भारत के कई बार एतराज जताने के बाद भी चीन लगातार पाकिस्तान को हथियार मुहैया कराता रहता है. |
जब सुरक्षाकर्मी कश्मीर में उपद्रवियों पर पैलेट इस्तेमाल कर रहे थे, उनके हितैषी कोर्ट तक पहुँच गए, संसद में हंगामा किया। लेकिन अब जब उपद्रवी सुरक्षाकर्मियों पर हैंड ग्रेनेड और आतंकवादी स्टील बुलेट इस्तेमाल कर रहे, किसी में सुरक्षाकर्मियों की रक्षा के कोर्ट जाने का साहस नहीं कर पा रहे। सबको साँप सूंघ गया। भारतीय सुरक्षाकर्मी मरते हैं, मरने दो, लेकिन छद्दम देशप्रेमी नेताओं के वोट बैंक को किसी प्रकार की क्षति न होने पाए। कहते हैं कि पाकिस्तान और अलगाववादियों से बातचीत करनी चाहिए। अब कोई इनसे पूछे, "इतने वर्षों तक तुम सब क्या कर रहे थे?क्यों नहीं बातचीत से मसला सुलझाया? कश्मीर मसले पर विशेषज्ञ सुशील पंडित की बात शत-प्रतिशत चरितार्थ हो रही है, कि "पाकिस्तान की सबसे बड़ी ताकत, भारत में मिनी पाकिस्तान और हज़ारों समर्थक हैं।"
अवलोकन करें:--
कश्मीर में तैनात जवानों के खिलाफ फिदायीन हमले के लिए पाकिस्तान की आईएसआई जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों को चीन में बने स्टील बुलेट मुहैया करा रही है. खुफिया सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक पिछले कुछ महीनों में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने अपने हर हमले में स्टील बुलेट का इस्तेमाल किया है. इन बुलेट की सबसे खास बात यह होती है कि ये जवानों के बुलेट प्रूफ जैकेट को बड़े आराम से भेद सकती हैं.
जांच एजेंसियों के मुताबिक पुलवामा आत्मघाती हमले से लेकर के त्राल में हुए आतंकी हमलों में भी जैश-ए-मोहम्मद ने इन स्टील बुलेट का इस्तेमाल किया था.
कश्मीर में तैनात सुरक्षा सुरक्षा से जुड़े एक बड़े अधिकारी ने ज़ी न्यूज से कहा कि जैश-ए-मोहम्मद ने पिछले 6 महीनों में हर बड़े हमले में स्टील बुलेट का इस्तेमाल किया है. यह बुलेट एके-47 राइफल से भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं. आतंकी अपनी मैगजीन में 2-3 स्टील बुलेट का कॉन्बिनेशन रखते हैं और जरूरत पड़ने पर वह हमारे जवानों पर हमले करते हैं. कई बार यह बुलेट आर्मड बुलेट को भी भेज सकती है.
पिछले साल 27 दिसंबर को जम्मू कश्मीर के लेथपुरा में हुए आत्मघाती हमले में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने स्टील बुलेट का इस्तेमाल किया था. कश्मीर में पहली बार आतंकियों की साजिश की जानकारी इसी हमले से पता चली थी.
पिछले साल 27 दिसंबर को जम्मू कश्मीर के लेथपुरा में हुए आत्मघाती हमले में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों ने स्टील बुलेट का इस्तेमाल किया था. कश्मीर में पहली बार आतंकियों की साजिश की जानकारी इसी हमले से पता चली थी.
एजेंसी के मुताबिक आतंकियों के स्टील बुलेट यानी आर्मड पायरसिंग बुलेट के ख़तरे को बड़ी गंभीरता से जांच की जा रही है. वीआईपी के सुरक्षा में बुलेट प्रूफ गाड़ियों का इस्तेमाल होता है और ऐसे में आतंकियों की अब इस नई रणनीति को देखते हुए वीआईपी सुरक्षा की दोबारा समीक्षा हो रही है.
कश्मीर में तैनात एक और अधिकारी ने हमें बताया कि पिछले साल दिसंबर में पुलवामा में ही एक जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर नूर मोहम्मद तंत्रे यानी पीर बाबा का एनकाउंटर किया गया था. एजेंसियों को शक है कि कश्मीर में स्टील बुलेट लाने वाला कोई और नहीं बल्कि नूर मोहम्मद तंत्रे है.
नूर मोहम्मद तंत्रे ने स्टील बुलेट की खेप को जैश-ए-मोहम्मद के बाकी आतंकियों तक पहुंचा दिया, जो कश्मीर में मौजूद हैं. इन आतंकियों को यह बताया गया है कि किस तरीके से और कब इन स्टील बुलेट का इस्तेमाल सुरक्षाबलों के खिलाफ करना है. जैश-ए-मोहम्मद अक्सर सुरक्षा एजेंसियों के कैंप में हमले के दौरान भी इन स्टील बुलेट का इस्तेमाल कर रहा है.
खुफिया एजेंसियों को शक है कि चीनी स्टील बुलेट को पाकिस्तान के ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में बनाया जा रहा है पूरी दुनिया भर में ऐसी बुलेट बैन है, लेकिन अब आतंकियों तक इन बुलेट की पहुंच हो गई है.
आतंकी इन स्टील बुलेट का इस्तेमाल एके-47 राइफल से भी कर रहे हैं. अभी तक सुरक्षाबलों के पास जो बुलेट जैकेट और शील्ड हैं स्टील बुलेट को झेलने के लिए नाकाफी हैं.
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