आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
पाकिस्तान भारत की तरह एक देश नहीं है, पाकिस्तान का निर्माण ही हिन्दुओ से नफरत के कारण हुआ था, पाकिस्तान एक ऐसा देश है जिसका लक्ष्य विकास इत्यादि नहीं बल्कि भारत और हिन्दुओ के खिलाफ जिहाद है, और पाकिस्तान का लक्ष्य है भारत को गजवा हिन्द करना।
भारत चाहे पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक करे, चाहे 1 के बदले उसके 10 सैनिक मारे फिर भी पाकिस्तान नहीं सुधर सकता क्योकि पाकिस्तान की नींव ही हिन्दुओ से नफरत पर रखी गयी थी, पाकिस्तान का 1 ही उपाय है और वो है पाकिस्तान से निर्णायक युद्ध और उसका समूल नाश, जब तक ऐसा नहीं होता तब तक पाकिस्तान नहीं सुधर सकता चाहे आप 100 सर्जिकल स्ट्राइक करे, उनके 2000 सैनिको को मारे, फिर भी पाकिस्तान नहीं सुधरेगा।
सुशील पंडित ने बताया की पाकिस्तान की सबसे बड़ी ताकत क्या है, और क्यों पाकिस्तान भारत से कई युद्ध हारने के बाद, साथ ही भारत की कार्यवाहियों के बाद नहीं सुधरता, सुशील पंडित ने बताया की पाकिस्तान ये बात अच्छे से जानता है की भारत उस पर कभी भी निर्णायक युद्ध नहीं कर सकता, क्योकि भारत में करोडो पाकिस्तानी है, और भारत के हर शहर में मिनी पाकिस्तान है, और इन करोडो पाकिस्तानियों के पास असलहो हथियारों की कोई कमी नहीं है ये तो तैयारी करके बैठे हुए है।
अगर भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक युद्ध किया तो पाकिस्तान मजहब के नाम पर जिहाद का ऐलान करेगा, और भारत में मिनी पाकिस्तान भारत के खिलाफ गृह युद्ध छेड़ देंगे, भारत को सिर्फ पाकिस्तान से ही नहीं बल्कि करोडो पाकिस्तानियों से लड़ना पड़ेगा, और वो भी देश के अंदर ही, यही भारत की कमजोरी और पाकिस्तान की ताकत है, इसी कारण नहीं सुधरता, सुशील पंडित ने कहा की - पाकिस्तान के इलाज के लिए जरुरी है की भारत में मौजूद मिनी पाकिस्तानियों को साफ़ किया जाये।
इतिहास साक्षी है
मेरे से वरिष्ठ नागरिकों--चाहे वह किसी भी जाति, समुदाय अथवा धर्म से हों-- को भलीभाँति ज्ञात होगा कि 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान कितने ट्रांसमीटर पकडे गए थे, और जिन लोगों के घरों से ट्रांसमीटर पकडे गए थे, ये लोग किस मजहब से थे? लेकिन तत्कालीन प्रधानमन्त्री लाल बहादुर शास्त्री ने सख्ती अपनाते हुए, पाकिस्तान और भारत में पाकिस्तान समर्थकों के साथ सख्ती से पेश आए थे। कोई गृह-युद्ध नहीं हुआ था। क्योंकि अगर प्रधानमन्त्री कठोर हो, हर परिस्थिति को सँभालने की क्षमता रखता है। तत्कालीन प्रधानमंत्री शास्त्री ने वोट बैंक की लेशमात्र भी चिन्ता नहीं की, विपरीत इसके राष्ट्रधर्म को सर्वोपरि मान घर और बाहर दोनों मोर्चों पर दुश्मनों को धूल चटाई थी। काश ! ताशकंत से शास्त्रीजी जीवित आ गए होते।
अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जिन्ना के चित्र पर जो विवाद चल रहा है, उसकी दोषी कांग्रेस ही है, क्योंकि कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने वामपंथियों से गुप्त समझौता कर भारत के वास्तविक इतिहास को ही धूमिल कर दिया।
मेरे पिताश्री एम.बी.एल. निगम बताते थे, कि स्वतन्त्रता पूर्व दिल्ली की जामा मस्जिद में दो सभाएँ हुई थीं, पहली थी मोहम्मद अली जिन्ना की, जिसमे जिन्ना ने मुस्लिम लीग की बँटवारे की माँग का घोर विरोध किया था और सभा उपरान्त जामा मस्जिद स्थित मुस्लिम लीग के दफ्तर में आग लगाई थी। फिर आखिर ऐसी क्या विवशता थी, कि बँटवारे का घोर विरोधी मुस्लिम लीग की गोदी में बैठ भारत के टुकड़े करने में सफल हो गया? भारत को खंडित करने का श्रेय जिन्ना को नहीं, बल्कि जवाहरलाल नेहरू को जाता है, जिसने प्रधानमन्त्री न बनाये जाने के कारण महात्मा गाँधी को कांग्रेस को तोड़ने की धमकी दी थी। देश का दुर्भाग्य है कि नेहरू और गाँधी ने बंटवारे का सारा इल्ज़ाम बेचारे जिन्ना पर थोप कर स्वयं महान देशभक्त बन गए। अगर महात्मा गाँधी नेहरू की धमकी के आगे नतमस्तक होने की बजाए जिन्ना या सरदार पटेल को प्रधानमन्त्री बना देते, जिन्ना भारत में ही रहते, और शायद पाकिस्तान भी नहीं बनता।
लेकिन जिन्ना की भारत भक्ति को नकारा नहीं जा सकता। जिन्ना ने महात्मा गाँधी को स्पष्ट शब्दों में नेक सलाह दी थी कि "पाकिस्तान जाते मुसलमान का नारा है 'हँस के लिया पाकिस्तान, लड़कर लेंगे हिन्दुस्तान', भारत के एक और बंटवारे से बचाने के लिए मुस्लिम लीग को हिंदुस्तान में हमेशा के लिए बैन कर दो।" जिन्ना की बात न महात्मा गाँधी ने मानी और न ही नेहरू ने। नेहरू ने मुस्लिम लीग को उस समय केवल केरल तक ही सीमित रखा, लेकिन इंदिरा गाँधी ने प्रधानमन्त्री बनने के कुछ समय उपरान्त मुस्लिम लीग को केरल से बाहर ले आयी। देश के वास्तविक इतिहास से अज्ञान होने के ही कारण हिन्दू-मुसलमान आज तक लड़ते रहते हैं और नेता इनकी लड़ाई की आग पर मालपुए पका कर खाते रहे हैं, बल्कि आज भी खा ही रहे हैं। इतना विश्वास है, जिस दिन देश की जनता को वास्तविकता से शिक्षित करवा दिया जाएगा, यही हिन्दू और मुस्लिम एक दूसरे पर जान न्यौछावर करने को तैयार रहेंगे, लेकिन तुष्टिकरण पुजारी नेता ऐसा नहीं होने देंगे।
प्रत्यक्ष को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। देखिए प्रमाण: चलो माना, नेहरू की कांग्रेस को तोड़ने की धमकी के डर से महात्मा गाँधी ने नेहरू को प्रधानमन्त्री बना दिया,ठीक है, लेकिन जम्मू-कश्मीर का शेख अब्दुल्ला को प्रधानमंत्री क्यों बनने दिया? क्या कभी किसी देश में दो प्रधानमंत्री हुए हैं? फिर आप भारत के किसी भी भाग में जब चाहो जा सकते हो, लेकिन यदि आप जम्मू-कश्मीर जाना चाहो तो पहले परमिट लो, अन्यथा बिना परमिट के जाने पर कानूनी कार्यवाही होगी। यह तत्कालीन भारतीय जनसंघ, वर्तमान भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुख़र्जी का बलिदान है कि आज समस्त भारत का मात्र एक ही प्रधानमंत्री होता है और जम्मू-कश्मीर से बाहर रहने वाले जब चाहे बिना किसी परमिट के जम्मू-कश्मीर घूमने चले जाते हैं। लेकिन जम्मू-कश्मीर से प्रधानमंत्री पद समाप्त होने पर, दुष्प्रचार किया गया कि तत्कालीन जनसंघ यानि आज की भाजपा मुसलमानों की दुश्मन है। जो कांग्रेस की दुर्दशा 2014 से नरेन्द्र मोदी ने की है, डॉ मुखर्जी की जेल में असमय मृत्यु होने पर तत्कालीन जनसंघ नेता कर सकते थे, लेकिन किसी ने डॉ मुख़र्जी की रहस्यमय मृत्यु को उछालने का साहस नहीं किया।
वास्तविक इतिहास सामने लाइए, अपने आप दूध का दूध, पानी का पानी हो जायेगा। अपने आप जितने भी मिनी पाकिस्तान और पाकिस्तान समर्थक हैं, भारत माता की जयघोष का नारा लगाते हुए, पाकिस्तान का दुनियाँ के नक़्शे से नाम मिटा देंगे।
इस सन्दर्भ में निम्न लेख का अवलोकन करिये:--·
और दूसरी सभा जामा मस्जिद में बंटवारे के समय मौलाना आज़ाद ने की थी। पाकिस्तान जाते मुसलमानों को रोकने के लिए आज़ाद ने था कि पाकिस्तान में तुम्हारे कई दुश्मन होंगे, जबकि भारत में तुम्हारा सिर्फ एक दुश्मन है। इसलिए पाकिस्तान जाने की बजाए भारत में ही रहो।
अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय में जिन्ना के चित्र पर जो विवाद चल रहा है, उसकी दोषी कांग्रेस ही है, क्योंकि कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने वामपंथियों से गुप्त समझौता कर भारत के वास्तविक इतिहास को ही धूमिल कर दिया।
पिताश्री एम.बी.एल.निगम |
लेकिन जिन्ना की भारत भक्ति को नकारा नहीं जा सकता। जिन्ना ने महात्मा गाँधी को स्पष्ट शब्दों में नेक सलाह दी थी कि "पाकिस्तान जाते मुसलमान का नारा है 'हँस के लिया पाकिस्तान, लड़कर लेंगे हिन्दुस्तान', भारत के एक और बंटवारे से बचाने के लिए मुस्लिम लीग को हिंदुस्तान में हमेशा के लिए बैन कर दो।" जिन्ना की बात न महात्मा गाँधी ने मानी और न ही नेहरू ने। नेहरू ने मुस्लिम लीग को उस समय केवल केरल तक ही सीमित रखा, लेकिन इंदिरा गाँधी ने प्रधानमन्त्री बनने के कुछ समय उपरान्त मुस्लिम लीग को केरल से बाहर ले आयी। देश के वास्तविक इतिहास से अज्ञान होने के ही कारण हिन्दू-मुसलमान आज तक लड़ते रहते हैं और नेता इनकी लड़ाई की आग पर मालपुए पका कर खाते रहे हैं, बल्कि आज भी खा ही रहे हैं। इतना विश्वास है, जिस दिन देश की जनता को वास्तविकता से शिक्षित करवा दिया जाएगा, यही हिन्दू और मुस्लिम एक दूसरे पर जान न्यौछावर करने को तैयार रहेंगे, लेकिन तुष्टिकरण पुजारी नेता ऐसा नहीं होने देंगे।
प्रत्यक्ष को किसी प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती। देखिए प्रमाण: चलो माना, नेहरू की कांग्रेस को तोड़ने की धमकी के डर से महात्मा गाँधी ने नेहरू को प्रधानमन्त्री बना दिया,ठीक है, लेकिन जम्मू-कश्मीर का शेख अब्दुल्ला को प्रधानमंत्री क्यों बनने दिया? क्या कभी किसी देश में दो प्रधानमंत्री हुए हैं? फिर आप भारत के किसी भी भाग में जब चाहो जा सकते हो, लेकिन यदि आप जम्मू-कश्मीर जाना चाहो तो पहले परमिट लो, अन्यथा बिना परमिट के जाने पर कानूनी कार्यवाही होगी। यह तत्कालीन भारतीय जनसंघ, वर्तमान भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुख़र्जी का बलिदान है कि आज समस्त भारत का मात्र एक ही प्रधानमंत्री होता है और जम्मू-कश्मीर से बाहर रहने वाले जब चाहे बिना किसी परमिट के जम्मू-कश्मीर घूमने चले जाते हैं। लेकिन जम्मू-कश्मीर से प्रधानमंत्री पद समाप्त होने पर, दुष्प्रचार किया गया कि तत्कालीन जनसंघ यानि आज की भाजपा मुसलमानों की दुश्मन है। जो कांग्रेस की दुर्दशा 2014 से नरेन्द्र मोदी ने की है, डॉ मुखर्जी की जेल में असमय मृत्यु होने पर तत्कालीन जनसंघ नेता कर सकते थे, लेकिन किसी ने डॉ मुख़र्जी की रहस्यमय मृत्यु को उछालने का साहस नहीं किया।
वास्तविक इतिहास सामने लाइए, अपने आप दूध का दूध, पानी का पानी हो जायेगा। अपने आप जितने भी मिनी पाकिस्तान और पाकिस्तान समर्थक हैं, भारत माता की जयघोष का नारा लगाते हुए, पाकिस्तान का दुनियाँ के नक़्शे से नाम मिटा देंगे।
इस सन्दर्भ में निम्न लेख का अवलोकन करिये:--·
और दूसरी सभा जामा मस्जिद में बंटवारे के समय मौलाना आज़ाद ने की थी। पाकिस्तान जाते मुसलमानों को रोकने के लिए आज़ाद ने था कि पाकिस्तान में तुम्हारे कई दुश्मन होंगे, जबकि भारत में तुम्हारा सिर्फ एक दुश्मन है। इसलिए पाकिस्तान जाने की बजाए भारत में ही रहो।
हिन्दुओ के खिलाफ नफरत फ़ैलाने वालो को पाकिस्तानी कोर्ट का बार कौंसिल दे रहा अवार्ड
जिस तरह गुजरात दंगे-2002 में तत्कालीन मुख्यमन्त्री वर्तमान में भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को आरोपित सिद्ध करने में समस्त मोदी विरोधी लामबंध होकर, गवाहों को खरीदने में पानी की तरह धन का दुरूपयोग कर, किसी छोटे से मकान में रहकर बड़ी कठिनाई से अपना जीवन-निर्वाह कर रहे थे, उन्हें मालामाल किया जा रहा था, लेकिन झूठे गवाह आखिर झूठे ही होते हैं। ठीक गोधरा तर्ज़ पर कठुवा मामले में मीडिया, वामपंथी, सेक्युलर, जिहादी सभी के सभी बेनकाब हो चुके है, बच्ची का कोई रेप हुआ ही नहीं, उसका किसी ने कभी कोई रेप नहीं किया, और बच्ची की हत्या किसी और ने की मारकर मंदिर के पास फेंक दिया और सेकुलरों वामपंथियों और जिहादियों ने मिलाकर मंदिर और हिन्दुओ को बदनाम किया, मीडिया बॉलीवुड बुद्धिजीवी JNU गैंग सभी मिलकर हिन्दुओ के खिलाफ कैंपेन चलाने लगे।
जिस तरह गुजरात दंगे-2002 में तत्कालीन मुख्यमन्त्री वर्तमान में भारत के प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी को आरोपित सिद्ध करने में समस्त मोदी विरोधी लामबंध होकर, गवाहों को खरीदने में पानी की तरह धन का दुरूपयोग कर, किसी छोटे से मकान में रहकर बड़ी कठिनाई से अपना जीवन-निर्वाह कर रहे थे, उन्हें मालामाल किया जा रहा था, लेकिन झूठे गवाह आखिर झूठे ही होते हैं। ठीक गोधरा तर्ज़ पर कठुवा मामले में मीडिया, वामपंथी, सेक्युलर, जिहादी सभी के सभी बेनकाब हो चुके है, बच्ची का कोई रेप हुआ ही नहीं, उसका किसी ने कभी कोई रेप नहीं किया, और बच्ची की हत्या किसी और ने की मारकर मंदिर के पास फेंक दिया और सेकुलरों वामपंथियों और जिहादियों ने मिलाकर मंदिर और हिन्दुओ को बदनाम किया, मीडिया बॉलीवुड बुद्धिजीवी JNU गैंग सभी मिलकर हिन्दुओ के खिलाफ कैंपेन चलाने लगे।
कठुवा मामले में एक वकील जिसका नाम दीपिका राजावत है, वो हिन्दुओ के खिलाफ खूब एक्टिव रही, पहले आपको बता दें की दिल्ली में रोहिंग्यों के लिए कैंपेन चलाने वाली इंदिरा जयसिंह नाम की एक वामपंथी महिला है, उसी के साथ ये दीपिका राजावत काम करती है, साथ ही ये JNU की अफज़ल गैंग की एक्टिव मेम्बर भी है, और इस गैंग ने कठुवा की बच्ची के नाम पर 40 लाख रुपए से ज्यादा जुटाए, और डकार गए
अब इस दीपिका राजावत से पाकिस्तान और वहां की कोर्ट और वहां का बार कौंसिल बहुत खुश है, और हिन्दुओ और भारत के खिलाफ कठुवा के मामले पर जो नफरत पूरी दुनिया में फैलाया गया, उसके लिए पाकिस्तान की कोर्ट के बार कौंसिल ने अफज़ल गैंग की दीपिका राजावत को इनाम भी दिया है, और मैडम को अवार्ड दे दिया गया है
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में एक सुप्रीम कोर्ट भी है, जो की पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मीरपुर में है, उसके बार कौंसिल में दीपिका राजावत को मेम्बरशिप दे दिया है, ये अवार्ड है जो की पाकिस्तान की कोर्ट की बार कौंसिल ने भारत और हिन्दुओ के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए दीपिका राजावत को दिया है
आप हिन्दुओ और भारत के खिलाफ एजेंडा चलाइए पाकिस्तान आपको इसी तरह अवार्ड देगा, और अफज़ल गैंग की दीपिका राजावत को भी पाकिस्तान ने खुश होकर इनाम दे दिया है
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