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बताया जा रहा है कि प्रदेश राकेश सिंह के निर्देश पर मीणा के खिलाफ यह नोटिस जारी किया गया है। गौरतलब है कि कोलार क्षेत्र में रविवार को एक सड़क के भूमिपूजन कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे सांसद आलोक संजर और विधायक रामेश्वर शर्मा का क्षेत्रीय पार्षद मनफूल मीणा के पति श्याम मीणा ने विरोध किया था। मीणा का कहना था कि सड़क का भूमिपूजन हो चुका है। अब आप लोग दोबारा भूमिपूजन नहीं कर सकते। बात धक्का-मुक्की तक पहुंच गई थी
सोशल मीडिया पर वायरल विडियो में रामेश्वर शर्मा और सांसद संजर का पार्षद पति ने विरोध करते दिखे। बाद में दोनों के समर्थकों में हाथापाई की स्थिति बन गई। इसे लेकर पार्टी में मचे घमासान के बीच प्रदेश अध्यक्ष के निर्देश पर मीणा को निलंबित कर दिया गया है।
अब इसे भाजपा की तानाशाही न कहा जाये तो क्या कहा जाये? अगर कोई किसी सड़क का पुनः भूमिपूजन न किये जाने का विरोध कर रहा है, तो क्या सत्ता के नशे में चूर भाजपा उसे पार्टी से निकाल देगी? बल्कि चाहिए यह था कि सांसद सच्चाई सामने आने पर कहता कि "इस सड़क का भूमिपूजन चाहे जिसने किया हो, लेकिन सड़क निर्माण पूरा मेरे कार्यकाल में होगा।" लेकिन भूमिपूजन करने पर जो बोर्ड पर नाम आता, उस स्थिति में नहीं आता। नाम के चक्कर में पब्लिक धन की बर्बादी होती है, होने दो, क्या इसी का नाम लोकतन्त्र है? क्या इसी तरह होगा "सबका साथ, सबका विकास"?
अब इसे भाजपा की तानाशाही न कहा जाये तो क्या कहा जाये? अगर कोई किसी सड़क का पुनः भूमिपूजन न किये जाने का विरोध कर रहा है, तो क्या सत्ता के नशे में चूर भाजपा उसे पार्टी से निकाल देगी? बल्कि चाहिए यह था कि सांसद सच्चाई सामने आने पर कहता कि "इस सड़क का भूमिपूजन चाहे जिसने किया हो, लेकिन सड़क निर्माण पूरा मेरे कार्यकाल में होगा।" लेकिन भूमिपूजन करने पर जो बोर्ड पर नाम आता, उस स्थिति में नहीं आता। नाम के चक्कर में पब्लिक धन की बर्बादी होती है, होने दो, क्या इसी का नाम लोकतन्त्र है? क्या इसी तरह होगा "सबका साथ, सबका विकास"?
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