| बी.वी.आर.सुब्रमण्यम और विजय कुमार, आईपीएस |
केंद्र सरकार की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि सुब्रमण्यम और विजय कुमार जितनी जल्दी हो जम्मू कश्मीर में ड्यूटी ज्वाइन करें. 1987 बैच के IAS सुब्रमण्यम काबिल ऑफिसर माने जाते हैं. इनके नाम कई बड़े ऑपरेशन को सफलता पूर्वक अंजाम तक पहुंचाने का दर्ज है. खासकर नक्सलियों के खिलाफ कई ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाया है.
कौन हैं विजय कुमार?
वहीं विजय कुमार के दिशा-निर्देशन में कई ऑपरेशन हो चुके हैं. कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन साल 2004 में मारा गया था. इस ऑपरेशन का नेतृत्व विजय कुमार ने ही किया था. एक वक्त था जब कुख्यात चंदन तस्कर वीरप्पन की साउथ इंडिया के जंगलों में तूती बोलती थी. उसका असली नाम कूज मुनिस्वामी वीरप्पन था, जो चन्दन की तस्करी के साथ हाथी दांत की तस्करी और कई पुलिस अधिकारियों की मौत का जिम्मेदार था. उसे पकड़ने के लिए सरकार ने करीब 20 करोड़ रुपये खर्च कर दिए थे. बताया जाता है कि कुख्यात तस्कर वीरप्पन तक पहुंचने के लिए तीन राज्यों की पुलिस और सेना को लंबा वक्त लगा था. लेकिन IPS विजय कुमार के नेतृत्व में चलाए गए ऑपरेशन कोकून चलाया गया था. विजय कुमार ने ही तारीख 18 अक्टूबर 2004 को वीरप्पन को मार गिराया था. उन्होंने इस पर एक किताब भी लिखी है. विजय 1975 में तमिलनाडु कैडर के आईपीएस बने थे. वे 1998-2001 में बीएसएफ के महानिरीक्षक (आईजी) के तौर पर कश्मीर घाटी में ड्यूटी कर चुके हैं.
साल 2010 में छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 75 जवानों के शहीद होने के बाद विजय कुमार को इस बल का डीजी बनाया गया था. विजय कुमार की निगरानी में सीआरपीएफ नक्सलियों के खिलाफ कई ऑपरेशन किए. साथ ही नक्सली हरकतों में भी कई आई थी.
– साल 1975 में तमिलनाडु कैडर में आईपीएस बनने के बाद स्पेशल सिक्युरिटी ग्रुप में उन्होंने सर्विस की.
– स्पेशल टास्क फोर्स में तैनाती के दौरान उन्हें चंदन तस्कर वीरप्पन को मारने का जिम्मा सौंपा गया था.
– इसके बाद विजय कुमार कई वर्षों तक वीरप्पन की तलाश करते रहे. उन्होंने ऑपरेशन ‘कोकून’ का भी नेतृत्व किया.
– विजयकुमार ने बन्नारी अम्मान मंदिर में कसम खाई कि जब तक वीरप्पन को पकड़ नहीं लेते तब तक सिर के बाल नहीं मुढवाएंगे.
– 18 अक्टूबर 2004 को उन्होंने अपने साथियों के साथ तमिलनाडु के धरमपुरी जंगल में हुए एनकाउंटर में वीरप्पन को मार दिया.
– विजय कुमार ने वीरप्पन पर एक किताब ‘वीरप्पन चेज़िंग द ब्रिगांड’ लिखा है. इसमें उन्होंने वीरप्पन के बचपन से लेकर डाकू बनने तक की कहानी बयान की है.
कौन हैं बीवीआर सुब्रमण्यम?
बीवीआर सुब्रमण्यम 1987 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. उन्हें नक्सलियों को धर दबोचने से लेकर नक्सली विचारधारा को खत्म करने का अच्छा-खासा अनुभव है. बी वीआर सुब्रमण्यम लगभग तीन साल से छत्तीसगढ़ में गृह विभाग की जवाबदारी संभाल रहे थे.
छत्तीसगढ़ में एंटी नक्सल ऑपरेशन और नक्सली विचारधारा को ख़त्म करने के लिए वे केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह और केंद्र सरकार के सीधे संपर्क में थे. लिहाजा केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बीवीआर सुब्रमण्यम को जम्मू कश्मीर भेजने में सक्रियता दिखाई.
दिलचस्प बात यह है कि जम्मू कश्मीर के नए चीफ सेक्रेटरी बीवीआर सुब्रमण्यम पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को काफी पसंद थे. मनमोहन सिंह ने यूपीए के पहले कार्यकाल में सुब्रमण्यम को अपना निजी सविच नियुक्त किया था. इसके बाद यूपीए-2 में मनमोहन सिंह ने इन्हें 2012 में फिर से संयुक्त सचिव के पद पर बहाल किया गया थी. सुब्रमण्यम तीन साल तक विश्व बैंक में भी नौकरी कर चुके हैं. वहां से लौटने पर मनमोहन सिंह ने इन्हें जॉइंट सेक्रेटरी बनाया था.
Comments