आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
जस्टिस लोया की मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बलिया से बीजेपी सांसद भरत सिंह ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी को लेकर कहा कि दोनों ईसाई मिशनरियों के इशारे पर काम करते हैं। भरत सिंह ने कहा कि कांग्रेस के पीछे ईसाई मिशनरियों का अदृश्य हाथ है, जिसके इशारे पर पार्टी और इसके नेता काम करते हैं. कांग्रेस पार्टी का स्लोगन 'कांग्रेस का हाथ आम आदमी के साथ' आपने जरूर सुना होगा, लेकिन कांग्रेस पर किसका हाथ है ये आपको नहीं मालूम होगा। भरत सिंह ने कहा कि ईसाई मिशनरियों से देश को खतरा है।
अक्सर सोनिया गाँधी परिवार पर हिन्दू विरोधी आरोप लगते रहे हैं, लेकिन उन्हें खंडित करने का साहस नहीं हुआ। परन्तु छद्दम धर्म-निरपेक्ष सत्ता के लालच में हिन्दुओं को विभाजित करने में, इस परिवार के प्रति सहानुभूति रख,अपना समर्थन देते नहीं, बल्कि अब तक दे रहे हैं। भूतपूर्व महामहिम प्रणव मुख़र्जी द्वारा अपनी पुस्तक में सोनिया गाँधी के हिन्दू विरोधी होने का खुलासा करने उपरान्त भी न किसी छद्दम धर्म-निरपेक्ष की आँख खुली और न ही जनता की, जो बहुत ही शर्म की बात है।
इस सन्दर्भ में निम्न लेखों का अवलोकन करना जरुरी है:--
वैसे तो ये हिन्दू विरोधी गतिविधियाँ महात्मा गाँधी की देन हैं, यही उनके वध किए जाने का प्रमुख कारण था। लेकिन हिन्दू विरोधी गतिविधियाँ जितनी सोनिया के राजनीति में पदापर्ण होने के साथ ही चरम सीमा पर आया। यह आरोप नहीं कटु सत्य है, जिसे उपरोक्त लेख प्रमाणित कर रहे हैं। इतना ही नहीं, सोनिया गाँधी कांग्रेस के कार्यकाल में अयोध्या में रामजन्मभूमि विवाद पर कोर्ट को भी धोखा देने से नहीं चूकी। इस आरोप को प्रमाणित कर रहे हैं सेवानिर्वित क्षेत्रीय निदेशक डॉ के.के.मोहम्मद द्वारा तमिल भाषा में लिखित पुस्तक में।
इन छद्दम धर्म-निरपेक्षों का एक और सच देखिए। जब मायावती ने कहा था "तिलक, तराज़ू और तलवार! इनके मारो जूते चार" कितने लोगों को लोकतन्त्र खतरे में नज़र आया? किसी ने मायावती द्वारा माफ़ी न मांगे जाने तक लोक/राज्य सभा में हंगामा करने का साहस किया? विपरीत इसके समस्त हिन्दू -- चाहे वह किसी भी वर्ग से सम्बन्धित क्यों न हो-- कुर्सी की खातिर इसी हिन्दू विरोधी पार्टी से जुड़े एवं जुड़ते गए। क्या दलित हिन्दू नहीं? लेकिन गांधीवादी तुष्टिकरण अपनाकर हिन्दुओं को बाँटो और कुर्सी पर बैठ मॉल-पुए खाने के साथ-साथ अपनी तिजोरियाँ भरते रहो।

फिर जब तत्कालीन समाजवादी वर्तमान में भाजपा नेता नरेश अग्रवाल ने हिन्दू देवी-देवताओं का राज्य सभा में अपमान कर रहे थे, हिन्दूहितैषी पार्टियाँ नाममात्र का विरोध कर खामोश हो गए। 70 दशक के प्रारम्भ में शशि कपूर और नन्दा अभिनीत फिल्म "धर्म पुत्र" का एक चर्चित गीत "औरत ने जन्म दिया मर्दों को, मर्दो ने ही औरत को बाज़ार किया ..." उसे इन छद्दम नेताओं को हिन्दुओं को अपमानित करने की हरकतों को देख इस प्रकार बोल होने चाहिए "जिन देवी-देवताओं ने इन्हे सियासत में इतना नाम दिया, उन्होंने ने ही उन्ही देवी-देवताओं को अपमानित किया ...."
वैसे सितम्बर 1994 में इक़बाल के तराने "सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा .." को अपने स्तम्भ में कुछ प्रकार लिखा था, जो 24 वर्ष उपरान्त भी शत-प्रतिशत चरितार्थ हो रहा है।
फिर मोदी और योगी द्वारा हिंदुत्व की बात करने पर जिसे देखो छाती पीट रहा है, लेकिन जब सरकारी खजाने को चर्चों पर लुटाया जा रहा था, तब क्यों चुप रहे, क्या इसी को धर्म-निपेक्षता कहते हैं?







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