आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
जम्मू कश्मीर में बीजेपी ने पीडीपी से गठबंधन तोड़ दिया है. इसके साथ ही यहां महबूबा मुफ्ती की सरकार गिर गई है. इस गठबंधन के टूटने के साथ ही राजनीतिक गलियारे में चर्चा शुरू हो गई है कि क्या बीजेपी ने यह गठबंधन तोड़कर जम्मू कश्मीर में कांग्रेस के लिए राह खोल दी है. दरअसल, बीजेपी साल 2014 में सत्ता में आने के बाद से लगातार कह रही है कि वह कांग्रेस मुक्त भारत देखना चाहती है. वहीं कांग्रेस किसी भी सूरत में देश में अपना अस्तित्व को बचाए रखने की कोशिश में जुटी है. इसी बीच कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने बयान देते हुए कहा, गुनाह बीजेपी ने किए और इल्जाम पीडीपी पर लगाए.
अवलोकन करें:--
गुलाम नबी आजाद ने अपने बयान में कहा, 'बीजेपी और पीडीपी ने जम्मू कश्मीर को बर्बाद कर दिया है. बीजेपी जहां भी जाती है वहां आग लग जाती है. दोनों की गठबंधन की सरकार में जम्मू कश्मीर का विकास रुक गया. 3 साल की बीजेपी और पीडीपी की सरकार में जम्मू कश्मीर में सबसे ज्यादा जवान शहीद हुए हैं. बीजेपी और पीडीपी दोनों को ही सरकार चलाने का अनुभव नहीं था और जम्मू कश्मीर में अब जो हुआ वो बिलकुल ठीक हुआ'.
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आखिर क्यों टूटा गठबन्धन?
जम्मू कश्मीर में बीजेपी और PDP का गठबंधन टूट गया है। कश्मीर में पहली बार जम्मू और कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी में गठबंधन हुआ था। पीडीपी की स्थापना 1999 में मुफ्ती मोहम्मद सईद ने की थी। सईद ने मुख्यमंत्री पद की शपध लेने के बाद PDP-BJP गठबंधन को 'उत्तर और दक्षिण ध्रुव का मिलन' बताया था। उनके निधन के बाद उनकी बेटी मेहबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री बनी थी।
जम्मू कश्मीर में दिसंबर 2014 में चुनाव हुए थे। पीडीपी को चुनाव में 28 सीटें, बीजेपी को 25 सीटें, नेशनल क्रॉन्फ्रेंस को 15 और कांग्रेस को 12 सीटें मिली थी। दोनों ही पार्टियों के बीच शुरू से संबंध ठीक नहीं थे। PDP का इससे पहले 2002 से 2008 के बीच कांग्रेस के साथ भी गठबंधन था। 2008 के चुनाव के बाद कांग्रेस ने पीडीपी का साथ छोड़ दिया और वो नेशनल क्रॉन्फ्रेंस के साथ चली गई। इस गठबंधन के बाद उमर अब्दुला मुख्यमंत्री बने।
जुलाई 2016 में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद हिंसा में 146 लोग मारे गए थे और 9000 लोग घायल हुए थे। 2017 में 212 आतंकवादियों को जम्मू और कश्मीर में मारा गया। ये 7 साल में सबसे ज्यादा थे। इससे स्थानीय लोगों में गुस्सा बढ़ा। बॉर्डर पर सीजफायर पूरी तरह खत्म हो चुका था। केंद्र और राज्य एक दूसरे के पर आरोप लगा रहे थे। PDP-BJP गठबंधन को 24 फरवरी को 3 साल पूरे हुए थे। इसी समय दोनों के बीच दरारें दिखने लगी थी। मुफ़्ती किसी भी कीमत पर अपने वोट बैंक को बचाने के लिए बेचैन हो रही थी, जबकि भाजपा कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त करना चाहती है। आतंकवादी और आतंकवादी संरक्षक ही गैर-भाजपाइयों का वोट बैंक है।
महबूबा मुफ्ती पाकिस्तान के साथ बातचीत पर जोर दे रही थी। दूसरी तरफ पाकिस्तान लगातार सीजफायर तोड़ रहा था। कठुआ रेप केस पर मेहबूबा के बयान ने भी सांप्रदायिक रंग ले लिया था। जनवरी 2017 में शोंपिया में 3 नागरिकों को मारे जाने पर जम्मू कश्मीर की पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। इससे भी दोनों पार्टियों के बीच तनाव बढ़ा। रमजान के दौरान पाकिस्तान की तरफ से लगातार हमले जारी रहे। आतंकवादी गतिविधियां बढ़ रही थी। हाल ही में जम्मू और कश्मीर में एक बड़े पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या हुई। इन सब घटनाओं के चलते आखिर BJP ने PDP के साथ गठबंधन तोड़ दिया।
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आजाद ने कहा, 'क्षेत्रीय पार्टियों को आपस में गठबंधन के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए था. 'कांग्रेस नेता ने कहा कि इस गठबंधन ने राज्य को आर्थिक और सामाजिक रूप से तबाह कर दिया और जम्मू-कश्मीर को बदहाली की स्थिति में छोड़ दिया.
जम्मू कश्मीर में बीजेपी ने पीडीपी से गठबंधन तोड़ दिया है. इसके साथ ही यहां महबूबा मुफ्ती की सरकार गिर गई है. इस गठबंधन के टूटने के साथ ही राजनीतिक गलियारे में चर्चा शुरू हो गई है कि क्या बीजेपी ने यह गठबंधन तोड़कर जम्मू कश्मीर में कांग्रेस के लिए राह खोल दी है. दरअसल, बीजेपी साल 2014 में सत्ता में आने के बाद से लगातार कह रही है कि वह कांग्रेस मुक्त भारत देखना चाहती है. वहीं कांग्रेस किसी भी सूरत में देश में अपना अस्तित्व को बचाए रखने की कोशिश में जुटी है. इसी बीच कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने बयान देते हुए कहा, गुनाह बीजेपी ने किए और इल्जाम पीडीपी पर लगाए.
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आखिर क्यों टूटा गठबन्धन?
जम्मू कश्मीर में बीजेपी और PDP का गठबंधन टूट गया है। कश्मीर में पहली बार जम्मू और कश्मीर में पीडीपी और बीजेपी में गठबंधन हुआ था। पीडीपी की स्थापना 1999 में मुफ्ती मोहम्मद सईद ने की थी। सईद ने मुख्यमंत्री पद की शपध लेने के बाद PDP-BJP गठबंधन को 'उत्तर और दक्षिण ध्रुव का मिलन' बताया था। उनके निधन के बाद उनकी बेटी मेहबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री बनी थी।
जम्मू कश्मीर में दिसंबर 2014 में चुनाव हुए थे। पीडीपी को चुनाव में 28 सीटें, बीजेपी को 25 सीटें, नेशनल क्रॉन्फ्रेंस को 15 और कांग्रेस को 12 सीटें मिली थी। दोनों ही पार्टियों के बीच शुरू से संबंध ठीक नहीं थे। PDP का इससे पहले 2002 से 2008 के बीच कांग्रेस के साथ भी गठबंधन था। 2008 के चुनाव के बाद कांग्रेस ने पीडीपी का साथ छोड़ दिया और वो नेशनल क्रॉन्फ्रेंस के साथ चली गई। इस गठबंधन के बाद उमर अब्दुला मुख्यमंत्री बने।
जुलाई 2016 में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद हिंसा में 146 लोग मारे गए थे और 9000 लोग घायल हुए थे। 2017 में 212 आतंकवादियों को जम्मू और कश्मीर में मारा गया। ये 7 साल में सबसे ज्यादा थे। इससे स्थानीय लोगों में गुस्सा बढ़ा। बॉर्डर पर सीजफायर पूरी तरह खत्म हो चुका था। केंद्र और राज्य एक दूसरे के पर आरोप लगा रहे थे। PDP-BJP गठबंधन को 24 फरवरी को 3 साल पूरे हुए थे। इसी समय दोनों के बीच दरारें दिखने लगी थी। मुफ़्ती किसी भी कीमत पर अपने वोट बैंक को बचाने के लिए बेचैन हो रही थी, जबकि भाजपा कश्मीर को आतंकवाद से मुक्त करना चाहती है। आतंकवादी और आतंकवादी संरक्षक ही गैर-भाजपाइयों का वोट बैंक है।
महबूबा मुफ्ती पाकिस्तान के साथ बातचीत पर जोर दे रही थी। दूसरी तरफ पाकिस्तान लगातार सीजफायर तोड़ रहा था। कठुआ रेप केस पर मेहबूबा के बयान ने भी सांप्रदायिक रंग ले लिया था। जनवरी 2017 में शोंपिया में 3 नागरिकों को मारे जाने पर जम्मू कश्मीर की पुलिस ने एफआईआर दर्ज की। इससे भी दोनों पार्टियों के बीच तनाव बढ़ा। रमजान के दौरान पाकिस्तान की तरफ से लगातार हमले जारी रहे। आतंकवादी गतिविधियां बढ़ रही थी। हाल ही में जम्मू और कश्मीर में एक बड़े पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या हुई। इन सब घटनाओं के चलते आखिर BJP ने PDP के साथ गठबंधन तोड़ दिया।
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Whatever has happened is good. People of J&K will get some relief. They (BJP) ruined Kashmir & have now pulled out, maximum number of civilian & army men died during these 3 years. That question does not arise (on forming alliance with PDP): GN Azad, Congress
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