
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक विचारक का वीडियो सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है। इस वीडियो के वायरल होने की वजह RSS विचारक के ऐसे बयान हैं जिसके कारण सोशल मीडिया पर लोग उनका मज़ाक उड़ाते नहीं थक रहे हैं।
दरअसल, पेशे से वकील RSS विचारक देश रतन निगम न्यूज़ चैनल NDTV के एक डिबेट शो में हैरान करने वाला दावा करते हुए कहा कि दिल्ली में स्थित प्रसिद्ध जामा मस्जिद पहले यमुना मंदिर था।
इतना ही नही RSS विचारक ने एक और आश्चर्यचकित दावा करते हुए कहा कि आगरा में स्थित ताजमहल को शाहजहां ने नहीं बनवाया था, बल्कि इस ऐतिहासिक स्मारक को 11वीं शताब्दी में एक हिंदू राजा द्वारा बनवाया गया था।
इसके अलावा उन्होंने दावा किया कि दिल्ली के लालकिला को तोमरों ने बनाया था। निगम के इस हैरान करने वाले दावों को सुनकर कार्यक्रम के एंकर विक्रम चंद्रा ने अपना सिर पकड़ लिया। साथ इस बहस में शामिल अन्य मेहमान भी हैरान रह गए।
अवलोकन करें:--
http://nigamrajendra28.blogspot.in/2017/…/blog-post_196.html
NIGAMRAJENDRA28.BLOGSPOT.PE
दरअसल, रतन निगम द्वारा दिल्ली की जामा मस्जिद और लाल किला पर प्रश्न से पैनल एंकर विक्रम चन्द्रा का सिर पकड़ना नयी बात नहीं। मेरा केवल विक्रम ही नहीं समस्त एंकरों से निवेदन है, ऐतिहासिक मुद्दों पर चर्चा करने से पूर्व अधिक नहीं तो कम से कम पुरातत्व विभाग के तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक डॉ के.के. मोहम्मद द्वारा तमिल भाषा में लिखित पुस्तक का अध्ययन जरूर करना चाहिए। जो स्पष्ट रूप से वास्तविक इतिहास से जनता को अज्ञान और अशिक्षित होने का संकेत दे रहे हैं। आज मार्च 14, 2018 में सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि मंदिर पर सुनवाई हो रही है। जो समस्त हिन्दुओं के लिए नहीं, बल्कि समस्त इंसानों के डूब मरने की बात है। अयोध्या में खुदाई किस वर्ष में हुई थी और आज कौन सा वर्ष है। यदि खुदाई में मिले समस्त सबूत कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर दिए होते, मन्दिर कई वर्ष पूर्व बन चूका होता। लेकिन जयचन्दों के कारण आजतक विवादित बना हुआ है।
देखिए डॉ मुहम्मद ने क्या लिखा है:--
"पुस्तक के एक अध्याय में डॉ. मुहम्मद ने लिखा है, ‘जो कुछ भी मैंने जाना और कहा है, वह और कुछ नहीं बल्कि ऐतिहासिक सच है।’ उनके अनुसार, ‘हमे विवादित स्थल पर एक नहीं, बल्कि 14 स्तंभ मिले थे। सभी स्तंभों पर गुंबद खुदे थे।
ये 11वीं व 12वीं शताब्दी के मंदिरों में पाए जाने वाले गुंबदों के समान थे। गुंबद ऐसे नौ प्रतीकों में एक हैं, जो मंदिर में होते हैं। यह भी काफी हद तक स्पष्ट हो गया था कि मस्जिद एक मंदिर के मलबे पर खड़ी है। उन दिनों मैंने इस बारे में अंग्रेजी के कई समाचार पत्रों को लिखा था।
मेरे विचार को केवल एक समाचार पत्र ने प्रकाशित किया और वह भी ‘लेटर टू एडिटर कॉलम’ में।’ डॉ. मुहम्मद के अनुसार, वामपंथी इतिहासकारों ने इस मुद्दे पर इलाहाबाद हाई कोर्ट को भी गुमराह करने की कोशिश की। अदालत द्वारा निर्णय दिए जाने के बाद भी इरफान और उनकी टीम सच मानने को तैयार नहीं है।
अपनी आत्मकथा में डॉ.के.के. मोहम्मद ने बताया है कि 1976-77 के कालावधि में एएसआइ के तत्कालीन महानिदेशक प्रो. बीबी लाल के नेतृत्व में पुरातत्ववेत्ताओं के दल द्वारा अयोध्या में किए गए उत्खनन के कालावधि में मंदिरों के ऊपर बने कलश के नीचे लगाया जाने वाला गोल पत्थर मिला ।
यह पत्थर केवल मंदिर में ही लगाया जाता है । इसी प्रकार जलाभिषेक के पश्चात, मगरमच्छ के आकार की जल प्रवाहित करनेवाली प्रणाली भी मिली है ।
Former Regional Director (North) of Archaeological Survey of India, Dr K K Muhammed, in his autobiography has alleged that Left Historians like Romia Thapar & Irfan Habib had thwarted an amicable settlement to the Babri Masjid issue.
Muhammad in his book claimed that a Hindu temple existed at the site of the Babri Masjid and that they unearthed remains of the temple’s pillars. He clearly Mentioned
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| 2013 में प्रकाशित मेरा स्तम्भ |
“WE FOUND NOT ONE BUT 14 PILLARS OF A TEMPLE AT THE BABRI MASJID SITE. ALL THESE PILLARS HAD DOMES CARVED ON THEM. THE DOMES RESEMBLED THOSE FOUND IN TEMPLES BELONGING TO 11TH AND 12TH CENTURY. IN THE TEMPLE ARCHITECTURE DOMES ARE ONE OF THE NINE SYMBOLS OF PROSPERITY. IT WAS QUITE EVIDENT THAT THE MASJID WAS ERECTED ON THE DEBRIS OF A TEMPLE..."
जहाँ तक लाल किला का प्रश्न है, इस पर सर्वप्रथम प्रश्नचिन्ह लगाया था अपने मार्च 1971 के अंक में टाइम्स ऑफ़ इंडिया समूह की बहुचर्चित साप्ताहिक Illustrated Weekly ने। वास्तव में कांग्रेस और वामपंथियों की साठगांठ ने अपने मुस्लिम वोट-बैंक की खातिर भारत के गौरवमयी हिन्दू इतिहास को धूमिल कर मुग़ल आतताइयों को महान शासक घोषित करने में तल्लीन रहे। और डॉ मुहम्मद भी रामजन्मभूमि के माध्यम से कांग्रेस और वामपंथियों की जुगल जोड़ी पर प्रश्नचिन्ह रहे हैं। निगम की बातों का मजाक बनाने वाले सर्वप्रथम भारत के वास्तविक इतिहास को पढ़ने का प्रयास करें, जो केवल उनके ही हित में नहीं, अपितु देशहित में लाभकारी होगा, देश साम्प्रदायिक माहौल से बाहर आएगा। अन्यथा मजाक उड़ाने साम्प्रदायिक तत्वों को शक्ति प्रदान करेंगे। भारत में केवल लगभग 10% मुस्लिम कट्टरपंथियों ने कुर्सी के भूखे कांग्रेस और वामपंथी इतिहासकारों के कारण समस्त मुस्लिम समाज को बदनाम कर रखा है।
जैसाकि सर्वविदित है कि विश्व में हिन्दू धर्म ही सबसे प्राचीन है और संस्कृत सब भाषाओं की जननी। देखिए अल्लाह का संस्कृत में भावार्थ:-
विस्तृत जानकारी के google पर The Meaning of Allah क्लिक करें। भ्रांतियाँ मिट जाएँगी।
जैसाकि सर्वविदित है कि विश्व में हिन्दू धर्म ही सबसे प्राचीन है और संस्कृत सब भाषाओं की जननी। देखिए अल्लाह का संस्कृत में भावार्थ:-
What is the word Allah in Sanskrit, Hebrew, Aramaic & Arabic ...
https://www.youtube.com/watch?v=Ilmn2N29lVY
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इसी भाँति 786 को भी गैर-मुस्लिम इस्लामिक न समझे। देखिए:-
7 संगीत एवं शिक्षा देवी सरस्वती के स्वर
8 देवकी की आठवीं सन्तान कृष्ण का यंत्र बाँसुरी
6 बाँसुरी बजाने में केवल 6 ही उँगलियाँ प्रयोग होती हैं
मुगलों का मुख्य काम था साम, दाम, दण्ड भेद नीति अपनाकर इस्लाम का विस्तार करना। लेकिन कुर्सी के भूखे नेताओं ने हिन्दू मुसलमानों में भेद करने के लिए इनमे भी अन्तर डाल दिया। जिस तरह सिख और हिन्दुओं में। सिख गुरुओं ने कुर्बानी दी हिन्दुओं की रक्षा के लिए, यही कारण है कि सिख हिन्दुओं के बड़े भाई है।


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