
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
दिल्ली का लाजपत नगर मार्केट वैसे तो सरोजिनी नगर मार्केट के बाद सबसे बड़ा बाजार है। लेकिन यहां के व्यापारियों में अलग तरह की बेचैनी है। कारोबारी मनजीत सिंह कोहली कहते हैं- पहले नोटबंदी, फिर जीएसटी और अब सीलिंग से कारोबारियों की कमर ही टूट गई। सैंकड़ों दुकानें सील हो गईं। इससे सिर्फ दुकान या शोरूम मालिक ही नहीं, बल्कि इनसे जुड़े परिवारों की आजीविका छिन गई। गलती अफसरों की है और भुगतना हमें पड़ रहा है।
| लाजपत नगर में सीलिंग के विरुद्ध प्रदर्शन करती महिलाएँ |
यह लोगों की नाराजगी की एक झलक भर है। इसके दो बड़े कारण नजर आए। पहला- जनता अपने क्षेत्र के सांसदों से काफी खफा है। वजह है उन तक आम लोगों की पहुंच न होना। लोगों का कहना था कि सांसद मिलते ही नहीं। दूसरा कारण है सीलिंग। सीलिंग के कारण खासतौर पर कारोबारी वर्ग बेहद नाराज है। यह वर्ग ऐसा है जो भाजपा का ठोस वोट बैंक कहलाता है। दिल्ली की सभी सात सीटों पर ये दो मुद्दे सबसे बड़े फैक्टर हैं। सात में से पांच सांसदों से लोग बेहद नाराज हैं। इनमें दिल्ली प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मनोज तिवारी (उत्तर-पूर्वी दिल्ली से सांसद) हैं। लोगों का कहना है कि उनकी गाने-बजाने में ज्यादा रुचि है। तिवारी के समर्थक रहे अमरकांत कहते हैं कि कितने भी प्रयास कर लें मनोज जी से नहीं मिल सकते। वे अच्छे क्राउडपुलर हो सकते हैं मगर जननेता नहीं। लोगों की कुछ ऐसी ही धारणा पूर्वी दिल्ली से सांसद महेश गिरी को लेकर है। उनके सबसे बड़े काम के रूप में यमुना किनारे श्रीश्री रविशंकर का वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल हुआ। इस पर भारी विवाद हुआ।


भाजपा के पूर्व पदाधिकारी रामनाथ गर्ग कहते हैं कि जनता की बात छोड़िए, गिरी कार्यकर्ताओं के सुख-दुख तक में शामिल नहीं होते। करोल बाग के ज्वैलर अमित जैन कहते हैं कि सांसद का होना न होना एक जैसा है। सीलिंग में सांसद मीनाक्षी लेखी को फोन किया लेकिन फोन उठाया ही नहीं। पश्चिमी दिल्ली के नजफगढ़ गांव के चौधरी फूल सिंह ने कहा कि हमारे यहां के सांसद प्रवेश वर्मा को पिता की छवि का फायदा हुआ। लेकिन वे जरा भी मिलनसार नहीं हैं। फिर विकासपुरी में बने अपार्टमेन्ट में रहने वाले जब किसी समस्या के लिए सांसद वर्मा के पास जाते, उन्हें सुनने को मिलता है कि "आप लोग तो झाड़ू को वोट देते हैं।" इनकी समस्या का समाधान करते हैं, भूतपूर्व कांग्रेस विधायक मुकेश या झाड़ू के विधायक। लोगों का आरोप-उदित राज ने पद की अहमियत नहीं समझी
दिल्ली की आरक्षित सीट उत्तर-पश्चिमी दिल्ली से सांसद उदित राज ने पिछले चुनाव के ठीक पहले भाजपा ज्वाइन की थी। इस क्षेत्र के सुल्तानपुर माजरा के हेतराम कहते हैं कि भाजपा के पास कोई दलित नेता नहीं है, इसका उदित राज को फायदा हुआ, लेकिन उन्होंने पद की अहमियत नहीं समझी।
भाजपा अक्षय कुमार, गौतम गंभीर को उतारने की तैयारी में
भाजपा भी अपनी स्थिति भांप गई है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि हमारे कुछ सांसदों के रवैए से बेशक जनता नाराज है पर मोदी की लोकप्रियता में कमी नहीं आई है। दिल्ली में पार्टी कुछ नए प्रयोग कर सकती है ,जैसे नई दिल्ली से फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार तो पश्चिमी दिल्ली से क्रिकेटर गौतम गंभीर को चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है।
आप से गठबंधन किसी सूरत में नहीं-कांग्रेस
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन साफ कर चुके हैं कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी के साथ समझौता नहीं करेंगे। उनका कहना है कि 2013 के चुनाव में हमारा जो वोटर आप की ओर चला गया था, वह नाखुश होकर वापस कांग्रेस की ओर आ रहा है।
जो अधिकार दिलाएगा वोट उसे ही जाएंगे- आप
आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज कहते हैं कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का दिल्ली में कोई मेल नहीं। इस बार कोशिश रहेगी कि आम चुनाव में हम यह नरेटिव दें कि दिल्ली को भले ही पूर्ण राज्य का दर्जा न मिल पाए, लेकिन पुलिस और जमीन का अधिकार दिलाएंगे।
पिछले तीन चुनाव के नतीजे
2004: सात में से छह सीटें कांग्रेस ने जीतीं।
2009: सभी सात सीटों पर कांग्रेस की जीत।
2014: सभी सातों सीटें भाजपा ने जीतीं।

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