यहां अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों को विज्ञान, गणित, अंग्रेजी, अरबी के साथ-साथ हिंदी और संस्कृत की शिक्षा भी दी जा रही है। संभवत: ऐसा पहली बार हो रहा है कि मदरसे में संस्कृत भी पढ़ाई जा रही है। यूपी शिक्षा बोर्ड के अंतर्गत आनेवाला दारुल उलूम हुसैनिया मदरसे में संस्कृत पढ़ाने के लिए मुस्लिम शिक्षक ही नियुक्त किया गया है।
वहीं गोरखपुर में दारुल उलूम हुसैनिया मदरसा में पढ़नेवाले छात्र कहते हैं, ”हमें संस्कृत सीखना अच्छा लगता है। हमारे शिक्षक विषयों को अच्छी तरह से समझाते हैं। हम भी बहुत अच्छी तरह समझते हैं। हमारे माता-पिता भी हमें सीखने में मदद करते हैं।”
दरअसल, विश्व की प्राचीनतम भाषा संस्कृत का अनादर मुग़ल युग से प्रारम्भ हो गया था। जिसे ब्रिटिश युग में भी सम्मान नहीं मिला। स्वतन्त्रता मिलने उपरान्त भी तुष्टिकरण पुजारियों ने भी संस्कृत को वह सम्मान नहीं दिया, जिसकी वह अधिकारी थी। चलिए देर आए दुरुस्त आए।
Comments