा है। यही कारण है कि राहुल गाँधी द्वा...