सच होते फिल्मों के डायलॉग क्या ड्रोन से ही होगी अब जंग, बेकार हो जाएँगे बड़े-बड़े लड़ाकू विमान? रूस-यूक्रेन से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक बदली युद्ध की तस्वीर; आज ऐसी दूरदर्शी फिल्मों का आभाव है
ड्रोन युग ( फोटो साभार- एआई ग्रोक ) फिल्में एक मनोरंजन ही नहीं बल्कि फिल्म कहानीकार(पटकथा लेखक) और गीतकार भविष्य में क्या होने वाला है व्यक्त कर देते है। फिल्म "शहीद" के प्रीमियर पर तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने फिल्म अभिनेता मनोज कुमार से अपने नारे "जय जवान जय किसान" पर भी फिल्म बनाने का विचार रखने पर मनोज ने शास्त्री जी से ऐसा करने का वायदा किया और फिल्म "उपकार" का निर्माण किया। लेकिन दुर्भाग्यवश फिल्म पूरी होने से पहले ही ताशकंत में रहस्यमयी मृत्यु हो गयी। 1965 में इंडो-पाक युद्ध के दौरान बहुचर्चित गायक मोहम्मद रफ़ी ने एक गैर-फ़िल्मी "कहनी है एक बात हमें इस पहरेदारों से, सम्भल कर रहना अपने घर में छिपे हुए गद्दारों से ..." बहुचर्चित गीत गया था जो आज भी जीवंत है। दूसरे, आज विपक्ष महंगाई, भ्रष्टाचार, खाद्य पदार्थों में मिलावट और बेरोजगारी का शोर मचाकर जनता को गुमराह करता रहता हैं, जबकि 70 के दशक तक कई फिल्मों में इन राष्ट्रीय मुद्दों पर कई फिल्मों का निर्माण हुआ और जनता ने सराहा भी खूब, लेकिन आज ऐसी दूरदर्शी फिल्मों का आभाव है। ...