महबूबा मुफ्ती की बेटियां इर्तिका और इल्तिजा |
कौन हैं महबूबा मुफ्ती
मुफ्ती मोहम्मद की सबसे बड़ी बेटी महबूबा मुफ्ती हैं. उनकी छोटी बहन चेन्नई में रहती हैं. भाई मुंबई में रहता है. महबूबा मुफ्ती का तलाक हो चुका है. महबूबा मुफ्ती ने 2016 में राज्य की पहली महिला सीएम बनकर न सिर्फ इतिहास रचा है बल्कि वह एक कदावर शख्सियत के रूप में भी सामने आईं. मुस्लिम बहुल राज्य में उन्होंने खुद को एक बेहतरीन और सशक्त राजनेता के तौर पर साबित किया और हमेशा अपने पिता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर राजनीति में सक्रिय रहीं. 56 वर्षीय महबूबा का जन्म 22 मई 1959 को नोपाड़ा में हुआ. उन्होंने कश्मीर यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री भी हासिल की.
अवलोकन करें:--
महबूबा मुफ्ती को सियासत विरासत में मिली है. उनके पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद का देश की राजनीति में अहम योगदान रहा और वी पी सिंह की सरकार में मुफ्ती देश के होम मिनिस्टर भी रहे. महबूबा ने पहली बार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा और पिता और पुत्री ने वर्ष 1999 में मिलकर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी बनाई. महबूबा ने बतौर सांसद अपना पहला चुनाव वर्ष 2004 में जीता. महबूबा की दो बहने और एक भाई हैं.
बहन का हो गया था अपहरण
उनकी बहन रूबिया सईद का आतंकियों ने अपहरण कर लिया था, जिसे छुड़ाने के लिए सरकार को पांच खूंखार आतंकियों को रिहा करना पड़ा था. इसे मुफ्ती मोहम्मद सईद के राजनीतिक केरियर का काला पन्ना कहा जाता है। यह अपहरण काफी विवादित रहा था। सईद उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप की सरकार में गृह मंत्री थे। वाजपेयी सरकार द्वारा कंधार कांड की हर कोई माला जपता रहता है, लेकिन इस कथित अपहरण कांड पर सबको साँप सुंघा हुआ है, कोई नाम तक नहीं लेता। रूबिया सईद आजकल चेन्नई के एक अस्पताल में डाक्टर हैं.
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How Mufti Mohammed Sayeed's daughter Rubaiya leads a quiet life in Chennai
CHENNAI: An air of secrecy shrouds the posh neighbourhood of Tarapore avenue off Harrington Road in Chetpet. Mufti Mohammed Sayeed’s daughter Rubaiya Sayeed, who was kidnapped by Kashmiri militants in 1989, has been leading a low-profile life with her family in an apartment here, provided round-the-clock protection by five personnel of the Tamil Nadu’s police’s special armed force unit.
Almost everybody in the area, including security guards, auto drivers and proprietors of grocery stores, know the exact location of her home.
Neighbours, who interact with her regularly, are wary of sharing details, but say the family is friendly. The security personnel are also guarded, pointing out that even regulars like milkmen and washermen aren’t allowed beyond a point. They seem wary of the threat lurking over their neighbour whose abduction had made international news as India had to set free five terrorists in exchange for her release.
Rubaiya has been with her father ever since he was admitted to Delhi’s AIIMS hospital. Her husband Sharif Ahmed, who runs an automobile showroom in Velachery, returned to Chennai on Thursday morning. “However at the airport, he was informed of Sayeed’s death and he flew back to Delhi on another flight,” said a policeman on guard.
The security guard says the late Mufti had never visited this home. In passing, he also points out that film producer G Venkateswaran, brother of director Mani Ratnam, allegedly committed suicide in the same apartment complex.
But the guard remains tight-lipped about Rubaiya though he does reveal that she has two sons and has been living here for at least 10 years.
Almost everybody in the area, including security guards, auto drivers and proprietors of grocery stores, know the exact location of her home.
Neighbours, who interact with her regularly, are wary of sharing details, but say the family is friendly. The security personnel are also guarded, pointing out that even regulars like milkmen and washermen aren’t allowed beyond a point. They seem wary of the threat lurking over their neighbour whose abduction had made international news as India had to set free five terrorists in exchange for her release.
Rubaiya has been with her father ever since he was admitted to Delhi’s AIIMS hospital. Her husband Sharif Ahmed, who runs an automobile showroom in Velachery, returned to Chennai on Thursday morning. “However at the airport, he was informed of Sayeed’s death and he flew back to Delhi on another flight,” said a policeman on guard.
TOP COMMENT
OH I KNOW THAT TIME MUFTI WAS HOME MINISTER OF INDIA AND HE HIMSELF PRESSURISE CABINET OF INDIAN GOVERNMENT TO RELEASE THOSE 5 HARD CORE TERRORISTS TO RELEASE HIS DAUGHTER AND THAT WAS A HIGH LEVEL DRAMA AND A WELL PLOTTED CASE BY MUFTI.The security guard says the late Mufti had never visited this home. In passing, he also points out that film producer G Venkateswaran, brother of director Mani Ratnam, allegedly committed suicide in the same apartment complex.
But the guard remains tight-lipped about Rubaiya though he does reveal that she has two sons and has been living here for at least 10 years.
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...And the National Conference Legislature Party, which condemned the abduction on the first day, later remained silent on the issue, apparently because of threats from militants. Srinagar, in fact, seemed completely in the grip of fear.
Large crowds raised anti-India slogans, sang and danced in the streets after the militants were released. One slogan: Jo kare khuda ka khauf, Utha le Kalashnikov. (All Godfearing men should pick up a Kalashnikov.) As rumours ran rife, the city was overrun by paramilitary forces...../www.indiatoday.in/magazine/special-report/story/19891231-kashmiri-militants-releases-rubaiya-daughter-of-union-home-minister-mufti-mohammed-sa
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चिनार की वादी हो गई खून से लाल
इस दौरान घाटी में आतंकी हमलों की जैसे बाढ़ आ गई है। एक के बाद एक होते आतंकी हमलों से घाटी सहम सी गई है। आठ दिसंबर 1989 को उस समय के गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी डॉक्टर रुबया सईद के अपहरण के बाद घाटी का नजारा मानों बदल सा गया। बर्फ से ढंकी और चिनार से सजी घाटी की वादियां देखते ही देखते खून से लाल होने लगी। निर्दोष जानें गईं और सुरक्षाबलों ने भी अपने बहादुरों को खोया।
क्या हुआ था 8 दिसंबर 1989 को
2 दिसंबर 1989 को केंद्र में वीपी सिंह की सरकार बनी और उसमें मुफ्ती मोहम्मद सईद को गृहमंत्रालय सौंपा गया। पाकिस्तान से आने वाले आतंकियों ने यूं तो 1988 से ही हरकतें तेज कर दी थीं। पड़ोसी मुल्क ने कश्मीर के रहने वाले लोगों को बहलाना, फुसलाना शुरू किया और उनका ब्रेनवॉश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
आज जो यासीन मलिक जेकेएलएफ के नेता बनकर लश्कर-ए-तैयबा के चीफ हाफिज सईद से मिलने पाकिस्तान तक पहुंच जाता है, उसी जेकेएलएफ ने एक ऐसी साजिश को अंजाम दे डाला, जिसके बारे में कभी सोचा नहीं गया था।
सईद की बेटी रुबया की उम्र उस समय 23 वर्ष की थी और वह एक मेडिकल की स्टूडेंट थीं और लाल देद मेमोरियल वुमेंस हॉस्पिटल में इंटर्न कर रही थीं। आठ दिसंबर 1989 को रुबया नौगाम स्थित हास्टिपल की बस से अपने घर वापस लौट रही थीं। उनके घर से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर आतंकियों ने उनका अपहरण कर लिया। एक मारुति वैन में उन्हें लेकर आतंकी फरार हो गए।
कश्मीर टाइम्स को किया गया फोन
जेकेएलएफ के प्रतिनिधियों की ओर से कश्मीर के मशहूर लोकल न्यूजपेपर कश्मीर टाइम्स को शाम करीब 5:30 बजे फोन कर जानकारी दी गई कि एक ग्रुप मुजाहिद्दीन ने डॉक्टर रुबया सईद का अपहरण कर लिया है।
जब तक सरकार जेकेएलफए के एरिया कमांडर शेख अब्दुल हमीद, गुलाम नबी बट, नूर मुहम्मद कलवाल, मुहम्मद अल्ताफ और जावेद अहमद जरगार को रिहा नहीं करेगी, तब तक उसे छोड़ा नहीं जाएगा।
न्यूजपेपर के एडीटर मुहम्मद सोफी ने गृहमंत्री को फोन किया और फिर केंद सरकार को इस बात की इत्तिला हुई। मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला लंदन में छुट्टियां मना रहे थे तुरंत भारत लौटे। आईबी के वरिष्ट अधिकारी के साथ ही नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स के डायरेक्टर जनरल वेद मारवाह श्रीनगर पहुंचे।
कश्मीर टाइम्स के जफर मेराज के जरिए आतंकियों के साथ समझौते की बात शुरू हुई। लेकिन जब बात बनती नजर नहीं आई तो इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज मोती लाल भट्ट को इसमें शामिल किया गया। वह मुफ्ती मोहम्मद सईद के दोस्त थे और उन्होंने आतंकवादियों के साथ सीधा संवाद शुरू किया। नाकाम रही वीपी सरकार 13 दिसंबर 1989 को दो कैबिनेट मंत्री आईके गुजराल और आरिफ मोहम्मद खान श्रीनगर पहुंचे। फारुख अब्दुल्ला आतंकियों की हरािई के सख्त खिलाफ थे। वह मानते थे कि अगर सरकार ने आतंकियों को छोड़ा तो घाटी में इस तरह की वारदातों के जरिए आतंकी अपनी मांग मनवाने लगेंगे और नतीजे काफी भयानक हो सकते हैं। वीपी सिंह कोई भी कड़ा फैसला नहीं ले सके और शाम सात बजे रुबया को छोड़ दिया गया। उनकी रिहाई जेल में बंद पांच आतंकियों की रिहाई के दो घंटे बाद ही हो गई थी। फारुख अब्दुल्ला के साथ ही आज कई लोग इस बात को मानते हैं कि उस समय सरकार जिस तरह से आतंकियों के आगे झुकी उसका नतीजा आज तक घाटी और देश भुगत रहा है। रुबया के किडनैपिंग की खबर को न्यूयॉर्क टाइम्स से लेकर कई प्रमुखों अखबारों ने अपनी सुर्खियां बनाया था।
इस दौरान घाटी में आतंकी हमलों की जैसे बाढ़ आ गई है। एक के बाद एक होते आतंकी हमलों से घाटी सहम सी गई है। आठ दिसंबर 1989 को उस समय के गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी डॉक्टर रुबया सईद के अपहरण के बाद घाटी का नजारा मानों बदल सा गया। बर्फ से ढंकी और चिनार से सजी घाटी की वादियां देखते ही देखते खून से लाल होने लगी। निर्दोष जानें गईं और सुरक्षाबलों ने भी अपने बहादुरों को खोया।
क्या हुआ था 8 दिसंबर 1989 को
2 दिसंबर 1989 को केंद्र में वीपी सिंह की सरकार बनी और उसमें मुफ्ती मोहम्मद सईद को गृहमंत्रालय सौंपा गया। पाकिस्तान से आने वाले आतंकियों ने यूं तो 1988 से ही हरकतें तेज कर दी थीं। पड़ोसी मुल्क ने कश्मीर के रहने वाले लोगों को बहलाना, फुसलाना शुरू किया और उनका ब्रेनवॉश करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
आज जो यासीन मलिक जेकेएलएफ के नेता बनकर लश्कर-ए-तैयबा के चीफ हाफिज सईद से मिलने पाकिस्तान तक पहुंच जाता है, उसी जेकेएलएफ ने एक ऐसी साजिश को अंजाम दे डाला, जिसके बारे में कभी सोचा नहीं गया था।
सईद की बेटी रुबया की उम्र उस समय 23 वर्ष की थी और वह एक मेडिकल की स्टूडेंट थीं और लाल देद मेमोरियल वुमेंस हॉस्पिटल में इंटर्न कर रही थीं। आठ दिसंबर 1989 को रुबया नौगाम स्थित हास्टिपल की बस से अपने घर वापस लौट रही थीं। उनके घर से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर आतंकियों ने उनका अपहरण कर लिया। एक मारुति वैन में उन्हें लेकर आतंकी फरार हो गए।
कश्मीर टाइम्स को किया गया फोन
जेकेएलएफ के प्रतिनिधियों की ओर से कश्मीर के मशहूर लोकल न्यूजपेपर कश्मीर टाइम्स को शाम करीब 5:30 बजे फोन कर जानकारी दी गई कि एक ग्रुप मुजाहिद्दीन ने डॉक्टर रुबया सईद का अपहरण कर लिया है।
जब तक सरकार जेकेएलफए के एरिया कमांडर शेख अब्दुल हमीद, गुलाम नबी बट, नूर मुहम्मद कलवाल, मुहम्मद अल्ताफ और जावेद अहमद जरगार को रिहा नहीं करेगी, तब तक उसे छोड़ा नहीं जाएगा।
न्यूजपेपर के एडीटर मुहम्मद सोफी ने गृहमंत्री को फोन किया और फिर केंद सरकार को इस बात की इत्तिला हुई। मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला लंदन में छुट्टियां मना रहे थे तुरंत भारत लौटे। आईबी के वरिष्ट अधिकारी के साथ ही नेशनल सिक्योरिटी गार्ड्स के डायरेक्टर जनरल वेद मारवाह श्रीनगर पहुंचे।
कश्मीर टाइम्स के जफर मेराज के जरिए आतंकियों के साथ समझौते की बात शुरू हुई। लेकिन जब बात बनती नजर नहीं आई तो इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज मोती लाल भट्ट को इसमें शामिल किया गया। वह मुफ्ती मोहम्मद सईद के दोस्त थे और उन्होंने आतंकवादियों के साथ सीधा संवाद शुरू किया। नाकाम रही वीपी सरकार 13 दिसंबर 1989 को दो कैबिनेट मंत्री आईके गुजराल और आरिफ मोहम्मद खान श्रीनगर पहुंचे। फारुख अब्दुल्ला आतंकियों की हरािई के सख्त खिलाफ थे। वह मानते थे कि अगर सरकार ने आतंकियों को छोड़ा तो घाटी में इस तरह की वारदातों के जरिए आतंकी अपनी मांग मनवाने लगेंगे और नतीजे काफी भयानक हो सकते हैं। वीपी सिंह कोई भी कड़ा फैसला नहीं ले सके और शाम सात बजे रुबया को छोड़ दिया गया। उनकी रिहाई जेल में बंद पांच आतंकियों की रिहाई के दो घंटे बाद ही हो गई थी। फारुख अब्दुल्ला के साथ ही आज कई लोग इस बात को मानते हैं कि उस समय सरकार जिस तरह से आतंकियों के आगे झुकी उसका नतीजा आज तक घाटी और देश भुगत रहा है। रुबया के किडनैपिंग की खबर को न्यूयॉर्क टाइम्स से लेकर कई प्रमुखों अखबारों ने अपनी सुर्खियां बनाया था।
आतंकवाद का नया दौर
इस अपहरण कांड के बाद 1990 से लेकर 1998 तक घाटी ने चरमपंथ और आतंकवाद का एक नया दौर देखा। यूनाइटेड नेशंस की वर्ष 2011 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक दो दशकों में घाटी में 43,460 लोगों की हत्या हुई। इनमें से 21,323 आतंकी मारे गए। 13,226 लोगों की हत्या आतंकियों के द्वारा हुई 3,642 नागरिक सुरक्षा बलों की कार्रवाई में मारे गए 5,369 सुरक्षा बलों और पुलिस के जवान आतंकियों की कार्रवाई में शहीद हुए।
इस अपहरण कांड के बाद 1990 से लेकर 1998 तक घाटी ने चरमपंथ और आतंकवाद का एक नया दौर देखा। यूनाइटेड नेशंस की वर्ष 2011 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक दो दशकों में घाटी में 43,460 लोगों की हत्या हुई। इनमें से 21,323 आतंकी मारे गए। 13,226 लोगों की हत्या आतंकियों के द्वारा हुई 3,642 नागरिक सुरक्षा बलों की कार्रवाई में मारे गए 5,369 सुरक्षा बलों और पुलिस के जवान आतंकियों की कार्रवाई में शहीद हुए।
महबूबा का हो चुका है तलाक
मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का अपने पति से तलाक हो चुका है.महबूबा ने 1984 में जावेद इक्बाल से शादी की थी और उनसे उनकी दो बेटियां भी हैं. उनकी दोनों बेटियां महबूबा के साथ रहती हैं. बड़ी बेटी इल्तिजा लंदन में भारतीय उच्च आयोग में सीनियर अधिकारी हैं जबकि छोटी बेटी अपने मामा के साथ मायानगरी मुम्बई में रहती हैं और फिल्मों में करियर बनाना चाहती हैं. महबूबा को चरमपंथियों का हितैषी भी कहा जाता है
एक बेटी लंदन में अफसर, दूसरी बॉलीवुड में स्ट्रगलर
महबूबा की बड़ी बेटी का नाम इर्तिका और छोटी का इल्तिजा है. इर्तिका लंदन में भारतीय हाई कमिश्नर में सीनियर एडमिनिस्ट्रेटिव अफसर हैं. उन्होंने यहीं रहकर इंटरनेशनल रिलेशन्स में मास्टर्स किया. इल्तिजा एक राइटर और एनालिस्ट भी हैं. छोटी बेटी इल्तिजा अपने मामा तसादुक मुफ्ती के पास मुंबई में रहती हैं. उनके मामा एक सिनेमैटोग्राफर हैं. इल्तिजा भी उन्हें के नक्शेकदम पर चल रहीं हैं. वे फिल्म इंडस्ट्री में राइटर के रूप में अपना करियर बनाना चाहती हैं.
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