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Showing posts from October, 2025

बिहार चुनाव से जुड़े RJD समर्थकों के गानों में दिख रही जंगलराज की झलक : ‘कट्टा-दुनाली’ से लेकर ‘यादव रंगदार बनेंगे’ तक: चुनावी मंचों पर भी परोसी जा रही अश्लीलता

        बिहार विधानसभा चुनाव में RJD समर्थकों के हिंसा- अश्लीलता भरे गानें (साभार : YT Video Thumbnail) बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल पूरी तरह गर्म हो चुका है। जहाँ एक ओर NDA सुशासन, विकास और बिहार के गौरव को मुद्दा बना रहा है, वहीं दूसरी ओर आरजेडी और उसके समर्थक अपने चुनावी प्रचार में हिंसा, बंदूक और अश्लीलता का सहारा लेकर राजनीतिक स्तर को गिरा रहे हैं। गीतों के माध्यम से होने वाला यह ध्रुवीकरण दिखा रहा है कि आरजेडी सत्ता में वापसी के लिए किस हद तक जा सकती है। मनोज तिवारी का ‘हाँ, हम बिहारी हैं जी’: बिहार की पहचान का गीत बीजेपी नेता और लोकप्रिय भोजपुरी गायक मनोज तिवारी ने बिहार के सम्मान में गाना ‘हाँ, हम बिहारी हैं जी’ रिलीज किया है, जिसे जनता खूब पसंद कर रही है। यह गीत सकारात्मकता और संस्कृति पर आधारित है। गाने की शुरुआत ‘हाँ, हम बिहारी हैं जी… माटी को सोना कर दें, वाली कलाकारी है जी…’ से होती है। यह गीत बिहार की मेहनतकश जनता, कला, इतिहास और मिट्टी की खुशबू को सलाम करता है। इसमें बिहार के सबसे बड़े पर्व छठ पूजा का भी सुंदर जिक्र है। यह गाना NDA के उस संदेश को...

मंदिर की घंटी, पायल की खनक और देवता की हुंकार: ऋषभ शेट्टी की ‘कांतारा’ ने बदल दिया फिल्मों का ‘786’ वाला अवतार, ये मनोरंजन से बढ़कर सांस्कृतिक अनुष्ठान है

ऋषभ शेट्टी भारतीय सिनेमा की वह नायाब खोज हैं, जो केवल अभिनेता या निर्देशक भर नहीं, बल्कि एक संपूर्ण कथाशिल्पी हैं। उनके भीतर वह ग्राम्य लय है, जिसकी अनुगूँज किसी देवस्थान की ध्वनि की भाँति दूर तक फैली रहती है। यदि कांतारा मैं बनाता, तो सम्भवतः उन्हें परदे से एक पल भी ओझल न होने देता। किन्तु यह उनके कौशल का वैभव है कि वे ख़ुद को भी कहानी के भीतर एक पात्र की तरह भंग कर देते हैं, और परदे पर देवत्व, लोक और आस्था को केंद्र में स्थापित कर देते हैं। जहाँ मुख्यधारा का भारतीय सिनेमा नायक को कभी किसी ‘बिल्ला नंबर 786’ के भरोसे बचाता है, जबकि मंदिर में न जाने की सौगंध जब उसने ली तो उसे ‘एंग्री यंग मैन’ का नाम दे दिया गया; मानो समाज से आक्रोशित युवा का यही चेहरा हो सकता है। या हमारा जो सिनेमा नायिका के आँसूओं से नायक के लिए मोक्ष लिख देता है, उस दौर में ऋषभ शेट्टी हमें ऐसे सिनेमा का अनुभव कराते हैं, जहाँ मंदिर की घंटी, पायल की खनक, और देवता की हुँकार ही कथा की रीढ़ है। कांतारा ने हमें याद दिलाया कि असली सुरक्षा तो लोक-देवता की हुंकार और प्रकृति की आभा में निहित है। गुलिगा और पंजुरली की गूँज जब सिन...

फिल्म Siddharth में सारे कपडे उतारने वाली सिमी ग्रेवाल रावण को ‘शरारती’ बता दशहरे का मजाक उड़ा रही : हिंदू परंपराओं पर हमला और महिलाओं की पीड़ा को हल्का दिखाने का वामपंथी प्रोपेगेंडा फिर आया सामने

    सिमी ग्रेवाल ने एक ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने रावण द्वारा सीता का अपहरण करने के अपराध को 'थोड़ा शरारती' बताया (साभार - ऑपइंडिया इंग्लिश) फिल्म  Siddharth में शशि कपूर के सामने सारे कपडे उतारने वाली नायिका सिमी ग्रेवाल आज हिन्दू महाकाव्य "रामायण" के शारदीय नवरात्रों में विमोचन करने पर रावण को मोहरा बनाकर घिनौना खेल खेल रही है। फिल्म की पब्लिसिटी में सिमी का यही पोज़ इस्तेमाल किया गया था। ये नायिका जिस तरह हिन्दू धर्म और परम्पराओं पर हमला कर रही है क्या अन्य मजहबों पर इसी तरह हमला करने की हिम्मत कर सकती है?     फिल्म सिद्धार्थ में वस्त्रहीन सिमी और शशि कपूर  हर साल दशहरे पर पूरे भारत में रावण के पुतले जलाए जाते हैं। करोड़ों हिंदुओं के लिए यह सिर्फ एक तमाशा नहीं बल्कि एक ऐसा संस्कार है जो यह याद दिलाता है कि धर्म हमेशा अधर्म पर विजय पाता है। यह हमारी सभ्यता का संदेश है कि बुराई चाहे कितनी भी ताकतवर या चालाक क्यों न हो, अंततः उसे धर्म और सत्य के आगे हारना ही पड़ता है। लेकिन इस बार अभिनेत्री और निर्माता सिमी ग्रेवाल ने इस पर सवाल उठाकर विवाद खड़ा कर दिय...

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To write on general topics and specially on films;THE BLOGS ARE DEDICATED TO MY PARENTS:SHRI M.B.L.NIGAM(January 7,1917-March 17,2005) and SMT.SHANNO DEVI NIGAM(November 23,1922-January24,1983)