कहते हैं कि "बोया पेड़ बाबुल का, आम कहाँ से होए", ब्रिटेन ने जिस तरह अपने 350 वर्ष के शासन में भारत को नुकसान पहुँचाया, यहाँ का इतिहास, संस्कृति, भूगोल आदि को परिवर्तित किया, जिस कारण आज तक भारतीय अपने वास्तविक इतिहास से शिक्षित होते हुए भी अशिक्षित हैं। जो तुष्टिकरण का बीज भारत में बोया था, ब्रिटेन आज उसी आग में दफ़न होने के कगार पर हैं।
जिस प्रकार आज ब्रिटेन इस्लामीकरण की जकड में आ चुका है, भारत के छद्दम धर्म-निरपेक्ष नेता और उनके समर्थकों को शिक्षा लेनी चाहिए। इन्ही जैसे जयचन्दों के कारण मुग़ल राज भारत में स्थापित हो पाया था, परन्तु इन जयचन्दों की बजाए मुगलों का नाम ज्यादा है।
आजकल सोनी एंटरटेनमेंट पर धारावाहिक "पोरस" का प्रसारण हो रहा है, जिसमे वास्तविक इतिहास को दोहराया जा रहा है, कि किस तरह हिन्दू सम्राट पोरस सिकन्दर को कदम-कदम पर मात दे रहा है। लेकिन हम भारतीयों को पढ़ाया जाता है "विश्व विजेता सिकन्दर", भारत से मार खाने वाला सिकन्दर विश्व विजेता कहाँ से हो गया? और सिकन्दर से कहीं महान एवं पराक्रमी पोरस का केवल संक्षेप में पढ़ाया जाता है। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस और वामपंथी इतिहासकारों को खरीद, भारत के इतिहास और भूगोल को ही बदलवा दिया। लेकिन होनी बड़ी बलवान होती है। आज ब्रिटेन का ही इतिहास बदल जाने को है। भगवत गीता में लिखा है, "विनाश काले, विपरीत बुद्धि" यानि सिकन्दर की माँ को उसकी धर्म-गुरु ने भारत न जाने के लिए मना करते, स्पष्ट शब्दों में चेतावनी दी थी, "अगर भारत कूच किया इसके भयंकर परिणाम होंगे।" सिकन्दर ने अपनी जिद्द के आगे उसी धर्म-गुरु का क़त्ल कर दिया।
खैर, प्रस्तुत है बिना सम्पादन के Hindujagruti.org द्वारा स्त्रोत : वेब दुनिया जून 6 को प्रकाशित समाचार:--
"ब्रिटेन का कितनी तेजी से इस्लामीकरण हो रहा है, इसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते हैं। आप इसे इसी तथ्य से समझ सकते हैं कि लंदन में ही 500 से ज्यादा चर्च बंद हो गए हैं, परंतु यहां 423 से ज्यादा मस्जिदें बन गई हैं। इतना ही नहीं, सैकडों वर्ष पुराने गिरजाघरों में मस्जिदें और सरकारी शरिया न्यायालये खुल गए हैं।
लंदन को लंदनिस्तान बताने वाले इस्लामी प्रचारक मौलाना सैयद रजा रिजवी का कहना है कि बहुत सारे इस्लामी देशों की राजधानियों की तुलना में लंदन अधिक इस्लामी हो गया है। लंदन में रहने वाले साहित्य का नोबेल पुरस्कार जीतने वाले वोल सोयिंका का कहना है कि ‘ब्रिटेन अब इस्लामवादियों की गंदगी का गड्डा बन गया है। हालांकि यह बात भी कही जाती है कि ब्रिटेन के बहुसांस्कृतिकवाद ने इस्लामी आतंकवाद को बढा दिया है।’
अवलोकन करें:--
इन चर्चों को विदेशों से आकर बसे संपन्न मुस्लिम खरीद रहे हैं और ब्रिटेन में इस्लाम को कबूलने वालों की संख्या दोगुनी हो गई है। इस्लाम को मानने वाले ये लोग आतंकवादी भी बन जाते हैं जैसा कि आतंकवादी खालिद मसूद के मामले में हुआ जिसने ब्रिटेन के सबसे प्रतिष्ठित चर्च वेस्टमिंस्टर एबी पर हमला किया था। सेंट पीटर चर्च अब मदीना मस्जिद बन गई है।
साज जॉर्जियो के चर्च में 1230 लोगों के बैठने का इंतजाम है, परंतु संडे मास के लिए यहां केवल 12 लोग इकट्ठा हुए । इसी तरह से सांता मारिया के चर्च में संडे मास के दौरान केवल 20 लोग ही शामिल हुए । जबकि ब्रून स्ट्रीट एस्टेट की मस्जिद में सौ लोगों के नमाज पढने की जगह है परंतु यहां शुक्रवार को लोग सडकों पर आकर नमाज पढते हैं । ब्रिटेन में ईसाइयत समाप्त हो रही है और इस्लाम यहां का धर्म बनता जा रहा है ।
ब्रिटिश यूनिवर्सिटीज में इस्लाम की उच्चतर पढाई होने लगी है और ब्रिटेन के प्रसिद्ध लोग वकालत करने लगे हैं कि कानून में शरिया कानून को भी शामिल किया जाए । उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन के सउदी अरब में राजदूत साइमन कोलीज खुद इस्लाम को मानने लगे हैं और बाद में उन्होंने हज भी किया । और वे अपने को अब हाजी कॉलीज कहते हैं ।"
भारत छोड़ने से पूर्व जो साम्प्रदायिकता की आग में भारत को अंग्रेजों ने झोंका था, भारत तो छद्दम धर्म-निरपेक्षों से झूझकर और लड़कर भारत के अस्तित्व को बनाये रखने में प्रयत्नशील है, आज उसी साम्प्रदायिकता की आग में ब्रिटेन जल रहा है।

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