आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
वेदों और शास्त्रों में वर्णित नियमों में जब भी छद्दम धर्म-निरपेक्ष द्वारा समानता या अंध-विश्वास के नाम पर बदलाव किए जाते हैं, प्रकृति अपना रंग दिखा देती हैं, जिसे हम समझ नहीं पाते।
वास्तव में देश को जितनी क्षति छद्दमवाद पहुंचा रहा है, शायद ही कोई पहुंचा रहा है। देश को इन छद्दमों से सतर्क रहना पड़ेगा। अन्यथा पहले उत्तराखंड और अब केरल में बाढ़ रूपी प्रकोप से राष्ट्र को कितनी क्षति होगी, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है।
2013 में उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के कार्यकाल में धारी माता मन्दिर में छेड़खानी करना उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि समस्त भारत को बहुत भारी पड़ा था। मूर्ति को हटाने के कुछ ही क्षणों उपरान्त राज्य में कितनी भयंकर बाढ़ आयी, बादल फटे और चट्टानें पहाड़ों से नीचे गिरीं थी।
माँ धारी देवी प्राचीन काल से उत्तराखण्ड की रक्षा करती है, सभी तीर्थ स्थानों की रक्षा करती है । माँ धारी देवी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है । धारा माता की विशेषता यह है कि माता दिन में तीन बार अपना रूप बदलती हैं। साल 1807 से इसके यहां होने का साक्ष्य मौजूद है । पुजारियों और स्थानीय लोगों का मानना है कि मंदिर इससे भी पुराना है । 1807 से पहले के साक्ष्य गंगा में आई बाढ़ में नष्ट हो गए हैं । 1803 से 1814 तक गोरखा सेनापतियों द्वारा मंदिर को किए गए दान अभी भी मौजूद है । इस मंदिर में पूजा अर्चना धारी गांव के पंडित कराते हैं । यहां के तीन पंडित भाई चार -चार महीने पूजा कराते हैं । यहां के पुजारी बताते हैं कि द्वापर युग से ही काली की प्रतिमा यहां स्थित है। इससे आगे के कालीमठ में देवी काली की प्रतिमा क्रोध की मुद्रा में है पर धारी देवी मंदिर में कल्याणी परोपकारी शांत मुद्रा में हैं। यहां महाकाली के धार की पूजा होती है जबकि उनके शरीर की पूजा काली मठ में होती है।
पुजारी का मानना है कि धारी देवी, धार शब्द से ही निकला है । पुजारी मंदिर के बारे में अन्य कथा का पुरजोर खंडन करता है । साल 1980 की बाढ़ में प्राचीन मूर्ति खो गयी तथा 5-6 वर्षो बाद तैराकों द्वारा नदी से मूर्ति को खोज निकाला गया । इस बीच के वक्त में यहां पर एक और प्रतिमा स्थापित की गई थी। अब मूल प्रतिमा को फिर से स्थापित किया गया है। आज देवी की प्राचीन प्रतिमा के चारों ओर एक छोटा मंदिर चट्टान पर स्थित है । प्राचीन देवी की मूर्ति के इर्द-गिर्द चट्टान पर एक छोटा मंदिर स्थित है। देवी की आराधना भक्तों द्वारा अर्पित 50,000 घंटियों बजा कर की जाती है । मां काली का रूप माने जाने वाली धारा देवी की प्रतिमा को 16 जून 2013 की शाम को उनके प्राचीन मंदिर से हटाई गई थी। उत्तराखण्ड के श्रीनगर में हाइडिल-पाॅवर प्रोजेक्ट के लिए ऐसा किया गया था।
प्रतिमा जैसे ही हटाई गई उसके कुछ घंटे के बाद ही केदारनाथ मे तबाही का मंजर आया और सैकड़ो लोग इस तबाही के मंजर में मारे गये। 16 जून 2013 को शाम 6 बजे धारी देवी की मूर्ति को हटाया गया और रात्रि आठ बजे अचानक आए सैलाब ने मौत का तांडव रचा और सबकुछ तबाह कर दिया जबकि दो घंटे पूर्व मौसम सामान्य था। इस इलाके में माँ धारी देवी की बहुत मान्यता है लोगों की धारणा है कि माँ धारी देवी की प्रतिमा में उनका चेहरा समय के बाद बदला है । एक लड़की से एक महिला और फिर एक वृद्ध महिला का चेहरा बना। महा विकराल इस काली देवी की मूर्ति स्थापना और मंदिर निर्माण की भी रोचक कहानी है। ये मूर्ति जाग्रत और साक्षात कही जाती है। देशभर से यहां श्रद्धालु आकर अपनी मन की मुरादें मांगते हैं।
केरल में 100 साल के बाद हुए विनाशकारी बारिश की वजह से बाढ की विकराल स्थिति पैदा हो गई है ! 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। लाखों लोग बेघर हो गए हैं। सेना, नौसेना, वायु सेना और एनडीआरएफ के जवान राहत कार्यों में जुटे हुए हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य का दौरा कर हर संभव सहायता उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिए हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर भारतीय रिजर्व बैंक के बोर्ड डायरेक्टर एस गुरुमूर्ति ने भारी बारिश और बाढ के तार सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश से जोड़े हैं ! गुरुमूर्ति ने ट्वीट कर कहा कि, “उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को यह देखना चाहिए कि क्या केरल में विनाशकारी बारिश और सबरीमाला मामले में जो हो रहा है, उसके बीच कोई संबंध है ? यहां तक कि अगर लाखों में से किसी एक मौके के साथ भी इसका संबंध होता है तो लोग अयप्पा के खिलाफ मुकदमा को पसंद नहीं करेंगे !” यह उन्होंने हरी प्रभाकरणद्वारा केरल में बाढ को लेकर किए गए एक ट्वीट पर रिट्वीट करते हुए लिखा। प्रभाकरण ने लिखा है, “भगवान से उपर कोई नियम नहीं है। यदि आप भगवान के ऊपर कोई कानून नहीं है, … यदि आप सभी को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देते हैं, तो वह हर किसी से इनकार करता है !”
गुरुमूर्ति ने एक और ट्वीट में लिखा, वे भारतीय बुद्धिजीवियों के ढोंग पर अचंभित हैं, जिन्होंने लोगों की आस्था को मिटा दिया ! 99% भारतीय भगवान में विश्वास करते हैं। उदारवादी, धर्मनिरपेक्ष, बुद्धिजीवियों सहित 100% लोग ज्योतिष में विश्वास करते हैं ! नास्तिक करुणानिधि के अनुयायियों ने उनके लिए प्रार्थना की। मैं उन लोगों में से हूं जो भगवान की ओर देखते हैं लेकिन ज्योतिष नहीं !
पेशे से चार्टेड अकाउंटेड, स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक और लंबे समय तक संघ से जुड़े रहनेवाले स्वामीनाथन गुरुमूर्ति को कुछ समय पहले ही भारतीय रिजर्व बैंक के डॉयरेक्टर बोर्ड में शामिल किया गया है। वहीं, दूसरी ओर सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई चल रही है !
वेदों और शास्त्रों में वर्णित नियमों में जब भी छद्दम धर्म-निरपेक्ष द्वारा समानता या अंध-विश्वास के नाम पर बदलाव किए जाते हैं, प्रकृति अपना रंग दिखा देती हैं, जिसे हम समझ नहीं पाते।
वास्तव में देश को जितनी क्षति छद्दमवाद पहुंचा रहा है, शायद ही कोई पहुंचा रहा है। देश को इन छद्दमों से सतर्क रहना पड़ेगा। अन्यथा पहले उत्तराखंड और अब केरल में बाढ़ रूपी प्रकोप से राष्ट्र को कितनी क्षति होगी, यह भविष्य के गर्भ में छिपा है।
2013 में उत्तराखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के कार्यकाल में धारी माता मन्दिर में छेड़खानी करना उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि समस्त भारत को बहुत भारी पड़ा था। मूर्ति को हटाने के कुछ ही क्षणों उपरान्त राज्य में कितनी भयंकर बाढ़ आयी, बादल फटे और चट्टानें पहाड़ों से नीचे गिरीं थी।
उत्तराखंड की मां धारी देवी का रहस्य
माँ धारी देवी प्राचीन काल से उत्तराखण्ड की रक्षा करती है, सभी तीर्थ स्थानों की रक्षा करती है । माँ धारी देवी मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है । धारा माता की विशेषता यह है कि माता दिन में तीन बार अपना रूप बदलती हैं। साल 1807 से इसके यहां होने का साक्ष्य मौजूद है । पुजारियों और स्थानीय लोगों का मानना है कि मंदिर इससे भी पुराना है । 1807 से पहले के साक्ष्य गंगा में आई बाढ़ में नष्ट हो गए हैं । 1803 से 1814 तक गोरखा सेनापतियों द्वारा मंदिर को किए गए दान अभी भी मौजूद है । इस मंदिर में पूजा अर्चना धारी गांव के पंडित कराते हैं । यहां के तीन पंडित भाई चार -चार महीने पूजा कराते हैं । यहां के पुजारी बताते हैं कि द्वापर युग से ही काली की प्रतिमा यहां स्थित है। इससे आगे के कालीमठ में देवी काली की प्रतिमा क्रोध की मुद्रा में है पर धारी देवी मंदिर में कल्याणी परोपकारी शांत मुद्रा में हैं। यहां महाकाली के धार की पूजा होती है जबकि उनके शरीर की पूजा काली मठ में होती है।पुजारी का मानना है कि धारी देवी, धार शब्द से ही निकला है । पुजारी मंदिर के बारे में अन्य कथा का पुरजोर खंडन करता है । साल 1980 की बाढ़ में प्राचीन मूर्ति खो गयी तथा 5-6 वर्षो बाद तैराकों द्वारा नदी से मूर्ति को खोज निकाला गया । इस बीच के वक्त में यहां पर एक और प्रतिमा स्थापित की गई थी। अब मूल प्रतिमा को फिर से स्थापित किया गया है। आज देवी की प्राचीन प्रतिमा के चारों ओर एक छोटा मंदिर चट्टान पर स्थित है । प्राचीन देवी की मूर्ति के इर्द-गिर्द चट्टान पर एक छोटा मंदिर स्थित है। देवी की आराधना भक्तों द्वारा अर्पित 50,000 घंटियों बजा कर की जाती है । मां काली का रूप माने जाने वाली धारा देवी की प्रतिमा को 16 जून 2013 की शाम को उनके प्राचीन मंदिर से हटाई गई थी। उत्तराखण्ड के श्रीनगर में हाइडिल-पाॅवर प्रोजेक्ट के लिए ऐसा किया गया था।
प्रतिमा जैसे ही हटाई गई उसके कुछ घंटे के बाद ही केदारनाथ मे तबाही का मंजर आया और सैकड़ो लोग इस तबाही के मंजर में मारे गये। 16 जून 2013 को शाम 6 बजे धारी देवी की मूर्ति को हटाया गया और रात्रि आठ बजे अचानक आए सैलाब ने मौत का तांडव रचा और सबकुछ तबाह कर दिया जबकि दो घंटे पूर्व मौसम सामान्य था। इस इलाके में माँ धारी देवी की बहुत मान्यता है लोगों की धारणा है कि माँ धारी देवी की प्रतिमा में उनका चेहरा समय के बाद बदला है । एक लड़की से एक महिला और फिर एक वृद्ध महिला का चेहरा बना। महा विकराल इस काली देवी की मूर्ति स्थापना और मंदिर निर्माण की भी रोचक कहानी है। ये मूर्ति जाग्रत और साक्षात कही जाती है। देशभर से यहां श्रद्धालु आकर अपनी मन की मुरादें मांगते हैं।
केरल में 100 साल के बाद हुए विनाशकारी बारिश की वजह से बाढ की विकराल स्थिति पैदा हो गई है ! 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई है। लाखों लोग बेघर हो गए हैं। सेना, नौसेना, वायु सेना और एनडीआरएफ के जवान राहत कार्यों में जुटे हुए हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य का दौरा कर हर संभव सहायता उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिए हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर भारतीय रिजर्व बैंक के बोर्ड डायरेक्टर एस गुरुमूर्ति ने भारी बारिश और बाढ के तार सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का प्रवेश से जोड़े हैं ! गुरुमूर्ति ने ट्वीट कर कहा कि, “उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को यह देखना चाहिए कि क्या केरल में विनाशकारी बारिश और सबरीमाला मामले में जो हो रहा है, उसके बीच कोई संबंध है ? यहां तक कि अगर लाखों में से किसी एक मौके के साथ भी इसका संबंध होता है तो लोग अयप्पा के खिलाफ मुकदमा को पसंद नहीं करेंगे !” यह उन्होंने हरी प्रभाकरणद्वारा केरल में बाढ को लेकर किए गए एक ट्वीट पर रिट्वीट करते हुए लिखा। प्रभाकरण ने लिखा है, “भगवान से उपर कोई नियम नहीं है। यदि आप भगवान के ऊपर कोई कानून नहीं है, … यदि आप सभी को मंदिर में प्रवेश की अनुमति देते हैं, तो वह हर किसी से इनकार करता है !”
गुरुमूर्ति ने एक और ट्वीट में लिखा, वे भारतीय बुद्धिजीवियों के ढोंग पर अचंभित हैं, जिन्होंने लोगों की आस्था को मिटा दिया ! 99% भारतीय भगवान में विश्वास करते हैं। उदारवादी, धर्मनिरपेक्ष, बुद्धिजीवियों सहित 100% लोग ज्योतिष में विश्वास करते हैं ! नास्तिक करुणानिधि के अनुयायियों ने उनके लिए प्रार्थना की। मैं उन लोगों में से हूं जो भगवान की ओर देखते हैं लेकिन ज्योतिष नहीं !
पेशे से चार्टेड अकाउंटेड, स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक और लंबे समय तक संघ से जुड़े रहनेवाले स्वामीनाथन गुरुमूर्ति को कुछ समय पहले ही भारतीय रिजर्व बैंक के डॉयरेक्टर बोर्ड में शामिल किया गया है। वहीं, दूसरी ओर सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर उच्चतम न्यायालय में सुनवाई चल रही है !
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