दंगा 23 जुलाई 2015 को पाटीदार आरक्षण आंदोलन के वक्त हुआ था। दरअसल, मेहसाणा पाटीदार आंदोलन का गढ़ था और इसकी शुरुआत विसनगर की सभा से ही हुई थी। इसके बाद वहां के भाजपा विधायक ऋषिकेश पटेल के दफ्तर में तोड़फोड़ की गई थी। कोर्ट ने इस मामले में फरियादी को 10 हजार, भाजपा विधायक को 40 हजार और एक कार मालिक को एक लाख रुपए मुआवजा देने का भी आदेश दिया। पाटीदार आंदोलन के दौरान यह राज्य में दर्ज किया गया पहला मामला था।
14 आरोपी बरी: कोर्ट ने मामले में आरोपी हेमंत कुमार, दिनेश कुमार, सोमाभाई, राजेन्द्र कुमार कांतिलाल, कृष्ण कुमार मनुभाई, पर्थ भांजिभाई, प्रशांत कुमार, गोविंद भाई, रामिककालाल, गोविंद भाई मंगनलाल, परेश कुमार, जयंती भाई, भारतभाई, सूरज कुमार को बरी कर दिया।
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